दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का आत्मसमर्पण
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अस्थायी जमानत समाप्त होने के बाद तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण कर दिया। यह अस्थायी जमानत 10 मई को दी गई थी और आज समाप्त हो गई।
अरविंद केजरीवाल ने आत्मसमर्पण से पहले अपने निवास पर आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) से मुलाकात की और अपनी रणनीति पर चर्चा की। इसके बाद उन्होंने राजघाट पर जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल और दिल्ली के मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज और कैलाश गहलोत सहित अन्य आप नेता भी उपस्थित थे।
केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के निवास पर भी मौजूदगी दर्ज की, जहां उन्होंने INDIA गठबंधन की बैठक में हिस्सा लिया।
अस्थायी जमानत विस्तार का अनुरोध
अरविंद केजरीवाल ने अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध भी किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने शिघ्र सुनवाई के लिए अस्वीकृत कर दिया। इसके बाद उन्होंने विशेष सीबीआई-ईडी अदालत से चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत मांगी, जिसका फैसला 5 जून तक सुरक्षित रखा गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव के दौरान व्यापक प्रचार किया लेकिन अब वे बीमार होने का दावा कर रहे हैं।
केजरीवाल ने जनता से अपील की कि वे उनके बुजुर्ग माता-पिता के लिए प्रार्थना करें और कहा कि वह देश को 'तानाशाही' से बचाने के लिए जेल जा रहे हैं।
विरोधी पार्टियों की प्रतिक्रिया
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने केजरीवाल पर 'बीमारी का नाटक' करने का आरोप लगाया और उनसे कानून का सम्मान करने का आग्रह किया। इस पूरे घटनाक्रम के बीच राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी रहा।
तिहाड़ जेल में केजरीवाल के आत्मसमर्पण के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और आम आदमी पार्टी के समर्थकों में चिंता और उत्सुकता का माहौल है।
आगे की दिशा
आने वाले समय में केजरीवाल की इस आत्मसमर्पण से क्या परिणाम निकलेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या आम आदमी पार्टी के नेता एक बार फिर से चुनावी माहौल को अपने पक्ष में मोड़ने में कामयाब होंगे, या उनके विरोधियों की आवाजें जोर पकड़ेंगी? यह समय और राजनीतिक घटनाक्रम ही बताएंगे।
Rohit Garg
2.06.2024दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आज तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण किया। अस्थायी जमानत समाप्त होने के बाद यह कदम काफी धूम मचा रहा है। राजनीति का खेल अब और भी चाँचीला हो गया है।
Rohit Kumar
13.06.2024केजरीवाल जी के इस आत्मसमर्पण को हम एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में देख सकते हैं। इस कदम से न केवल उनके समर्थकों के मन में नई आशा जगी है, बल्कि विपक्षी पक्ष में भी आत्म-निरीक्षण की लहर दौड़ रही होगी। यह घटना चुनावी प्रक्रिया के पारदर्शिता को बढ़ावा देती है और न्यायिक प्रणाली के प्रभाव को दर्शाती है। अगर यही भावना पूरे राजनीतिक धरातल में फलीभूत हो, तो लोकतंत्र की नींव और भी मजबूत होगी। आशा है कि आगे की अनुष्ठानिक चर्चाएँ रचनात्मक रहेंगी और सभी पक्ष मिलकर देश के भविष्य को सुदृढ़ करेंगे।
Hitesh Kardam
23.06.2024केजरीवाल की जेल में जाने की कहानी पीछे किसी बड़े षड्यंत्र की तरह लगती है। यह सब वही पुरानी रियायतों का हिस्सा है जो सत्ता को कमजोर करने के लिए बनाई गई थी।
Nandita Mazumdar
4.07.2024इतिहास बार‑बार यही दिखाता है, जब नेता जेल में जाते हैं तो देश के मूलभूत मूल्य डगमगाते हैं।
Aditya M Lahri
14.07.2024केजरीवाल जी ने साहसिक कदम उठाया है, हम सभी को उनका समर्थन देना चाहिए 😊 आशा है यह कदम जनता को सशक्त करेगा।
Vinod Mohite
25.07.2024जमानती राहत के निराकरण से जुड़े वैध procedural nuances को समझना अत्यावश्यक है, विशेषकर judicial oversight parameters को देखते हुए।
Rishita Swarup
4.08.2024सरकार की हर कार्रवाई में छिपे हुए एजेंडा को पढ़ना जरूरी है; आज का आत्मसमर्पण भी किसी बड़े अंतर्राष्ट्रीय योजना का भाग हो सकता है।
anuj aggarwal
15.08.2024इतिहास बताता है कि ऐसे कदम अक्सर राजनीतिक असफलताओं की ओर ले जाते हैं, इसलिए यह कदम पूर्णतः बेकार है।
Sony Lis Saputra
25.08.2024केजरीवाल की इस कार्यवाही से कई सवाल उठते हैं, जैसे कि चुनावी रणनीति में इस कदम का क्या महत्व है, और जनता की प्रतिक्रिया कैसे होगी।
Kirti Sihag
5.09.2024यह दृश्य तो सच्चे नाट्य मंच जैसा है 🎭 केजरीवाल की जेल यात्रा राजनीति के सबसे बड़े ड्रामा में बदल गई है।
Vibhuti Pandya
15.09.2024हम सभी को इस स्थिति में शांति बनाए रखनी चाहिए और सभी पक्षों की बातों को सुनना चाहिए, ताकि एक संतुलित समाधान निकल सके।
Aayushi Tewari
25.09.2024कृपया सभी यथार्थपरक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए चर्चा करें, भावनात्मक उबाल से बचें।
Rin Maeyashiki
6.10.2024केजरीवाल का आत्मसमर्पण एक नया अध्याय खोलता है, जहां राजनीति की सच्ची परीक्षा शुरु होती है। यह कदम न केवल व्यक्तिगत साहस को दर्शाता है, बल्कि न्याय प्रणाली की स्वायत्तता को भी प्रतिबिंबित करता है। जिला अधिकारियों और दिल्ली प्रशासन को अब इस नई स्थिति के तहत त्वरित कार्रवाई करनी होगी। आवश्यक है कि सभी कानूनी प्रक्रियाएं पारदर्शी तौर पर चलें, ताकि जनता में विश्वास बना रहे। केजरीवाल की सरकार अब अपने नीतियों को कोर्ट के आदेशों के साथ संरेखित करेगी, यह देखना रोचक होगा। सुप्रीम कोर्ट की इस दिशा-निर्देश पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी कलात्मक रूप में उभर रही हैं। विरोधी दलों ने पहले ही इसे बहाना बना लिया है, लेकिन समय बतायेगा कि कौन सच में जनहित में कार्य कर रहा है। जनता के बीच इस घटना ने कई विचारों को उभारा है, कुछ लोग समर्थन में हैं तो कुछ संदेह व्यक्त कर रहे हैं। एक लोकतांत्रिक समाज में इस तरह के घटनाक्रम को शांतिपूर्ण संवाद के माध्यम से सुलझाना चाहिए। यदि केजरीवाल इस जेल में रहते हुए भी अपने काम को जारी रखें, तो यह उनके नेतृत्व का नया प्रमाण बन सकता है। वहीं, अगर न्यायिक प्रक्रिया में अड़चनें आती हैं, तो यह पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हिला सकता है। मीडिया को भी अपनी रिपोर्टिंग में संतुलन बनाकर रखना चाहिए, क्योंकि sensationalism से स्थिति बिगड़ सकती है। आर्थिक नीतियों, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा अभी भी जारी है, और यह मामला इन्हें प्रभावित नहीं करना चाहिए। इस बीच, वोटर बेस को यह समझना ज़रूरी है कि सत्ता में रहने वाले लोग भी नियमों के अधीन हैं। अंततः, यह आत्मसमर्पण लोकतंत्र के नियमों की पुष्टि करता है और एक नई आशा की किरण देता है। हमें सबको मिलकर इस प्रक्रिया को सकारात्मक रूप से अपनाना चाहिए, ताकि देश आगे बढ़ सके।
Paras Printpack
16.10.2024ओह, अब केजरीवाल ने जेल की चाबी पकड़ ली, फिर तो राजनीति की फिल्म में एडवेंचर सेक्शन शुरू हो गया!
yaswanth rajana
27.10.2024केजरीवाल के इस निर्णय का विश्लेषण करते हुए हमें डेटा-ड्रिवन दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिससे हम समझ सकें कि यह कदम चुनावी गतिशीलता को कैसे प्रभावित करेगा।
Roma Bajaj Kohli
6.11.2024देशभक्तों को यह समझना चाहिए कि कोई भी नेता न्याय के सामने नहीं बच सकता, चाहे वह कितनी भी शक्ति रखता हो।
Nitin Thakur
17.11.2024मैं कहूँगा कि ये सब न्याय के नाम पर ही किया गया है, पर असली मंसूबा तो अलग है
Arya Prayoga
27.11.2024केजरीवाल का आत्मसमर्पण राजनीति में नया अफ्रीका बना देगा।