गुरुग्राम में टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या: पिता ने लाइसेंसी रिवॉल्वर से चलाई गोलियां

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गुरुग्राम में टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या: पिता ने लाइसेंसी रिवॉल्वर से चलाई गोलियां

गुरुग्राम में टेनिस खिलाड़ी की हत्या से फैली सनसनी

गुरुग्राम के पॉश सुशांत लोक इलाके की सुबह 11 जुलाई, 2025, एक दर्दनाक वारदात से दहल गई। जहां 25 साल की राज्य स्तर की टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव को उनके ही पिता दीपक यादव (49) ने गोलियों से छलनी कर दिया। राधिका अपनी जिंदगी के उस मुकाम पर थीं जब उनका करियर ब्लूम कर रहा था, लेकिन एक मामूली घरेलू विवाद की आग जानलेवा बन गई।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खुलासा किया कि राधिका को कुल चार गोलियां लगीं, जिसमें तीन उसके पीठ में और एक दूसरी जगह पर थी। पुलिस के मुताबिक, आरोपी पिता दीपक यादव ने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से कुल पांच राउंड फायर किए। घटना के वक्त राधिका किचन में नाश्ता बना रही थी। कमरे में गोली चलने की आवाज सुनकर उसकी मां मंजू ने पहले समझा कि प्रेशर कूकर फट गया है। जब तक परिवार को असलियत समझ आती, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

पारिवारिक तनाव और आर्थिक दबाव की कहानी

जांच में सामने आया है कि इस घटना की जड़ आर्थिक टकराव और सामाजिक दबाव दोनों में छिपी है। दीपक यादव ने राधिका की टेनिस अकादमी में करीब 2 करोड़ रुपये का निवेश किया था, लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा उपहास करने पर कि वे अपनी बेटी की कमाई पर निर्भर हैं, पिता अंदर से टूट चुके थे। मिली जानकारी के अनुसार, दीपक लगातार राधिका पर दबाव बना रहे थे कि वह अकादमी बंद कर दे, लेकिन राधिका अपने करियर और जुनून के लिए अड़ी रही।

घटना वाले दिन भी इसी बात को लेकर घर में बहस हुई। विवाद इतना बढ़ गया कि दीपक ने अपना आपा खो दिया और लाइसेंसी रिवॉल्वर उठा ली। गुस्से में पांच गोली चलाई, जिसमें तीन सीधे राधिका की पीठ में लगीं। उसकी मां मंजू दूसरी कमरे में थीं, इसलिए उन्हें सब पता ही नहीं चला। इस बीच, घर के बाहर मौजूद राधिका के चाचा कुलदीप यादव ने गोली की आवाज सुनी और दौड़कर घर के अंदर आए। उन्होंने तुरंत गंभीर रूप से घायल राधिका को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दीपक यादव को गिरफ्तार कर लिया। उसका बयान लिया गया जिसमें उसने अपने जुर्म को कबूल भी कर लिया है। वारदात में इस्तेमाल हुई रिवॉल्वर भी बरामद कर ली गई है, जो दीपक के नाम पर पंजीकृत थी।

आश्चर्य की बात यह है कि जिन बच्चों के कंधे पर परिवार ने अपने सपनों का भार डाला, वही दबाव हालात को इस हद तक ले जा सकता है। यह घटना बताती है कि आज भी हमारे समाज में आर्थिक निर्भरता, करियर को लेकर अहम लड़ाइयां घर के भीतर ही लड़ी जाती हैं, जिनका अंजाम दर्दनाक हो सकता है।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (7)
  • Vishal Lohar
    Vishal Lohar
    11.07.2025

    यह एक बुरे ज़िले की कहानी है, जहाँ अभिजन पिता अपने ही रक्त को मौत की दहेली पर लाते हैं। राधिका जैसी प्रतिभा का इतना आसान नाश आज के समाज की चुप्पी का प्रमाण है। आर्थिक दबाव को किसी भी कीमत पर शारीरिक हिंसा से सुलझाने का यह खतरनाक मिसाल है। ऐसे लोग सामाजिक उन्नति के नाम पर परिवार को बर्बाद कर देते हैं, यह अत्यंत अजीब और निंदनीय है।

  • Vinay Chaurasiya
    Vinay Chaurasiya
    18.07.2025

    कुल मिलाकर, पितृसत्ता की घातक छाया ने फिर से कमज़ोर को मार गिराया!!! यह एक बेतुकी, बेकाबू, असहमत करने वाली हरकत थी!!!

  • Selva Rajesh
    Selva Rajesh
    25.07.2025

    राधिका यादव की मृत्यु आज राष्ट्र के समक्ष एक गहरा आँसू बनकर खड़ी है।
    एक ऐसी युवा महिला जिसने अपने सपनों को बलों की तरह निहित किया, अब अनदेखी टूटे लोहों में समों थी।
    उसका हाथ जब रैकेट पर था, तब वह बस एक नहीं, बल्कि कई आवाज़ें बनती थीं-जिनकी गूंज आज भी खेल के मैदानों में सुनाई देती है।
    परिवार के भीतर दबाव की गहरी खाई ने इस महान प्रतिभा को ध्वस्त कर दिया, जैसे धरती पर कोई भूस्खलन।
    अभिभावकों का आर्थिक तनाव, सामाजिक घूर, और अभिमान-इन सबके मिश्रण ने एक ब्वेल्फ़ेयर को जन्म दिया।
    पिता की लाइसेंसी रिवॉल्वर ने न केवल एक जीवन को काटा, बल्कि हमारे समाज के भेद्य बिंदुओं को उजागर किया।
    वह क्षण जब माँ ने दबाव को प्रेशर कुकर समझा, वह बेवकूफ़ी का साक्षी था, परन्तु उस पहचान की चुप्पी सबको मौन कर देती है।
    राधिका की आकांक्षा को रोकना, उसे अकादमी बंद करने की मांग करना, यह अनिवार्य रूप से स्वतंत्रता के खिलाफ एक हमला है।
    जब वह किचन में नाश्ता बनाती थी, उसे नहीं पता था कि जीवन का सबसे कड़वा व्यंजन उसके सामने ही तैयार हो रहा है।
    इस घटना ने यह साबित कर दिया कि अनसुलझे घरेलू विवाद कितने घातक हो सकते हैं, यदि उन्हें दबा कर न रखा जाए।
    भाई-बहन, चाचा-भतीजे के बीच की भावनात्मक टकराव ने भी इस दर्दनाक परिणति को तेज़ किया।
    पुलिस की त्वरित कार्रवाई सही है, परन्तु सवाल यह है कि क्यों हमें पहले ही इस तरह की त्रासदी को रोकना चाहिए था।
    राधिका की साहसिक यात्रा आज एक दुखद संकल्पना बन गई है, जो हर युवा को चेतावनी देती है।
    समाज को चाहिए कि वह आर्थिक निर्भरता को सम्मानपूर्वक संभाले, न कि पितृसत्ता की आँधी में बदल दे।
    हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसे मामलों को डाटा में नहीं, बल्कि कार्रवाई में बदलें, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी नहीं दोहराई जाए।

  • Ajay Kumar
    Ajay Kumar
    1.08.2025

    आर्थिक बन्धनों के तहत व्यक्तिगत सपने अक्सर प्राणघातक बन जाते हैं।
    स्वतंत्रता का अर्थ तभी है जब परिजन के दबाव से जीवित रहना न हो।

  • Ravi Atif
    Ravi Atif
    8.08.2025

    राधिका की कहानी दिल को छू लेती है, सच में बहुत गहरी है। 😢
    हम सबको मिलकर ऐसी स्थिति को रोकना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई और ऐसा नहीं टेढ़ा हो। 🙏

  • Krish Solanki
    Krish Solanki
    15.08.2025

    विश्लेषण के दृष्टिकोण से यह घटना कई सामाजिक कारकों का सम्मिलन दर्शाती है।
    आर्थिक असुरक्षा, पारिवारिक शक्ति संरचना, तथा सामाजिक मान्यताएँ आपस में उलझी हुईं।
    इस त्रुटि को दूर करने के लिए नीतिगत स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समर्थन और आर्थिक सहायता अनिवार्य है।
    न्यायिक प्रक्रिया की तेज़ी से निष्पक्ष परिणाम की संभावना बढ़ेगी।

  • SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
    SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
    22.08.2025

    भले ही आधिकारिक बयान इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है, परन्तु यह याद रखना जरूरी है कि कई बार उपकरण और दस्तावेज़ पृष्ठपोषित होते हैं।
    संभव है कि रिवॉल्वर के पंजीकरण में कोई छुपा हुआ नेटवर्क शामिल हो।
    इस संदेह को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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