जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए उमर अब्दुल्ला का दावा पेश

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जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए उमर अब्दुल्ला का दावा पेश

जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक माहौल

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नई करवट आई है। हाल के चुनावों में राष्ट्रीय कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने 90 में से 48 सीटों पर विजय प्राप्त की है। इस गठबंधन में कांग्रेस के छह सीटें शामिल हैं, जो यह दर्शाती हैं कि जनता ने इस बार अलग राजनीतिक दिशा में सोचने का प्रयास किया है। इसके अतिरिक्त, चार स्वतंत्र विधायकों ने भी इस गठबंधन को समर्थन देने का निर्णय लिया है। भाजपा ने जम्मू क्षेत्र से 29 सीटें जीतीं, लेकिन उसके मुस्लिम उम्मीदवार सफल नहीं हो सके।

गठबंधन की जीत और आगे का रास्ता

इस जीत के पश्चात उमर अब्दुल्ला नए सरकार के गठन के लिए सबसे पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा से राज भवन में मिले। उमर अब्दुल्ला ने इस मुलाकात में सरकार बनाने के लिए आधिकारिक दावा पेश किया है। उन्होंने समर्थन पत्र Congress, CPM, AAP और कुछ स्वतंत्र विधायकों से प्राप्त करके इस दावे को मजबूती दी है। अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बताया कि उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह के लिए LG से जल्द से जल्द तारीख तय करने का अनुरोध किया है ताकि नई सरकार अपना कार्यभार संभाल सके। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि नई सरकार का गठन कुछ दिनों का समय ले सकता है क्योंकि यह एक जटिल प्रक्रिया है।

सरकार बनने की प्रक्रिया और जनहित में निर्णय

चूंकि जम्मू-कश्मीर अब एक संघ शासित प्रदेश है, इसलिए कुछ विशेष प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है। उमर अब्दुल्ला ने बताया कि लेफ्टिनेंट गवर्नर को मंत्रिमंडल के दस्तावेज तैयार करके राष्ट्रपति भवन भेजने होते हैं। इसके बाद दस्तावेज गृह मंत्रालय को भेजे जाते हैं, और मंत्रालय द्वारा प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही दस्तावेज वापस लौटाए जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग दो से तीन दिन का समय लग सकता है।

जम्मू-कश्मीर के हर हिस्से का प्रतिनिधित्व

उमर अब्दुल्ला ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार जम्मू के मैदानी क्षेत्रों की उपेक्षा नहीं करेगी जहां पर भाजपा ने बहुमत सीटें जीती हैं। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि उनकी सरकार सभी वर्गों और क्षेत्रों के लिए कार्य करेगी, चाहे उन्होंने भाजपा को समर्थन दिया हो या नहीं। NC की विधायक दल की बैठक में उमर अब्दुल्ला को सर्वसम्मति से नेता चुना गया, जिससे वे सरकार बनाने के लिए दावे की स्थिति में आए।

अनुच्छेद 370 के बाद की पहली चुनी गई सरकार

अनुच्छेद 370 के बाद की पहली चुनी गई सरकार

यह पहली सरकार होगी जिसे अनुच्छेद 370 के निरस्त और पूर्ववर्ती राज्य के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन के बाद चुना जाएगा। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी सरकार सभी नागरिकों के लिए काम करेगी, चाहे वे भाजपा के लिए वोट किए हों या नहीं, अथवा वे जो मतदान से दूर रहे। यह नई सरकार एक नई उम्मीद लेकर आई है कि जम्मू-कश्मीर के विकास की दिशा में और प्रगति हो और यहां की जनता की समस्याओं का समाधान किया जाए।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (11)
  • Ashish Verma
    Ashish Verma
    12.10.2024

    जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नई रोशनी आई है 🌟। उमर अब्दुल्ला का दावा देख कर दिल में आशा की लहर दौड़ गई। उम्मीद है कि इस गठबंधन से सभी क्षेत्रों का विकास होगा, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में। जय जमे और कश्मीर 🙏

  • Akshay Gore
    Akshay Gore
    12.10.2024

    हाहाह, बस झूले में नहीं फिसलेंगे ऐसे दावे
    कभी‑कभी तो ऐसा लगता है जैसे चुनावों में खलनायक अपना रोल ढूँढ रहे हों। सच्चाई तो यही है कि बहुपक्षीय राजनीति में कब तक भरोसा रखेंगे, पता नहीं।

  • Sanjay Kumar
    Sanjay Kumar
    12.10.2024

    उमर अब्दुल्ला का दावा वास्तव में एक सकारात्मक संकेत है 😊। यह हमें अपने साझा भविष्य की ओर एक कदम करीब ले जाता है। सभी वर्गों के हित को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए। साझेदारी और संवाद ही आगे का रास्ता है।

  • adarsh pandey
    adarsh pandey
    12.10.2024

    सभी मित्रों को नमस्कार, आपके विचारों से मैं पूरी तरह सहमत हूँ। संयुक्त प्रयास से ही स्थायी विकास संभव है। उमर अब्दुल्ला को सभी समुदायों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए, जिससे भरोसा बढ़ेगा। आशा करता हूँ कि नई सरकार सभी के लिए काम करेगी।

  • swapnil chamoli
    swapnil chamoli
    12.10.2024

    यह नया गठबंधन वास्तव में स्थापित शक्तियों के हस्तक्षेप से मुक्त नहीं है। कई बार देखन‍े को मिलता है कि पीछे पर्दे में कुछ बड़े हितधारक अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं। हमें सतर्क रहना चाहिए और शांति‑पूर्ण प्रक्रिया को देखते रहना चाहिए।

  • manish prajapati
    manish prajapati
    12.10.2024

    बिलकुल! यह सुनहरा अवसर है कि हम सब मिलकर बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाएँ। नई सरकार का गठन जल्दी हो - इसे हम सभी के लिए विकास का नया अध्याय खोलना चाहिए। आशा है कि हर क्षेत्र को समान ध्यान मिलेगा, चाहे वह दूरदराज़ का गाँव हो या शहर का कोना। सकारात्मक सोच रखिए, सब ठीक होगा! 🌈

  • Rohit Garg
    Rohit Garg
    12.10.2024

    उमर अब्दुल्ला के दावे में कुछ चटपटे मसाले हैं, यह देखना मजेदार है! अगर वह अपनी काल्पनिक शपथ‑गृह की तैराकी पर ध्यान नहीं देते तो राजनीतिक सागर में लहरें उठेंगी। यह देखना रहेगा कि वे अपना जलसंधि कैसे निभाते हैं।

  • Rohit Kumar
    Rohit Kumar
    12.10.2024

    उमर अब्दुल्ला द्वारा प्रस्तुत किया गया दावा कई जटिल प्रक्रियात्मक पहलुओं को समेटे हुए प्रतीत होता है, जो वास्तव में उभरते हुए संघ शासित प्रदेश में राजनैतिक स्थिरता एवं प्रावधीय शासनीयता को सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है। पहले तो यह उल्लेखनीय है कि उन्होंने कांग्रेस, सीपीएम, एएपी और कुछ स्वतंत्र विधायकों से समर्थन पत्र प्राप्त किए हैं, जिसका अर्थ यह है कि बहुपक्षीय सहयोग का एक आधारशिला स्थापित हुई है। इसके अतिरिक्त, लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा से हुई मुलाकात यह सुनिश्चित करती है कि कार्यकारी शाखा के साथ समन्वय स्थापित हो और शपथ‑ग्रहण समारोह की तिथि निर्धारित करने की प्रक्रिया को तेज किया जा सके। यह स्पष्ट है कि प्रक्रिया के दौरान दस्तावेज़ों को गृह मंत्रालय तक भेजने और वापसी के लिए दो‑तीन दिनों का अनुमानित समय है, जो प्रशासनिक दक्षता को दर्शाता है। हालांकि, इस अवधि में संभावित विलंब को कम करने के लिये डिजिटल हस्ताक्षर एवं ई‑डॉक्यूमेंटेशन की व्यवस्था को अपनाया जा सकता है, जिससे समय की बचत होगी और प्रक्रियात्मक त्रुटियों की संभावना घटेगी। नवीनतम तकनीकी उपायों के साथ, जैसे कि ब्लॉक‑चेन‑आधारित रिकॉर्ड‑कीपिंग, दस्तावेज़ों की सुरक्षा तथा पारदर्शिता में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है।
    यह भी समझने योग्य है कि जम्मू‑कश्मीर के मैदानी क्षेत्रों की उपेक्षा न करने का उनका आश्वासन, राष्ट्रीय स्तर पर समावेशी विकास की नीति के अनुरूप है। इस प्रकार के वादे, यदि प्रभावी रूप से लागू किए जाएँ, तो सामाजिक‑आर्थिक असमानताओं को घटाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। अंततः, नई सरकार की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे न केवल कागजी प्रक्रियाओं को तेज करें, बल्कि वादे किए गए विकास कार्यों को समय सीमा के भीतर पूर्ण करने के लिये ठोस कार्य‑योजना प्रस्तुत करें।
    सारांश में, उमर अब्दुल्ला का यह दावा, यदि उचित प्रशासनिक समर्थन और तकनीकी नवाचारों के साथ सम्मिलित किया जाए, तो यह न केवल एक नई प्रशासनिक व्यवस्था की नींव रखेगा, बल्कि जनता के विश्वास को भी पुनः स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगा।

  • Hitesh Kardam
    Hitesh Kardam
    12.10.2024

    इन्हें कोई नहीं रोक सकता, हम देश के सच्चे प्यारियों को हर पार्टी के जाल में फंसने नहीं देंगे। कभी‑कभी तो लागे है जैसे ये सब मिलकर मौलिक राष्ट्र‑हित को धूमिल करने की साजिश रच रहे हों।

  • Nandita Mazumdar
    Nandita Mazumdar
    12.10.2024

    ऐसे दावों की भरपाई वास्तविक कार्यों से ही होगी-स्वतंत्रता तभी मिलती है जब हम अपने अधिकारों की रक्षा करें।

  • Aditya M Lahri
    Aditya M Lahri
    12.10.2024

    समुदाय के रूप में मिलकर हम नई सरकार की दिशा में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं 😊। टीमवर्क और समर्थन से हम सभी चुनौतियों को पार कर सकते हैं। चलिए, मिलकर आगे बढ़ते हैं! 🙌

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