केरल में निपाह वायरस से मौत: संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं
केरल के मलप्पुरम जिले में एक 14 वर्षीय लड़के की निपाह वायरस से मौत हो गई है, जिससे पूरे राज्य में चिंता फैल गई है। इस लड़के को दस दिन पहले बुखार हो गया था और शुक्रवार से वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर था। पुणे से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भेजे गए थे, लेकिन उससे पहले ही लड़के की संक्रमण से मौत हो गई।
निपाह वायरस एक खतरनाक संक्रमण है जो आमतौर पर जानवरों को प्रभावित करता है, लेकिन यह मनुष्यों में कठिन बीमारी का कारण भी बन सकता है। इस मामले के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने मलप्पुरम में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है और पूरे जिले में अलर्ट जारी किया गया है।
संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदम
स्वास्थ्य विभाग ने निपाह संक्रमित व्यक्ति के करीब 240 संपर्कों को निगरानी में रखा है। इन लोगों के संक्रमण परीक्षण के लिए नमूने लिए गए हैं और चार अन्य लोगों में भी निपाह संक्रमण के लक्षण दिखे हैं। इनमें से एक व्यक्ति वेंटिलेटर पर है।
भारत सरकार ने एक 'वन हेल्थ' आउटब्रेक रिस्पांस टीम को जांच के लिए भेजा है और कड़े क्वारंटाइन और आइसोलेशन उपाय लागू किए गए हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने निपाह वायरस के खिलाफ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भी प्रदान किए हैं। इसके अतिरिक्त, परीक्षण के लिए एक मोबाइल BSL-3 प्रयोगशाला भी भेजी गई है।
निपाह वायरस से बचाव के उपाय
निपाह वायरस से बचाव के लिए मुख्य उपायों में संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचना, फलों को धोकर तथा छीलकर सेवन करना और ताड़ के रस को उबालकर पीना शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुझाए गए अन्य सावधानियों को भी सभी नागरिकों को पालन करने की सलाह दी गई है।
इस प्रकोप का प्रभाव केवल केरल तक सीमित न रहकर पूरे देश में हो सकता है। इसलिए व्यापक जागरूकता और सतर्कता बरतना आवश्यक है।
कड़ी निगरानी और सतर्कता
स्वास्थ्य अधिकारियों ने जनता को बताया कि किसी भी संदिग्ध लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें। स्वास्थ्य विभाग की नियंत्रण कक्ष से 24x7 सहायता मिल रही है। मरिजो और उनके संपर्क में आए लोगों की सूची बनाई जा रही है। सभी नागरिकों को व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए और घबराने की जरूरत नहीं है।
निपाह वायरस के खतरे से निपटने के लिए चिकित्सा संसाधनों की पूर्ति की जा रही है। अस्पतालों में विशेष वार्ड तैयार किए जा रहे हैं और डॉक्टरों को विशेष ट्रेनिंग भी दी जा रही है। मेडिकल स्टाफ और नर्सों का मनोबल बनाए रखने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।
अभी तक निपाह वायरस का कोई ठोस इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन शुरुआती सावधानी और सतर्कता से इस वायरस के फैलाव को रोका जा सकता है। सभी को मिलकर इस परिस्तिथि से निपटने की जरूरत है और सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन अति आवश्यक है।
निपाह वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए सभी नागरिकों की भागीदारी और सतर्कता अनिवार्य है। सरकार, स्वास्थ्य संस्थान और नागरिक समाज को मिलकर इस चुनौती का सामना करना चाहिए।
जरा सी लापरवाही भारी नुकसान का कारण बन सकती है, इसलिए सभी को सतर्क और जागरूक रहना आवश्यक है।