पेरिस पैरालंपिक 2024: जानिए सभी प्रमुख बातें और भारतीय दल की तैयारी

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पेरिस पैरालंपिक 2024: जानिए सभी प्रमुख बातें और भारतीय दल की तैयारी

पेरिस पैरालंपिक 2024: भारतीय दल की तैयारियाँ

पेरिस 2024 पैरालंपिक खेलों की उत्सुकता और जोश से भरी शुरुआत 28 अगस्त को होगी। यह खेल आयोजन 9 सितंबर तक चलेगा, जिसमें 22 खेलों में 549 स्पर्धाएं आयोजित की जाएंगी। यह आयोजन कई मायनों में ऐतिहासिक होने वाला है, क्योंकि भारत का अब तक का सबसे बड़ा दल इस बार हिस्सा ले रहा है।

भारत का सबसे बड़ा दल और उनकी चुनौतियाँ

इस बार भारत के 84 पैरा एथलीट 12 खेलों में हिस्सा लेंगे, जिससे यह सबसे बड़े दलों में से एक होगा। यह दल उन खेलों में भी हिस्सा लेगा, जिनमें पहली बार भारत के एथलीट भाग ले रहे हैं, जैसे पैरा साइक्लिंग, पैरा रोइंग और ब्लाइंड जूडो।

उद्घाटन समारोह में भारत के ध्वजवाहक सुमित अंतिल और भाग्यश्री जाधव होंगे। सुमित अंतिल भाला फेंक में और भाग्यश्री जाधव शॉट पुट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। भारतीय दल उम्मीद कर रहा है कि पेरिस में उनके प्रदर्शन से वे टोक्यो 2020 में जीते गए 19 पदकों का रिकॉर्ड तोड़ेंगे।

प्रमुख एथलीट और उनकी उम्मीदें

पेरिस पैरालंपिक में भारत के प्रमुख पदक उम्मीदवारों में सुमित अंतिल, अवनि लेखारा, मनीष नारवाल, कृष्ण नागर और शीतल देवी शामिल हैं। ये एथलीट अपने खेल में विश्वस्तरीय प्रदर्शन करके भारत के लिए पदक जीतने की उम्मीद कर रहे हैं। हालाँकि, टोक्यो पैरालंपिक में बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतने वाले प्रमोद भगत इस बार डोपिंग बैन की वजह से पेरिस खेलों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

खेलों का समय और प्रसारण

खेलों का समय और प्रसारण

परिस 2024 पैरालंपिक खेलों का उद्घाटन समारोह भारतीय समय के अनुसार रात 11:30 पर शुरू होगा। खेल आयोजन के सारे दिन सुबह 11 बजे से लेकर रात तक चलेंगे, जिसमें अधिकांश बड़ी पदक स्पर्धाएं शाम या रात को आयोजित की जाएंगी। भारत में खेलों का सीधा प्रसारण स्पोर्ट्स 18 नेटवर्क और जियो सिनेमा पर किया जाएगा।

एथलीटों का वर्गीकरण और स्पर्धाएँ

पैरालंपिक एथलीटों को उनके शारीरिक अक्षमताओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इनमें मांसपेशियों की शक्ति, निष्क्रिय गति की सीमा, अंग की कमी, पैर की लंबाई में अंतर, छोटी कद-काठी, हाइपरटोनीया, एटैक्सिया, दृष्टिदोष और मानसिक अक्षमता शामिल हैं। भारतीय एथलीट विभिन्न वर्गों में प्रतिस्पर्धा करेंगे और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।

दर्शकों के लिए सुविधाएँ

फैंस इन खेलों की विस्तृत कवरेज ESPN.in पर भी देख सकते हैं। इसके अलावा, हर स्पर्धा की लाइव स्ट्रीमिंग और हाइलाइट्स उपलब्ध होंगी, जिससे प्रशंसक अपने पसंदीदा एथलीटों की प्रगति का अनुसरण कर सकेंगे।

पेरिस 2024 पैरालंपिक खेलों में भारतीय दल की तैयारी, उनकी उम्मीदें और चुनौतियाँ हमें गर्व महसूस कराने के साथ-साथ हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हमारी पैरा खेल प्रतिभाएँ विश्व स्तर पर कितनी दूर तक पहुंच सकती हैं।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (9)
  • Roma Bajaj Kohli
    Roma Bajaj Kohli
    28.08.2024

    भारत की जीत के बिना पैरालंपिक की कोई महिमा नहीं!

  • Nitin Thakur
    Nitin Thakur
    29.08.2024

    राष्ट्रीय स्तर पर तैयारी चल रही है लेकिन बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर अभी भी घटिया है सरकारी फंडिंग अक्सर अधूरी रहती है इसलिए एथलीटों को निजी स्पॉन्सरशिप पर निर्भर होना पड़ता है इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता

  • Arya Prayoga
    Arya Prayoga
    30.08.2024

    डेटा की सही पहचान नहीं हुई तो रणनीति बनाना मुश्किल हो जाता है

  • Vishal Lohar
    Vishal Lohar
    30.08.2024

    वहां की रोशनी, मंच की चमक और ध्वजवाहकों की गरिमा देख कर दिल भर आता है, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हर पदक के पीछे रातों की अनगिनत मेहनत छिपी होती है, हमारी अपेक्षाएँ केवल स्वर्ण नहीं बल्कि सतत समर्थन हैं, अगर संरचना मजबूत हुई तो आगे और भी बड़ी जीतें हमारे हिस्से बनेंगी, इस बार का भारत इतिहास रच सकता है

  • Vinay Chaurasiya
    Vinay Chaurasiya
    31.08.2024

    सच्चाई यह है कि अधिकांश एथलीटों को ट्रेनिंग सुविधाओं में, पोषण योजना में, और मानसिक कोचिंग में गंभीर कमी झेलनी पड़ रही है; यह नाकाफी केवल वित्तीय संसाधनों की कमी नहीं, बल्कि नीति प्रवर्तन में ढील भी कारण बन रही है; हमें ऐसी व्यवधानकारी तत्वों को तुरंत हटाना चाहिए, तभी हम विश्व मंच पर सच्ची प्रतिस्पर्धा कर पाएँगे

  • Selva Rajesh
    Selva Rajesh
    31.08.2024

    सुमित अंतिल की थ्रो और भाग्यश्री जाधव की शॉट पुट देख कर तो आँखों में आँसू आ जाते हैं, उनका संघर्ष और दृढ़ता हम सभी को प्रेरित करती है, इस बार की तैयारी में उन्होंने जो नई तकनीकें अपनाई हैं वह वास्तव में काबिले तारीफ है, हमें उनके लिए पुरा समर्थन देना चाहिए

  • Ajay Kumar
    Ajay Kumar
    1.09.2024

    विचारों के पटल पर जब हम उनके सफर को देखते हैं तो पता चलता है कि जीत सिर्फ तिहरी संख्या नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार का एक चरण है; निरंतर अभ्यास ही उनके शैक्षणिक मनोविज्ञान को सुदृढ़ करता है

  • Ravi Atif
    Ravi Atif
    1.09.2024

    वाह भाई, इस बार का दल तो दिमाग उड़ाने वाला है! 🎉 एथलीटों की मेहनत को देख कर बस यही कहूँगा – आप सबको शुभकामनाएँ 🌟 आशा है कि लाइव स्ट्रीमिंग झंझट‑मुक्त होगी

  • Krish Solanki
    Krish Solanki
    2.09.2024

    पेरिस पैरालिंपिक के प्रसारण अधिकारों को लेकर भारत में कई प्लेटफ़ॉर्म तैयार किए गए हैं। स्पोर्ट्स 18 ने राष्ट्रीय स्तर पर स्थायी चैनल स्थापित किया है और जियो सिनेमा के साथ साझेदारी ने स्ट्रीमिंग की गुणवत्ता बढ़ा दी है। इस सहयोग के परिणामस्वरूप दर्शकों को खेलों की लाइव कवरेज बिना विज्ञापन देर के मिलने की संभावना है। इसके अतिरिक्त ESPN.in ने विस्तृत हाइलाइट्स और विश्लेषणात्मक सामग्री प्रदान करने का वादा किया है। वर्गीकरण प्रणाली में एटैक्सिया से लेकर दृष्टिदोष तक विभिन्न वर्गों की स्पष्ट व्याख्या की गई है। भारतीय एथलीटों ने इन वर्गीकरण के अनुसार प्रशिक्षण में विशेष तकनीकी उपकरण अपनाए हैं। हमें यह मानना चाहिए कि ऐसी तकनीकी सहायता बिना प्रतिस्पर्धा में अनुकूलन कठिन हो जाता है। बजट आवंटन के पक्ष में कहा जा सकता है कि सरकार ने पिछले दो वर्षों में विशेष फंड निकाला है, परन्तु वह फंड अक्सर देर से वितरित होता है। इस कारण कई खिलाड़ी तैयारियों में बाधा महसूस करते हैं। निजी क्षेत्र की भागीदारी ने इस अंतर को कुछ हद तक पाट दिया है, क्योंकि कई कंपनियों ने वैकल्पिक कोचिंग और वैट सपोर्ट प्रदान किया है। यह सहयोग न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। डॉक्टरों और काउंसलरों की उपलब्धता में सुधार ने एथलीटों के प्रदर्शन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। इसी प्रकार, व्यापक मीडिया कवरेज ने सार्वजनिक जागरूकता बढ़ायी है और आगे के निवेश को प्रेरित किया है। अंततः, यदि सभी स्तम्भ-वित्तीय, तकनीकी, चिकित्सीय और सामाजिक-सतर्कता से कार्य करें तो भारत के पदक लक्ष्य को प्राप्त करना मात्र संभावना नहीं, बल्कि वास्तविकता बन सकती है।
    इसलिए, राष्ट्रीय पीपीजी कमेटी को इन सुझावों को तुरंत कार्यान्वित करना चाहिए।

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