ओडिशा के तीरंदाजों का राष्ट्रीय मंच पर आगमन
भारत में खेलों के क्षेत्र में अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को मौका मिलने में कठिनाई होती है। ऐसे परिवेश में वेदांता एल्युमिनियम की खेल पहल एक मिसाल पेश करती है, जिसने ओडिशा के कालाहांडी के युवा तीरंदाजों को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया है। यहां का वातावरण और संसाधनों की कमी से खिलाड़ियों का विकास प्रभावित होता है, लेकिन वेदांता एल्युमिनियम ने इस दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाते हुए इन प्रतिभाशाली युवाओं को सीमाओं से बाहर निकलने का अवसर दिया है।
खेल विकास में वेदांता का योगदान
वेदांता एल्युमिनियम के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत, बच्चों को सभी जरूरी सुविधाएं और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया। इससे वे अपनी प्रतिभा को बेहतर तरीके से निखार सके और राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपनी छाप छोड़ सके। इस आयोजन के तहत, कंपनी ने उनकी कोचिंग, उपकरण और अन्य सुविधाओं की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है। यह न केवल उनकी तकनीक को सुधारने में सहायक रहा है, बल्कि खिलाड़ियों में आत्मविश्वास बढ़ाने का भी कार्य कर रहा है।
राष्ट्रीय प्रतियोगिता: एक महत्वपूर्ण कदम
स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआई) में चयनित होना खुद में एक बड़ी उपलब्धि है। यह दर्शाता है कि ओडिशा जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी उभर सकते हैं। वेदांता के इस प्रयास ने इन बच्चों को ऐसी प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेने का हौसला दिया है, जहां वे अपनी क्षमताओं को चुनौती देते हैं।
युवा खिलाड़ियों के लिए नए द्वार
यह पहल न केवल खिलाड़ियों को, बल्कि समाज के अन्य युवाओं को भी प्रेरणा देती है कि वे खेल को करियर के रूप में अपनाने का विचार करें। वेदांता एल्युमिनियम का यह प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए एक आदर्श मॉडल साबित हो सकता है। इस सफलता से प्रेरित होकर अन्य कंपनियां और संस्थान भी इसी दिशा में कदम उठाएं, तो शायद भारतीय खेल परिदृश्य में बड़ी क्रांति लाई जा सके।
साधारण व्यवस्था और सीमित संसाधनों के बावजूद, इन तीरंदाजों ने अपनी मेहनत और लगन का परिचय देते हुए एक नई मिसाल कायम की है। ओडिशा के इन युवाओं के आने वाले समय में और भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है, जिसके लिए हमें उनके समर्थन में पीछे नहीं हटना चाहिए।
Vinod Mohite
15.11.2024वेदांता एल्युमिनियम का यह प्रयास खेल विज्ञान के उच्च मानकों के अनुरूप है
Rishita Swarup
22.11.2024इसे केवल तेरह को अपनी कंपनी की छवि चमकाने के लिए नहीं बनाया गया। पीछे छिपे हुए एजेंडों का असर हमेशा रहता है, और कभी-कभी स्थानीय राजनीति इसमें जुड़ी होती है। इस तरह की पहलों को सतही तौर पर तो सराहा जाता है, पर गहराई में कई अप्रकाशित लाभों का लेन-देन चल रहा है।
anuj aggarwal
29.11.2024वेदांता की इस पहल में संसाधन का ठीक वितरण नहीं दिखता, सिर्फ दिखावा है। अगर सच्ची वृद्धि चाही तो दीर्घकालिक प्रशिक्षण और स्काउटिंग नेटवर्क को निवेश करना चाहिए।
Sony Lis Saputra
6.12.2024भाईयों और बहनों, ऐसी पहलों से हमारे गाँवों के तीरंदाज़ों को नई रोशनी मिलती है, सच में दिल से बधाई। हमें इस सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखना चाहिए और आगे भी स्थानीय कोचिंग सत्रों को बढ़ावा देना चाहिए।
Kirti Sihag
12.12.2024वाओ! यह तो एक सपना जैसा लग रहा है 🌟😭। ओडिशा के युवा तीरंदाज़ों की यह यात्रा अब हमारी राष्ट्रीय पहचान की गाथा बन जाएगी! 🙌✨
Vibhuti Pandya
19.12.2024सच में सोनी की बात से मैं पूरी तरह सहमत हूँ, हमें इस सहयोगी भावना को आगे बढ़ाना चाहिए। मैं अपने स्थान से छोटे समूहों को भी इसी तरह के उपकरण उपलब्ध कराऊँगा।
Aayushi Tewari
26.12.2024वेदांता एल्युमिनियम द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने युवा तीरंदाज़ों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसे प्रयास राष्ट्रीय खेल परिदृश्य को समृद्ध बनाते हैं।
Rin Maeyashiki
2.01.2025यारों, जब हम देखते हैं कि छोटे-छोटे गाँवों से प्रतिभा राष्ट्रीय मंच पर चमक रही है, तो दिल गदगद हो जाता है।
वेदांता एल्युमिनियम ने जिस तरह से इन तीरंदाज़ों को जरूरी साधन और कोचिंग दी है, वह वाकई काबिले तारीफ़ है।
यह पहल न सिर्फ इन बच्चों के भविष्य को सशक्त बनाती है, बल्कि पूरे राज्य के खेल प्रेमियों को प्रेरित करती है।
जब कोई युवा अपने लक्ष्य की ओर दृढ़ता से आगे बढ़ता है, तो हम सभी को उसकी ऊर्जा मिलती है।
मैं चाहूँगा कि हर स्कूल में ऐसा ही प्रशिक्षण कार्यक्रम मौजूद हो, जिससे हर बच्चा अपने सपनों को पंख दे सके।
अगर ये तीरंदाज़ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जाएंगे, तो हमें उनका पूर्ण समर्थन देना चाहिए।
उनकी जीत सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे ओडिशा की उपलब्धि होगी।
अगर सरकार और निजी संस्थाएं इस मॉडल को अपनाएँ, तो भारत के खेल परिदृश्य में एक क्रांति आएगी।
हर खिलाड़ी को ऐसे मंच पर लाने के लिये निरंतर फंडिंग और उचित सुविधाएँ आवश्यक हैं।
साथ ही कोचों को भी लगातार प्रशिक्षण देना चाहिए, ताकि वे नई तकनीकों से लैस रहें।
मैं देखता हूँ कि इस तरह की पहलें सामाजिक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
साइंस, टेक्नोलॉजी और खेल का संगम ही हमारी नई पीढ़ी को मजबूत बनाता है।
आइए हम सब मिलकर इन युवा तीरंदाज़ों को अपना समर्थन दें, चाहे वह शब्दों में हो या कार्रवाई में।
वेदांता ने यह दिखाया है कि उद्योग और खेल का साझेदारी कितना फलदायक हो सकता है।
भविष्य में हम इन बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देखना चाहेंगे, जहाँ वे भारत का मान बढ़ाएँ।
तो चलिए, इस ऊर्जा को बरकरार रखें और आगे भी ऐसे ही उज्ज्वल प्रयासों को सराहें।
Paras Printpack
9.01.2025अरे रोचक, मानो तीरंदाज़ों की प्रेरणा से ही GDP बढ़ेगी, कितना शानदार विश्लेषण है।
yaswanth rajana
16.01.2025इस सकारात्मक विकास को देखते हुए, मैं स्थानीय स्तर पर अतिरिक्त प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने की पेशकश करता हूँ, जिससे हमारे तीरंदाज़ों को निरंतर मार्गदर्शन मिल सके।
Roma Bajaj Kohli
23.01.2025देश के खेल को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए ऐसी पहलें आवश्यक हैं, हमें अपने युवाओं को हर संभव समर्थन देना चाहिए।
Nitin Thakur
30.01.2025ऐसी पहलों का अस्तित्व सामाजिक जिम्मेदारी दर्शाता है लेकिन कई बार सतही सराहना ही रहती है