दिल्ली में दीवाली के पटाखों से खराब हुई वायु गुणवत्ता: प्रदूषण स्तर 400 के करीब

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दिल्ली में दीवाली के पटाखों से खराब हुई वायु गुणवत्ता: प्रदूषण स्तर 400 के करीब

दीवाली और प्रदूषण की समस्या

हर साल की तरह इस साल भी दीवाली के मौके पर दिल्ली की वायु गुणवत्ता में भरी गिरावट देखने को मिली है। पटाखों का शोर और धुंआ न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी समस्या बनता जा रहा है। नवंबर नया साल शुरू होने के साथ ही जैसे ही दीवाली का त्यौहार आता है, दिल्ली के अधिकतर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) का स्तर 400 के करीब पहुचँ जाता है। इस बार भी पटपड़गंज, नेहरू नगर, अशोक विहार और ओखला जैसे इलाके खतरनाक स्तर पर पाए गए।

पटाखों का कुप्रभाव

पटाखों के जलाने से जो मलिन और विषाक्त तत्व वातावरण में फैलते हैं, वो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं। पटाखों से निकलने वाला धुआं और धूल सतह पर बसे कणों को प्रभावित करता है, जिससे PM 2.5 और PM 10 का स्तर बढ़ता है। यह छोटे कण फेफड़ों तक पहुंच कर श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। इस साल भी दीवाली की रात के बाद सुबह तक इन तत्वों का स्तर कई गुणा बढ़ चुका था। इसके कारण कई इलाकों में वायु गुणवत्ता बेहद खतरनाक स्तर तक पहुंची है।

स्वास्थ्य के प्रति खतरा

प्रदूषण का सबसे बड़ा असर हमेशा से स्वास्थ्य पर ही पड़ता है। बुजुर्ग, बच्चे और अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह स्तर खतरनाक साबित होते हैं। वायु गुणवत्ता में गिरावट के कारण सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं सामान्य होती जा रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे समय में घर के अंदर ही रहना और जरूरी उपाय करना ही बेहतर होता है।

अन्य कदम और सुझाव

आवश्यक उपायों में शामिल है कि लोग घरों के अंदर रहकर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें। बाहर जाने से पहले N95 मास्क पहनना भी जरूरी हो गया है। इसके साथ ही प्रशासनिक स्तर पर भी कई कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो। दीवाली के मौके पर प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए पटाखों पर सख्ती से रोक लगाने की जरूरत है।

भविष्य की दिशा

दीवाली जैसे त्यौहार के समय प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। लोगों को भी यह समझना होगा कि उनके मौज मस्ती के साधनों का दूसरे लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर खराब असर पड़ सकता है। इस दिशा में जागरूकता बढ़ाकर और वैकल्पिक उत्सव मनाने के तरीकों को अपनाकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है। समय की आवश्यकता है कि हम पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सभी त्यौहार मनाएं।

मनीष तिलक

लेखक के बारे में मनीष तिलक

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

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