पुरी में दो दिवसीय रथ यात्रा का शुभारंभ, लाखों श्रद्धालु जुटे

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पुरी में दो दिवसीय रथ यात्रा का शुभारंभ, लाखों श्रद्धालु जुटे

पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा महोत्सव का आगाज

पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा का शुभारंभ हो चुका है। इस वर्ष यह महोत्सव दो दिनों तक चलेगा, जो पिछले 53 वर्षों में पहली बार हो रहा है। यह आयोजन एक अद्वितीय खगोलीय संयोग के कारण विस्तार किया गया है। रथ यात्रा, जिसे 'चैरियट फेस्टिवल' भी कहा जाता है, आमतौर पर द्वितीय तिथि, शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन, आषाढ़ हिन्दू चंद्र मास के दौरान आयोजित की जाती है।

रथ यात्रा का महत्व

रथ यात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को लकड़ी के रथों पर बैठाया जाता है और उन्हें पुरी के जगन्नाथ मंदिर से गुंडीचा मंदिर तक ले जाया जाता है। यह यात्रा आठ दिनों के बाद उनके वापस लौटने के साथ समाप्त होती है। यह आयोजन अतिप्राचीन परंपरा को मनाने के लिए होता है और इसमें धार्मिक उत्साह की झलक मिलती है।

रथ यात्रा के मुख्य समारोह

इस वर्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सैकड़ों हजारों श्रद्धालुओं के साथ रथ यात्रा में भाग लिया। यात्रा से पहले 'नबजौबन दर्शन' हुआ, जिसमें पुरोहितों ने एक विशेष अनुष्ठान 'नेत्र उत्सव' को संपन्न किया। इस अनुष्ठान में भगवान की आँखों की ताजगी को दर्शाने के लिए उनके नेत्रों को पुनः चित्रित किया जाता है।

रथ यात्रा के दौरान ओडिसी नर्तकियों ने भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों के सामने अद्भुत नृत्य प्रस्तुत किया। गर्म और आर्द्र मौसम की संभावना के चलते उपस्थित जनसमुदाय के लिए जल छिड़कने जैसे उपाय अपनाए गए। आयोजकों के मुताबिक, इस वर्ष रथ यात्रा में 10 से 15 लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।

उत्सव की विशेषताएं

उत्सव की विशेषताएं

इस यात्रा का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है। भक्तजन बड़ी संख्या में भगवान के दर्शन हेतु आते हैं। इस ऐतिहासिक त्योहार में जनसमुदाय द्वारा भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। रथ यात्रा के दौरान श्रद्धालु भगवान के रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं, जिसे अति पवित्र माना जाता है।

महोत्सव स्थल और अन्य प्रमुख स्थानों पर सुरक्षा वयवस्थाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए AI-आधारित CCTV कैमरों को स्थापित किया गया है। सुरक्षा के साथ-साथ स्वच्छता और सुविधाओं का भी विशेष ख्याल रखा गया है। यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दायरे में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

रथ यात्रा के इस महापर्व में ओडिशा सरकार और स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। उत्सव को सफल बनाने के लिए कई प्रकार की तैयारियां की गई हैं। पुलिस बल और वॉलंटियरों की तैनाती की गई है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

उत्सव का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

उत्सव का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

रथ यात्रा का धार्मिक महत्व असीमित है। यह आयोजन भगवान और भक्तों के बीच संवाद का प्रतीक माना जाता है। भगवान जगन्नाथ का यह वार्षिक यात्रा कार्यक्रम लाखों श्रद्धालुओं को एकजुट करता है और उन्हें भगवान के प्रति अपनी भक्ति दिखाने का अवसर प्रदान करता है।

यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी आस्था के प्रतीक के रूप में भगवान के दर्शन करते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इस पवित्र आयोजन का हिस्सा बनना हर भक्त के लिए गर्व का विषय होता है।

इस महोत्सव की सफलता और उल्लास का श्रेय उन सभी श्रद्धालुओं को जाता है, जो इस उत्सव का हिस्सा बने हैं। यह न केवल पुरी, बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष में धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।

समाप्ति

पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा न केवल एक धार्मिक महोत्सव है, बल्कि यह हमारे समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक भी है। लाखों श्रद्धालुओं का एक साथ जुटना यह दर्शाता है कि हमारी आस्था और भक्ति में कितनी शक्ति है। यह महोत्सव हर साल नई उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है, और इस वर्ष दो दिनों तक चलने वाला यह आयोजन निश्चित रूप से सभी के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।

मनीष तिलक

लेखक के बारे में मनीष तिलक

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

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