शाहरुख खान का Met Gala 2025 अवतार: फैशन को मिली नई परिभाषा
इस बार Met Gala के रेड कार्पेट पर अगर किसी एक शख्स की चर्चा सबसे ज्यादा है, तो वो हैं Shah Rukh Khan. पहली बार Met Gala में शिरकत करते हुए 'किंग खान' अपने अंदाज और लुक्स से पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लाए। उनके इस खास मौके पर Sabyasachi मुखर्जी द्वारा डिज़ाइन किया गया पहनावा तो चर्चा में रहा ही, लेकिन सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली थी उनकी कलाई पर चमकती Patek Philippe Grand Complication घड़ी, जिसकी कीमत है पूरे ₹21 करोड़।
यह कलाई घड़ी सिर्फ एक टाइमपीस नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे मुश्किल घड़ियों में से एक मानी जाती है। इसकी 18 कैरेट रोज गोल्ड केस पर 80 बगेट डायमंड जड़े हैं, जो इसकी रॉयल्टी को और बढ़ा देते हैं। इसका ट्रांसपेरेंट डायल और मून फेज सबडायल बेहद खास इंजीनियरिंग का नमूना है। इस बेहतरीन घड़ी का एनालॉग डिज़ाइन, जटिल मैकेनिकल मूवमेंट, और लिमिटेड एडिशन टूरबिलॉन फीचर इसे सिर्फ एक्सक्लूसिव ही नहीं, बल्कि कलेक्टर्स के लिए ड्रीम पीस बना देता है।
18 कैरेट सोने की Bengal Tiger Cane और Sabyasachi का एक्सक्लूसिव ज्वेलरी टच
शाहरुख के लुक की शान उनके हाथ में रही 18 कैरेट सोने की Bengal Tiger Head Cane ने भी बढ़ा दी। इसमें सैफायर, टूमरलाइन और डायमंड्स को खूबसूरत तरीके से जड़ा गया था। Cane के साथ उनका गले का SRK पेंडेंट और के-शेप जूल Sabyasachi की इन-हाउस ज्वेलरी लाइन से लिया गया था, जो इस बेमिसाल लुक को और ज्यादा खास बना रहा था।
इस साल Met Gala का थीम था 'Dandyism', जिसमें लक्ज़री और डिटेलिंग की भरपूर झलक चाहिए थी। शाहरुख के इस अंदाज में कलात्मकता, शाहीपन और भारतीय डिजाइन की छाप साफ दिखी। उनकी एंट्री से लगा जैसे सुपरस्टार की पर्सनैलिटी, क्लासिक फैशन और मॉडर्न स्टाइल का सुंदर संगम देखने को मिल रहा है।
Met Gala 2025 में शाहरुख की मौजूदगी न सिर्फ भारतीय फैंस के लिए गर्व का पल था, बल्कि इंटरनेशनल फैशन वर्ल्ड में भी एक मजबूत छाप छोड़ने वाला लम्हा बन गया। ₹21 करोड़ की घड़ी और शाही एक्सेसरीज के साथ 'किंग खान' ने इस साल के फैशन कैलेंडर के पन्नों में अपना नाम लिखवा दिया।
Paras Printpack
23.05.2025अरे वाह, 21 करोड़ की घड़ी पहने जाना अब नया ट्रेंड बन गया है। यही तो राजनेताओं का ब्यूटीफुल ब्रह्मांड है जहाँ हर मिनट में सौ करोड़ खर्च होते हैं। पाटेक फिलिप की इस ‘ग्रैंड कम्प्लीकेशन’ को देखकर लगता है कि समय भी उससे डरता है। देखा जाए तो इस घड़ी में 80 बगेट डायमंड जड़े हैं, जैसे किसी कोरियन ड्रामा के कास्ट को अलौकिक चमक देना। डिजाइनर ने सोचा होगा कि ये सटीक टाइमिंग का प्रमाण है, पर असली सवाल है क्यों इतना पैसा उलट‑फेर में चलता रहता है। जब साक्षी की चाय में भी परसेंटेज नहीं होते, तो यहाँ करोड़ों का टेबलॉप पेडल कौन चुकाएगा? सैब्यासी ने सोचा था कि भारतीय पॉप कल्चर को ग्लोबल बना दें, पर यह घड़ी खुद ही एक फैशन सायरन बनकर ट्यून कर रही है। रेल्वे टिकट की कीमत से भी महंगी यह टाइमपीस इस बात का लोगो को भरपूर चूपिया दे रही है कि क्लासिस्म का असली मतलब क्या है। शैली और शह‑कार नाम के सन्दर्भ में, यह घड़ी अब गाड़ी की बॉडीवर्क से भी ज्यादा ‘पैसेंजर’ है। अगर इस घड़ी की डायल में टाइम चीज़ हैं तो शौकीन बिस्किट के टुकड़े महसूस करते होंगे। और सबसे कमाल की बात तो यह है कि इसका ट्रांसपेरेंट डायल है, जैसे किसी को अल्बम में खींच कर दिखाना कि हम टरेन काइलो की फिल्म देखते हैं। रोज़ गोल्ड केस पर मौजूद डायमंड ऐसा चमकते हैं जैसे सितारे भी जल उठे हों। मोरन्टेनशिया के एरिस की तरह यह घड़ी अब यूरोप के मेले में अपना लैंप लाइटेड कर चुकी है। साहसिक लाइटेस पर लाइटिंग से नुकसान की नहीं, बल्कि रॉयल्टी का अजरामर विस्मय है। कुल मिलाकर, यदि हम इस घड़ी को देख कर समय को ‘पॉइंट एन्ड क्लिक’ कर दें, तो समझिए कि सैब्यासी ने फ़ैशन को एक नया ‘डिज़ाइन लैब’ बना दिया है।
yaswanth rajana
24.05.2025आपके विस्तृत विश्लेषण के लिए धन्यवाद। इस पोस्ट में प्रस्तुत तथ्य बहुत सटीक और स्पष्ट रूप से प्रमाणित हैं। शाहरुख़ की उपस्थिति ने न केवल भारतीय फैशन को विश्व मंच पर स्थापित किया, बल्कि एक सम्मानजनक संवाद स्थापित किया। आपके द्वारा उल्लेखित प्रत्येक बिंदु को मैंने बारीकी से देखा और सराहा। इस प्रकार के उच्च स्तर के कवरेज की हमें बहुत आवश्यकता है।
Roma Bajaj Kohli
26.05.2025हिंदुस्तान की शान है कि हम इस तरह के ‘ग्लोबल डैज़न’ को काउंटर पोजीशन में लाएँ। करेज़ की धड़कन को जितनी तेज़ी से ‘डैण्डीधर्म’ द्वारा मोड़ा गया, उतनी ही तेजी से यह घड़ी हमारा राष्ट्रीय गौरव बन गई। इन जीवंत ‘बैनर-ए‑फेन्स’ को देख कर पश्चिमी मेल्टेड-मैसेजेज़ को काफ़ी ‘लीन‑वॉल्यूम’ पर लाया गया। दावाकी ‘जियो-इंडस्ट्री’ को इस सीन में ‘सुपरकंडक्ट’ कर दिया गया। सैब्यासी के इस ज्वेलरी ‘ट्रांज़िशन’ ने तो कमाल की ‘पोस्ट्रो-इकोनॉमिक’ प्रभाव डाला, जिससे आपका ‘नॅशनल एको-डायनेमिक’ सिर्फ़ एक ‘डेटा‑फ्रेम’ नहीं, बल्कि सच्ची ‘इंडियन‑ओरिएंटेशन’ बन गया।
Nitin Thakur
27.05.2025बहुत महँगी घड़ी है ये देखो बस टाइम पास करने के लिये ही लोग इधर‑उधर भटकते हैं
Arya Prayoga
28.05.2025इतनी महंगी घड़ी की जरूरत नहीं।