आम आदमी पार्टी (AAP) ने आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए अपनी चौथी सूची जारी की है, जिसमें 21 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। इस सूची के साथ प्रचार अभियानों में तीव्रता देखने को मिल रही है। पार्टी ने अपनी पहली सूची में 20 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए थे, तो दूसरी और तीसरी सूची में क्रमशः 20 और 21 उम्मीदवारों के नाम शामिल थे। अब तक कुल 61 उम्मीदवारों के नाम घोषित हो चुके हैं।
इस चौथी सूची में प्रमुख उम्मीदवारों के नाम हैं - कविता दलाल, जो जुलाना से चुनाव लड़ेंगी और उनका मुकाबला कांग्रेस की विनीश फोगाट और बीजेपी के योगेश बैरागी से होगा। राज कौर गिल अंबाला छावनी से खड़ी होंगी, सुनील बिंदल करनाल से और निशांत आनंद गुरुग्राम से चुनावी मैदान में होंगे।
चुनाव की तैयारी
हरियाणा विधानसभा चुनाव 5 अक्टूबर को होने जा रहे हैं और नामांकन प्रक्रिया की अंतिम तिथि 12 सितंबर है। आम आदमी पार्टी की रणनीति और उम्मीदवार चयन को देखते हुए पार्टी ने बड़े जोश और उत्साह के साथ यह सूची जारी की है। उम्मीदवारों में जहां युवा चेहरों को मौका दिया गया है, वहीं अनुभवी नेताओं को भी शामिल किया गया है।
पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि AAP ने हरियाणा में पिछली बार 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन कोई सफलता हासिल नहीं हुई। इस बार का चुनाव पार्टी के लिए एक नया अवसर है और AAP हरियाणा में जीत के लिए पूरी ताकत लगा रही है। यही वजह है कि उम्मीदवारों का चयन बेहद सोच-समझकर किया गया है, जिससे जनता का भरोसा जीता जा सके।
कविता दलाल के चुनावी मुद्दे
कविता दलाल, जिन्हें जुलाना से उम्मीदवार घोषित किया गया है, उनके चुनाव प्रचार में मुख्य मुद्दे होंगे महिला सुरक्षा, शिक्षा में सुधार, और रोजगार के अवसर। कविता का कहना है कि हरियाणा में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है और वे इस पर गंभीरता से काम करेंगी। इसके अलावा, वे शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।
पार्टी की घोषणा से प्रतिक्रियाएं
AAP ने जब अपनी चौथी सूची जारी की, तो हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मच गई। कांग्रेस और बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने AAP के इस कदम की निंदा की, लेकिन कई स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनावी रणनीति AAP के पक्ष में जा सकती है।
राज्य का राजनीतिक माहौल
हरियाणा में हाल के वर्षों में राजनीतिक वातावरण बदल रहा है। कांग्रेस और बीजेपी जैसी प्रमुख पार्टियों के बीच राजनीतिक खींचतान बनी हुई है। यद्यपि कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनावों में AAP के साथ सीट-बंटवारे का समझौता किया था, लेकिन इस बार उन दोनों ने अकेले-अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
प्रदेश में किसानों के मुद्दे, बुनियादी ढांचागत विकास, और बेरोजगारी जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। इन मुद्दों पर हर पार्टी ने अपने-अपने चुनावी घोषणापत्र में विस्तृत योजनाएँ पेश की हैं। AAP ने भी अपने घोषणापत्र में इन मुद्दों पर फोकस किया है जिसे वह चुनाव के दौरान जोर-शोर से प्रचारित करेगी।
चुनाव प्रचार और कैम्पेन
AAP ने चुनाव प्रचार को लेकर पूरी तैयारी कर ली है। सभी उम्मीदवारों को अपने-अपने क्षेत्रों में व्यापक जनसंपर्क करने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स का भी अधिकाधिक उपयोग हो रहा है ताकि युवा वोटर को प्रभावित किया जा सके। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और अन्य वरिष्ठ नेताओं द्वारा प्रचार रैलियां और सभाएं आयोजित की जा रही हैं।
पार्टी ने अपने चुनावी अभियान में विशेष ध्यान देते हुए महिला उम्मीदवारों को भी बड़ी संख्या में टिकट दिए हैं, ताकि यह संदेश जाए कि पार्टी महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दे रही है। कविता दलाल जैसी अनुभवी महिला नेता की उम्मीदवारी इसी रणनीति का हिस्सा है।
पहले के चुनावी नतीजे
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में AAP ने 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी। उस समय पार्टी की रणनीति और उम्मीदवार चयन की काफी आलोचना हुई थी। इस बार पार्टी ने उन सभी आलोचनाओं को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार चयन और चुनावी रणनीति को तैयार किया है ताकि पिछले चुनावी नतीजों में सुधार हो सके।
AAP के नेताओं का कहना है कि पार्टी ने पिछले चुनावों से सबक सीखा है और इस बार आम जनता के मुद्दों को गंभीरता से लिया है। पार्टी ने अपने घोषणापत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, और महिला सुरक्षा को प्रमुखता दी है।
AAP के वरिष्ठ नेताओं का आत्मविश्वास
पार्टी के वरिष्ठ नेता, जिनमें अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का नाम प्रमुख है, इस बार चुनाव अभियान में अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनका कहना है कि हरियाणा में AAP के लिए एक बड़ा अवसर है और पार्टी इस बार कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती।
अंततः, आम आदमी पार्टी की चौथी सूची के जारी होने के बाद हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। अब देखने वाली बात होगी कि पार्टी की यह रणनीति कितनी सफल होती है और जनता का समर्थन कितना मिलता है।