05 अप्रैल 2025 को चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी का पंचांग – शुक्ल अष्टमी, शुभ मुहूर्त और राही काल

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05 अप्रैल 2025 को चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी का पंचांग – शुक्ल अष्टमी, शुभ मुहूर्त और राही काल

चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी के प्रमुख पहलू

05 अप्रैल 2025 को शनिवार को चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी पड़ती है, जो शुक्ल अष्टमी तिथि की समाप्ति तक (शाम 7:26 बजे) चलती है। यह अष्टमी माँ महागौरी को समर्पित है और शनि (शनिवार) के साथ इसका विशेष योग बनाता है, जिससे बाधाओं पर मात पाने की आशा बढ़ती है।

दिन का पुर्नवसू नक्षत्र अधिकांश कार्यों के लिये अनुकूल माना जाता है; यह ऊर्जा को स्थिरता और सकारात्मकता देता है। चंद्रमा 11:25 बजे तक मिथुन (मिथुन) राशि में रहता है, उसके बाद कर्क (कर्क) में प्रवेश करता है, जबकि सूर्य मीन (मीन) राशि में स्थिर है। यह ग्रहण स्थितियां आध्यात्मिक कार्यों को समर्थन देती हैं।

  • सूर्योदय : 6:15 एएम
  • सूर्यास्त : 6:37 पीएम
  • चन्द्रोदय : 11:41 एएम
  • चन्द्रास्त : 1:31 एएम (अगले दिन)

शुभ और अशुभ समय की विस्तृत जानकारी

जो लोग नए प्रोजेक्ट शुरू करना चाहते हैं या विशेष पूजा करना चाहते हैं, उनके लिये अभिजीत मुहूर्त 11:59 एएम से 12:49 पीएम तक सबसे अनुकूल है। इस एक घंटे के दौरान नयी पहलें सफलता की ऊँचाइयों को छू सकती हैं।

वहीं, राहु काल 9:15 एएम‑10:50 एएम के बीच पड़ता है। इस अवधि में किसी भी नई शुरुआत या महत्वपूर्ण कार्य से बचना बेहतर रहता है, क्योंकि यह समय बाधाओं और अप्रत्याशित समस्याओं की संभावना बढ़ा देता है।

अन्य अशुभ काल में यमगंडा (2:15 पीएम‑3:48 पीएम) और गुलेटिका काल (6:27 एएम‑8:00 एएम) शामिल हैं। इन समयों में यात्रा, शिल्प कार्य या कोई भी आध्यात्मिक अनुष्ठान टालना उचित माना जाता है।

भौगोलिक दिशा के संदर्भ में, इस दिन पूर्व दिशा (ईस्ट) में दिशा शूल है। इसलिए यात्रा या कोई भी महत्वपूर्ण काम पूर्व की ओर करने से बचना चाहिए।

धार्मिक रूप से, इस महा अष्टमी पर कई प्रमुख रिवाज़ किए जाते हैं – उपवास, माँ महागौरी की विशेष पूजा, और कन्न्या पूजा जहाँ युवा लड़कियों की पूजा द्वारा देवीत्व का सम्मान किया जाता है। शनिवार के साथ अष्टमी का संयोग शनि की कठोरता को कम करने के लिये विशेष मंत्रों और दुर्गा चालीसा के पाठ को और अधिक प्रभावी बनाता है।

वर्तमान शाका संवत 1947 और विक्रम संवत 2082 में यह दिन विशेष महत्व रखता है, इसलिए पारम्परिक पंचांग रखने वाले लोग इस विवरण को अपने धार्मिक एवं सामाजिक कैलेंडर में नोट कर लेते हैं।

समय‑सार परिणामों को अधिकतम करने के लिये उपर्युक्त शुभ समय का चयन, और असामयिक कालों से बचना, इस महा अष्टमी को आध्यात्मिक उन्नति और व्यक्तिगत सफलता के लिये एक आदर्श मंच बनाता है।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

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