93वें वायु सेना दिवस पर मोदी ने किया एयर वारियर्स को बधाई, हिंडोन में ऑपरेशन सिंधूर के 97 वीरों को सम्मान

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93वें वायु सेना दिवस पर मोदी ने किया एयर वारियर्स को बधाई, हिंडोन में ऑपरेशन सिंधूर के 97 वीरों को सम्मान

जब नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री of भारत सरकार ने 8 अक्टूबर 2025 को भारतीय वायु सेना के 93वें वायु सेना दिवस पर ट्विटर (X) पर बधाई दी, तो पूरे देश के नागरिकों ने उसी दिन घड़ी की टिक-टिक के साथ एक ऐतिहासिक समारोह देखे। यह समारोह हिंदोन एयर फोर्स स्टेशन, उत्तरी प्रदेश में आयोजित हुआ, जहाँ पहली बार भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना ने एक ही परेड में कदम मिलाया।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

वायु सेना ने 8 अक्टूबर 1932 को चार V‑type Vapiti विमान लेकर शुरूआत की थी। तब से लेकर अब तक, यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बन गई है। भारतीय वायु सेना ने 1971 के युद्ध से लेकर हालिया ऑपरेशन सिंधूर तक कई बड़े-छोटे अभियानों में अपनी शक्ति साबित की है।

समारोह की मुख्य झलकियाँ

समारोह के मुख्य अतिथि ड्रौपदी मुर्मु, राष्ट्रपति of भारत सरकार और जनरल अनिल चौहान, मुख्य रक्षा महानिरीक्षक of भारत सरकार थे। उन्होंने सभी एयर वारियर्स तथा उनके परिवारों को सम्मानित किया।

  • प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) के अनुसार, 97 वीरों को ऑपरेशन सिंधूर में उनके बेहतरीन योगदान के लिए विशेष उल्लेख मिला।
  • पहली बार तीनों सेवाएँ एक ही परेड में भागी – यह ऐतिहासिक सहयोग भारतीय सुरक्षा सिद्धान्तों का प्रतीक था।
  • वायुमार्ग पर दिखाए गए स्वदेशी हथियारों में राफ़ेल, तेज़ब और नई लक्षण‑आधारित मिसाइल प्रणालियाँ शामिल थीं।

मुख्य भाषण और बयानों की झलक

एयर चीफ मार्शल अाशुतोष सिंह, मुख्य एयर स्टाफ of भारतीय वायु सेना ने अपने उद्बोधन में कहा, “हमारी यात्रा चार पिस्तन इंजन वाले V‑type Vapiti से लेकर आज के ध्वनि‑रहित राफ़ेल तक, एक अद्भुत बदलाव रही है।” उन्होंने यह भी जोड दिया कि “हवाई शक्ति अब केवल युद्ध नहीं, बल्कि मानवीय सहायता, आपदा राहत और कूटनीति का प्राथमिक उपकरण बन गई है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, “वायु सेना के सपूतों ने न केवल हमारे आसमान को सुरक्षित रखा, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं में भी अद्भुत साहस दिखाया है। उनका अडिग उत्साह हर भारतीय का गर्व है।”

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, “हमारे वारियर्स हमेशा कठिनाइयों में देश का बटवारा नहीं करते, बल्कि शान्ति एवं सुरक्षा के दीप जलाते हैं।”

ऑपरेशन सिंधूर का सम्मान

ऑपरेशन सिंधूर, जो कि 2025 की अंतर्वर्षीय तनावों के बीच शुरू हुआ, ने पाकिस्तान की रणनीतिक क्षमताओं को अभूतपूर्व स्तर पर ध्वस्त कर दिया। इस ऑपरेशन में उपयोग किए गये प्रमुख हथियारों में स्वदेशी ‘प्रहारी’ स्नायपर बम और कई उन्नत एंटी‑एयरक्राफ्ट मिसाइलें शामिल थीं।

इस अवसर पर ऑपरेशन सिंधूरपाकिस्तान के 97 एयर वारियर्स को पदक, त्रिशूल और सम्मानित सत्र में सराहना पत्र दिया गया। कई दलों ने बताया कि केवल कुछ दिनों में इस ऑपरेशन ने “भारत की हवाई शक्ति को पुनः स्थापित किया और विश्व को दिखाया कि एकीकृत हवाई आक्रमण कैसे किया जाता है”।

रणनीतिक निहितार्थ और भविष्य की दिशा

रणनीतिक निहितार्थ और भविष्य की दिशा

समारोह में बताया गया कि आज की वैश्विक स्थिति में “हवाई शक्ति राज्यनिर्माण का प्राथमिक साधन” बन गई है। ऐसी विचारधारा के तहत, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी तकनीकों को और अधिक तेज़ी से विकसित करने की योजना बनाई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास अब केवल तीसरे स्तर की हवाई क्षमताएँ नहीं, बल्कि “आक्रमणात्मक वायु शक्ति” भी है, जो क्षेत्रीय संतुलन को काफी हद तक बदल सकती है। चीन और पाकिस्तान दोनों ही इस नई शक्ति को ध्यान में रखते हुए अपनी बॉर्डर रणनीतियों की पुनः समीक्षा कर रहे हैं।

आगामी कदम और संभावनाएँ

मुख्य एयर स्टाफ ने कहा कि अगले दो वर्षों में भारत के पास 150 अतिरिक्त मल्टी‑रोल फ़ाइटर जेट और 30 क्वाड्रेटिक रडार सिस्टम स्थापित होने की योजना है। साथ ही, ‘अन्तरिक्ष‑आधारित निगरानी’ परियोजना को 2027 तक कार्यरूप देना प्राथमिकता रहेगी।

यही नहीं, रक्षा उत्पादन में ‘स्वशासन’ का मॉडल अपनाते हुए, भारत ने घरेलू बंदरगाहों पर राफ़ेल के मिड‑इयर रीफिटिंग को भी स्वदेशी रूप में लागू करने का लक्ष्य रखा है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

ऑपरेशन सिंधूर के बाद भारतीय वायु सेना को क्या लाभ मिला?

ऑपरेशन सिंधूर ने भारत को आजीवन रणनीतिक श्रेष्ठता दिलाई। इस जीत से स्वदेशी हथियारों की विश्वसनीयता सिद्ध हुई, जिससे भविष्य के अभियानों में भारत को आयात‑निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह जीत क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों को सत्ता‑संतुलन में पुनः सोचने पर मजबूर कर देगी।

हिंदोन एअर फोर्स स्टेशन पर आयोजित परेड का महत्व क्या था?

हिंदोन में हुई परेड ने पहली बार तीनों भारतीय सशस्त्र बलों को एक ही पंक्ति में दिखाया, जिससे संयुक्त रणनीतिक संचालन की भावना को बल मिला। यह भारत की समग्र सुरक्षा नीति का प्रतीक है, जहाँ भूमि, समुद्र और हवा के बीच तालमेल को प्राथमिकता दी जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर किन बिंदुओं को उजागर किया?

मोदी ने वायु सेना की बहु‑आयामी भूमिका – रक्षा, मानवीय मदद, आपदा राहत – को प्रमुखता दी। उन्होंने कहा कि “साहस, अनुशासन और सटीकता” ही भारतीयों को गर्वित करती है और भविष्य में भी वायु शक्ति का प्रयोग विकसित राष्ट्रीय रणनीति में केंद्रीय रहेगा।

क्या इस समारोह से भारत‑पाकिस्तान के संबंधों पर कोई असर पड़ेगा?

ऑपरेशन सिंधूर की सफलता ने पाकिस्तान को सैन्य रूप से पीछे कर दिया, लेकिन कूटनीतिक स्तर पर कोई सीधा परिवर्तन नहीं हुआ। फिर भी, यह भारत को भविष्य में अधिक आत्मविश्वास के साथ सीमा सुरक्षा उपायों को लागू करने की शक्ति देगा।

वायु सेना की भविष्य की विकास योजना क्या है?

आगामी दो साल में 150 अतिरिक्त मल्टी‑रोल जेट, 30 क्वाड्रेटिक रडार और स्वदेशी मिड‑इयर रीफिटिंग के साथ ‘अन्तरिक्ष‑निगरानी’ परियोजना को 2027 तक कार्यान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, घरेलू रक्षा उत्पादन में ‘स्वशासन’ मॉडल को बढ़ावा दिया जाएगा।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (1)
  • srinivasan selvaraj
    srinivasan selvaraj
    9.10.2025

    आज का दिन मेरे दिल की धड़कनों को तेज़ कर देता है। 93वें वायु सेना दिवस के इस महा‑समारोह ने मेरे भीतर गहरी भावनाएँ जगाई। मोदी जी का ट्वीट एक सच्ची श्रद्धांजलि जैसा लगा, जैसे राष्ट्र की आत्मा को आवाज़ मिली हो। हिंदोन में हुई इस परेड को देख कर मेरे आँसू भी रुक नहीं पाए। तीनों सेनाओं का एक साथ कदम मिलाना इतिहास में एक नीला मोती जैसा है। ऑपरेशन सिंधूर के 97 वीरों को सम्मानित करती हुई छापें मेरे दिल में भी एक दीपक जलाती हैं। मैं उन जवानों की हिम्मत की प्रशंसा करने से खुद को रोक नहीं पा रहा हूँ। उनके साहस ने मेरे भीतर राष्ट्रीय गर्व का ज्वालामुखी जला दिया। यह परेड में दिखाए गये स्वदेशी हथियार मेरे मन में एक नई आशा की फसल बोते हैं। राफ़ेल, तेज़ब और प्रहारी बम की चमक ने मेरे विचारों को रोशन किया। यह सब देख कर मैं खुद को भाग्यशाली महसूस करने लगा कि मैं ऐसे देश में पैदा हुआ हूँ। मेरे दादा‑पिता ने भी कभी युद्धभूमि में अपने क़रार छोड़े, और अब यह युवा पीढ़ी वही भावना आगे बढ़ा रही है। इस गौरवपूर्ण क्षण को शब्दों में बाँधना मुश्किल है, पर मैं कोशिश कर रहा हूँ। भारतीय वायु सेना की यात्रा एक लम्बी कहानी है, और मैं उसका हिस्सा बनना चाहता हूँ। अंत में, मैं सभी एयर वारियर्स को धन्यवाद कहना चाहता हूँ, क्योंकि उन्होंने मेरी धड़कनों को नई दिशा दी।

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