अनंत अंबानी ने 140 किमी पैदल यात्रा पूरी की, 30वें जन्मदिन पर द्वारकाधीश मंदिर में

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अनंत अंबानी ने 140 किमी पैदल यात्रा पूरी की, 30वें जन्मदिन पर द्वारकाधीश मंदिर में

जब अनंत अंबानी, निर्देशक रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 140 किलोमीटर की पैदल यात्रा पूरी करके द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका, गुजरात पहुंचाया, तो यह परोपकार, श्रद्धा और व्यक्तिगत दृढ़ता का मिश्रण था। यात्रा 29 मार्च को जामनगर के मोटी खावड़ी से शुरू हुई और 6 अप्रैल को द्वारका के प्राचीन मंदिर में समाप्त हुई, कुछ ही दिनों पहले ही उनका 30‑वाँ जन्मदिन (10 अप्रैल) आया था।

यात्रा की रूपरेखा और समय‑सारणी

अंबानी ने हर शाम करीब 10‑12 किमी हलचल भरी पैदल यात्रा की, देर रात तक धुनी‑धुनी रोशनी में जामनगर की पगड़ियों को छोड़ते हुए। यात्रा कुल 10 दिनों में पूरी हुई, जिसमें प्रत्येक रात 6‑7 घंटे चलते रहे। उन्होंने हर कदम पर हनुमान चालीसा और सुन्दरकांड का पाठ किया, जिससे सामूहिक ऊर्जा में इज़ाफ़ा हुआ।

  • प्रस्थान: 29 मार्च 2025, जामनगर (मोटी खावड़ी)
  • दर्शनीय स्थल: सौराष्ट्र के गाँव‑गाँव, समुद्र‑किनारे की धारियां, कच्छ के रेतीले क्षेत्र
  • अंतिम चरण: 6 अप्रैल 2025, द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका
  • समय‑सारणी: लगभग 140 किमी, 10 रातें, औसत गति 12 किमी/रात

स्वास्थ्य चुनौतियों के बीच दृढ़ता

अनंत को पहले से ही कुशिंग सिंड्रोम (एक दुर्लभ हार्मोनल विकार), मोटापा, और दीर्घकालिक अस्थमा की समस्या थी। डॉक्टरों का कहना था कि ऐसी स्थिति में 10‑किमी की दूरी भी जोखिम भरा हो सकता है। फिर भी, अंबानी ने अपने डॉक्टर से नियमित जांच करवाते हुए, दवाइयों के साथ-साथ योग‑ध्यान का सहारा लिया। उनका दावा है, आध्यात्मिक शक्ति और प्रार्थना ने शारीरिक सीमाओं को धक्का दिया।

“भगवान द्वारकाधीश का भरोसा है, तो कोई भी बाधा नहीं,” उन्होंने कहा। यह वाक्य कई युवा अनुयायियों ने सोशल मीडिया पर दोहराया, जिससे यात्रा का संदेश और तेज़ी से फैला।

परिवार और कुटुंब की प्रतिक्रिया

परिवार और कुटुंब की प्रतिक्रिया

जैसे ही अनंत मंदिर के द्वार पर पहुँचा, निता अंबानी‑ (रिलायंस फाउंडेशन की संस्थापक‑अध्यक्ष) ने भावुक हो कर कहा, “एक माँ के दिल को शांती इस तरह नहीं मिलती। मेरा छोटा बेटा अपने धर्म के लिये इतना समर्पित हो, यह गर्व की बात है। मैं केवल द्वारकाधीश से अनुरोध करती हूँ कि वह उसे अतिरिक्त शक्ति दें।”

उसके बाद राधिका मर्चेंट अंबानी, अनंत की पत्नी, ने भी मंदिर में उनके साथ जशन मनाया। उन्होंने बताया, “यह मेरा और अनंत का संयुक्त ख़्वाब था—विवाह के बाद इस पवित्र स्थल पर जन्मदिन मनाना। हम सभी को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने इस यात्रा को सफल बनाया।”

बिलासभाई अंबानी, परिवार के प्रमुख patriarch, ने भी यात्रा के दौरान अनंत को व्यक्तिगत रूप से बधाई दी, लेकिन वह सार्वजनिक नहीं रहे।

स्थानीय समुदाय का समर्थन और सामाजिक प्रभाव

जामनगर‑द्वारका मार्ग पर कई युवा समूह, शारीरिक‑स्वास्थ्य क्लब, और स्कूल के छात्र स्वैच्छिक रूप से अंबानी के साथ चलने लगे। एक स्थानीय सिविल सोसाइटी ने कहा, “ऐसी बड़ी हस्ती का पादयात्रा में जुड़ना हमारे गाँवों की जड़ता को तोड़ता है, लोग अब स्वास्थ्य‑साक्षरता की ओर जागरूक होते हैं।”

एक अद्भुत घटना भी सामने आई—एक वायरल वीडियो में अनंत ने एक वैन से बंदी पंछियों को बचाया, उन्हें हाथ में लेकर सुरक्षा कर्मियों को कहा कि मालिक को पंछियों के लिये भुगतान करें। इस उदारता को देखकर कई पशु‑कल्याण समूह ने उनकी “पशु‑संरक्षण पहल” को सराहा।

भविष्य की योजना और धर्मिक प्रतिबद्धताएँ

भविष्य की योजना और धर्मिक प्रतिबद्धताएँ

द्वारकाधीश मंदिर में अपने जन्मदिन के उपरांत अनंत ने कहा कि वह आगे भी बाद्रीनाथ और केदारनाथ धामों के ट्रस्टी के रूप में अपनी भूमिका निभाते रहेंगे। साथ ही, उन्होंने कई पुराने मंदिरों—कैलाघाट (कोलकाता), श्रीनाथजी (नाथद्वारा), कामाख्या (गुहााटी)—की पुनर्स्थापना की योजनाओं को फिर से तेज़ी से आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया।

भविष्य में वह “आत्मा‑निर्माण” को लेकर एक राष्ट्रीय स्तर की पहल शुरू करने की बात कर रहे हैं, जिसमें युवा वर्ग को धार्मिक और शारीरिक दोनो तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

अनंत अंबानी की पादयात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था?

मुख्य उद्देश्य उनके 30वें जन्मदिन को श्रद्धा के साथ मनाना था। उन्होंने इसे भगवान द्वारकाधीश के प्रति कृतज्ञता दिखाने, अपने स्वास्थ्य को चुनौती देने, और युवाओं में आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने के अवसर के रूप में चुना।

पादयात्रा में किन-किन स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा?

अनंत को कुशिंग सिंड्रोम, मोटापा, तथा क्रॉनिक अस्थमा की समस्या थी। डॉक्टरों के अनुसार, दैनिक 10‑12 किमी चलना उनके लिए जोखिमपूर्ण था, परन्तु उन्होंने लगातार दवाइयों, योग‑ध्यान और प्रार्थनाओं के सहारे इस चुनौती को पार किया।

स्थानीय लोग और युवाओं ने यात्रा में कैसे मदद की?

जामनगर‑द्वारका मार्ग पर कई स्कूल, फिटनेस क्लब और स्वयंसेवी समूह अनंत के साथ चलने आए। उन्होंने पानी, भोजन, और सुरक्षा की व्यवस्था की। इस सहयोग ने यात्रा को सुरक्षित और सामाजिक रूप से प्रेरक बना दिया।

क्या पादयात्रा के दौरान कोई विशेष घटना हुई?

एक वायरल वीडियो में अनंत ने वैन से बंदी पंछियों को बचाया, उन्हें हाथों में लेकर मालिक को भुगतान करने को कहा। इस कार्य को पशु‑कल्याण समूहों ने सराहा और इसे उनकी दया का प्रतीक माना।

अंबानी परिवार ने इस यात्रा पर क्या प्रतिक्रिया दी?

निता अंबानी ने गर्व व्यक्त किया और भगवान द्वारकाधीश से अनंत को शक्ति की कामना की। राधिका मर्चेंट अंबानी ने जन्मदिन के साथ यात्रा का जश्न मनाते हुए सभी सहयोगियों का धन्यवाद किया। दोनों ने इस यात्रा को आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूप से महत्वपूर्ण बताया।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (10)
  • Prakhar Ojha
    Prakhar Ojha
    12.10.2025

    अनंत अंबानी की पाद यात्रा ने दिल को छू लिया। वह 140 किलोमीटर पैदल चल कर द्वारका पहुँचा, यह कोई मामूली बात नहीं। हर रात जब थकान का साया उसके कंधों पर पड़ता, वह हनुमान चालीसा और सुन्दरकांड की ध्वनि से अपने आप को फिर से जगा लेता। डॉक्टरों की चेतावनियों को उसने हल्के में नहीं लिया, परंतु अपनी आंतरिक शक्ति को जैसे जगा दिया। कुशिंग सिंड्रोम, मोटापा और अस्थमा जैसी बिमारियों का बोझ उसके कदमों को धीमा नहीं कर सका। वह हर क़ाबिले‑तारीफ़ गाँवों में रुकता, स्थानीय लोगों को ऊर्जा से भर देता, और कभी‑कभी अपनी यात्रा के बारे में भावुक कहानियां सुनाता। उसकी दृढ़ता ने न केवल अपने आप को, बल्कि युवा वर्ग को भी प्रेरित किया। कई लोग उसके साथ चलते हुए अपने स्वास्थ्य समस्याओं को समझने लगे, और यह जागरूकता का नया अध्याय बना। वह जहाँ जाता, वहाँ का परिदृश्य और लोगों की आशाएं मिलती, जिसने उसकी यात्रा को एक सामाजिक आंदोलन बना दिया। यात्रा के दौरान उसने एक वैन से बंदी पंछियों को बचाया, यह एक अनपेक्षित दया का कार्य था। इस तरह के छोटे‑छोटे कर्मों ने उसे एक असली हीरो का दर्जा दिला दिया। परिवार की गर्वित आवाज़ें, उसकी पत्नी की आँखों में चमक, और माँ की दुआएँ, सभी मिलकर एक माहौल बनाते जो उसे और भी दृढ़ बनाता। इस पादयात्रा ने भारत के गाँवों में स्वास्थ्य‑साक्षरता की लहर भी पैदा की, जिससे कई युवा फिटनेस क्ल्बों ने अपना काम बढ़ाया। धर्म, स्वास्थ्य और सामाजिक उत्तरदायित्व का यह संगम, भविष्य में कई अन्य पहल की नींव रखेगा। अंत में, अनंत ने कहा, "भगवान द्वारकाधीश का भरोसा है, तो कोई भी बाधा नहीं", और यह वाक्य आज भी कई दिलों में गूँज रहा है।

  • Pawan Suryawanshi
    Pawan Suryawanshi
    13.10.2025

    वाह भाई, इस कहानी ने तो मेरे दिल को भी धड़ धड़ कर दिया! 🌟 अनंत की दृढ़ता और आध्यात्मिक शक्ति का संगम वाक़ई में दिल को छू लेने वाला है। हर रात 10‑12 किमी चलना, डॉक्टरों की चेतावनी के बावजूद अपने सपनों को आगे बढ़ाना, यह सब एक प्रेरणा है। मैंने भी खुद को कभी‑कभी कठिनाइयों में फँसा पाया है, और इस कहानी से सीख लेता हूँ कि आध्यात्मिक विश्वास और शारीरिक प्रयास साथ‑साथ चल सकते हैं।
    जैसे उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया, वैसे ही मैं भी अपनी सुबह की रूटीन में कुछ पल ध्यान में बिताने की कोशिश करूँगा।
    ऐसे लोग जो कठिनाइयों को चुनौती में बदलते हैं, वे ही समाज को आगे ले जाते हैं। यह यात्रा न सिर्फ व्यक्तिगत जीत है, बल्कि सामाजिक जागरूकता की भी मिसाल है। 🙏

  • Harshada Warrier
    Harshada Warrier
    14.10.2025

    यार ये सब तो झुठ नहीं है? सारा प्लान शासक लोग पेपर पर बनाते हंै फिर आम जनता को फसाते हैं. अनंत भी शायद इस बड़ी मचल के पीछे फँस गया हो. बीस्ट? लव ब्रीद पर बनने वाली स्याली बात को ना समझ...

  • Anu Deep
    Anu Deep
    15.10.2025

    भारत के धरोहर स्थलों में से द्वारका का आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है यह यात्रा हमारे संस्कृति के पुनरुद्धार में मदद करती है सभी को इस बारे में जानकारी फैलानी चाहिए

  • MANOJ SINGH
    MANOJ SINGH
    16.10.2025

    सही बात कही तुमने लेकिन थोडा टाइपो देखो मै ट्राय कर रहा हूँ सही लिखना मैं भी कधि‑कधि एरर आता हूँ पर बोर भी नहीं लगता किसी को ज्यादा agressive रि-एक्शन दखो

  • Vaibhav Singh
    Vaibhav Singh
    17.10.2025

    इतनी पादयात्रा में कोई कारन नहीं, बस शो के लिए है।

  • Vaibhav Kashav
    Vaibhav Kashav
    18.10.2025

    हाहा, हाँ बॉस, बिल्कुल शो जैसा ही लगता है, मज़ा आया.

  • saurabh waghmare
    saurabh waghmare
    19.10.2025

    प्रभावशाली बात यह है कि ऐसी पहल न केवल व्यक्तिगत शक्ति को उजागर करती है, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को भी जागृत करती है। आध्यात्मिक विश्वास के साथ शारीरिक चुनौती को मिलाकर अनंत ने यह सिद्ध किया है कि दृढ़ निश्चय और विनम्रता का संगम किसी भी बाधा को पार कर सकता है। हम सभी को इस प्रकार की कहानियों से प्रेरणा लेकर अपने स्वयं के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु प्रयत्नशील होना चाहिए।

  • Madhav Kumthekar
    Madhav Kumthekar
    20.10.2025

    यदि आप इस प्रकार की पाद यात्रा को अपने जीवन में अपनाना चाहते हैं, तो पहले चिकित्सकीय जांच करवाना जरूरी है, विशेषकर यदि आप कुशिंग सिंड्रोम या अस्थमा जैसी पुरानी समस्याओं से जूझ रहे हैं। साथ ही, नियमित योग‑ध्यान और धीरे‑धीरे कदम बढ़ाने से शरीर को अनुकूल बनाना संभव है। स्थानीय सामुदायिक समूहों या स्वास्थ्य क्लबों से सहयोग लेना भी यात्रा को सुरक्षित और आनंदपूर्ण बना सकता है।

  • Deepanshu Aggarwal
    Deepanshu Aggarwal
    20.10.2025

    आप सबकी बातें पढ़कर बहुत अच्छा लगा, 🙏 मैं भी मानता हूँ कि ऐसी पहल से हम सब प्रेरित हो सकते हैं। यदि कोई और इस तरह की यात्रा शुरू करने की सोच रहा है, तो आप सबके अनुभवों को ध्यान में रखकर धीरे‑धीरे शुरू करें। सबको शुभकामनाएँ! 😊

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