
मैच हाइलाइट्स: 25 गेंद शेष रहते 7 विकेट से जीत
दुबई में खेले गए पुरुष टी20 एशिया कप 2025 के ग्रुप ए के 6वें मैच में भारत ने पाकिस्तान को 7 विकेट से हराया। पाकिस्तान ने 20 ओवर में 127 पर 9 विकेट खोए। जवाब में भारत ने 15.5 ओवर में 131/3 बनाकर एकतरफा अंदाज में लक्ष्य हासिल कर लिया। यह नतीजा सिर्फ अंक तालिका के लिए नहीं, टीम के आत्मविश्वास के लिए भी बड़ा था। इस Asia Cup 2025 के दौर में ऐसी क्लिनिकल जीत संकट मोचक होती है।
चेज का टेम्पो साफ था: शुरुआती ओवरों में जोखिम कम, स्ट्राइक रोटेशन, फिर मध्य ओवरों में तेज गियर। जब 25 गेंदें शेष रहती हों और तीन ही विकेट गिरे हों, तो इसका सीधा संकेत है कि बल्लेबाजी इकाई ने मैच को नियंत्रण में रखा। दुबई की शाम की कंडीशंस सामान्य तौर पर चेज करने वाली टीमों के अनुकूल मानी जाती हैं, और भारत ने उसी फायदे को स्मार्ट रनिंग और सीमित जोखिम वाली शॉट-मेकरि से भुनाया।
यह भी एक यादगार दिन बना क्योंकि सूर्यकुमार यादव ने जन्मदिन पर 47 रन ठोके और प्लेयर ऑफ द मैच रहे। यह पारी सिर्फ रन नहीं, बल्कि मैच की रफ्तार तय करने वाली थी—उन्होंने बीच के ओवरों में गैप्स निकाले, गलत गेंदों पर बाउंड्री ढूंढी और दूसरी ओर स्ट्राइक रोटेशन से दबाव हटाया। मैच के बाद टीम ने जीत सशस्त्र बलों को समर्पित की—ड्रेसिंग रूम में यह एकजुटता और मकसद का संकेत है, जो बड़े टूर्नामेंटों में अक्सर टीम को अलग ऊर्जा देता है।
बॉलिंग यूनिट की बात करें तो 127/9 तक रोकना अनुशासित योजना का नतीजा होता है—पावरप्ले में नियंत्रण, बीच के ओवरों में चोक लगाना और डेथ में वैरिएशन। स्कोरकार्ड भले संक्षिप्त हो, लेकिन 20 ओवर में सिर्फ 127 का मतलब है विकेटों के बीच डॉट बॉल्स और साझेदारियों को तोड़ना। यही वो बेस था जिस पर बैटिंग ने आसान चेज खड़ा किया।

NRR की 'गिरावट' की चर्चा क्यों हुई?
मैच के बाद सोशल मीडिया पर एक सवाल घूमता रहा: जीत के बावजूद भारत को सेटबैक कैसे? और क्या नेट रन रेट यानी NRR गिरा? साफ बात: 7 विकेट से जीत और 25 गेंदें शेष—ऐसा नतीजा सामान्य तौर पर NRR को बढ़ाता है, घटाता नहीं।
NRR का फॉर्मूला सीधा है: टीम का रन रेट माइनस विपक्ष का रन रेट। इस मैच में पाकिस्तान का रन रेट 127/20 यानी 6.35 रहा। भारत ने 131 रन 15.5 ओवर में बनाए—यानी 15.5 ओवर को दशमलव में 15.833 मानें तो रन रेट करीब 8.28 बैठता है। यानी मैच-विशिष्ट NRR योगदान लगभग +1.93 रहा (8.28 माइनस 6.35)। यह बड़ा पुश है।
फिर कन्फ्यूजन कहां से आता है? तीन वजहें होती हैं:
- कुल NRR जोड़-घटाव: अगर किसी टीम को इससे पहले बहुत बड़े अंतर से हार मिली हो, तो एक अच्छी जीत के बाद भी कुल NRR उतना नहीं उछलता जितनी लोगों को उम्मीद होती है। इससे यह भ्रम बनता है कि जीत के बावजूद नरेटिव नेगेटिव है।
- अन्य मैचों का असर: NRR सिर्फ एक टीम की नहीं, बाकी टीमों की जीत-हार और उनके मार्जिन पर भी निर्भर है। उसी दिन किसी दूसरी टीम ने अगर विशाल मार्जिन से जीत ली हो, तो तालिका में रैंकिंग बदल सकती है, जिससे लोग इसे 'सेटबैक' मान लेते हैं, जबकि टीम का अपना NRR बढ़ा होता है।
- ओवर्स की गणना को गलत समझना: टी20 में अगर कोई टीम पहले बल्लेबाजी में ऑल आउट हो जाए, तो उसकी ओवर्स 20 ही गिनी जाती हैं। वहीं चेज करने वाली टीम जितनी जल्दी लक्ष्य हासिल करती है, उसका रन रेट उतना बेहतर दिखता है। इस नियम को न समझने से गलत निष्कर्ष निकलते हैं।
दुबई वाली जीत को NRR-लेंस से देखें तो तस्वीर पॉजिटिव दिखती है। 15.5 ओवर में चेज का मतलब है कि भारत का रन रेट मैच में विपक्ष से काफी ऊपर रहा। ऐसी जीतें ग्रुप स्टेज के अंतिम हिसाब में काम आती हैं, खासकर तब जब दो या तीन टीमें एक ही अंक पर पहुंच जाएं और फैसला NRR से हो।
अब आगे की बारीकियां। ग्रुप स्टेज में प्राथमिक लक्ष्य पॉइंट्स हैं। इसके बाद टाई-ब्रेकर्स में आमतौर पर सबसे पहले NRR आता है। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जो मार्जिन बनाया, वह भविष्य के लिए कुशन है। बचे हुए ग्रुप मुकाबलों में बस यही फोकस रहेगा: जीत के साथ रन-रेट को अनावश्यक जोखिम में डालने से बचना।
रणनीतिक तौर पर टीमों के लिए दो बातें अहम होती हैं। एक, जब पहले बल्लेबाजी करें, तो 160-170 के आसपास का स्कोर भी तब काम का होता है जब पावरप्ले में विकेट जल्दी मिलें और बीच के ओवरों में गति रोक दी जाए। दो, जब चेज करें, तो 12 से 16 ओवर के बीच बूस्ट देना सबसे कारगर रहता है—यही वह फेज है जिसे भारत ने इस मैच में अच्छे से साधा और 25 गेंदें शेष रखीं।
टीम डायनैमिक्स पर भी बात जरूरी है। सूर्यकुमार का फॉर्म इस समय भारत की टी20 बैटिंग का थर्मामीटर है—उनका 47 रन का योगदान शॉट सेलेक्शन और टेंपो-रीडिंग का नमूना था। ऐसी पारी बाकी बल्लेबाजों के लिए भी संकेत होती है कि पिच पर क्या काम कर रहा है और किसे टालना है। दूसरी ओर, गेंदबाजी इकाई ने जो बेस स्कोर सेट किया, उससे चेज मानसिक रूप से हल्का हो गया—यही अच्छे टूर्नामेंट रन की पहचान है।
जहां तक 'सेटबैक' का सवाल है, शब्द बड़ा है और अक्सर प्रसंग से बाहर इस्तेमाल होता है। असली तस्वीर तालिका, पॉइंट्स और नेट रन रेट की संयुक्त रीडिंग से बनती है। इस मैच के तथ्य बताते हैं कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ न सिर्फ अंक बटोरे, बल्कि रन-रेट के मोर्चे पर भी बढ़त ली। अब नजर अगली चुनौती और इसी रफ्तार को बनाए रखने पर रहेगी।