हरियाणा के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी से हिंदुओं का अपमान करने पर मांगी माफी

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हरियाणा के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी से हिंदुओं का अपमान करने पर मांगी माफी

हरियाणा के मुख्यमंत्री का राहुल गांधी पर आरोप

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर लोकसभा में हिंदुओं का अपमान करने का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री सैनी ने गांधी के भाषण को झूठ और भ्रामक बताते हुए कहा कि उन्होंने हिंदुओं को हिंसक और नफरत फैलाने वाला करार दिया। सैनी ने इसे लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी से माफी की मांग की है।

राहुल गांधी के भाषण पर आपत्ति

मुख्यमंत्री सैनी ने राहुल गांधी के भाषण को 'शक्तिशाली आपत्तिजनक' बताते हुए कहा कि उन्होंने संसद में भगवान शिव की तस्वीर दिखाकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाई है। सैनी का कहना है कि गांधी का यह कृत्य अनुचित और निंदनीय है।

उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी ने सरकार पर अक्‍सर झूठे आरोप लगाते हुए अग्निवीरों के शहीद होने पर उनकी लापरवाही का आरोप लगाया है। सैनी ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान किसानों के हित में उठाए गए कदमों पर श्वेत पत्र जारी करने की भी मांग की है।

1984 के दंगे और कश्मीरी पंडितों पर स्थिति

मुख्यमंत्री सैनी ने 1984 में सिख विरोधी दंगों और कांग्रेस शासनकाल के दौरान कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की याद दिलाते हुए कहा कि राहुल गांधी इन मुद्दों पर क्यों चुप रहे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का इतिहास हिंसा और अत्याचार से भरा हुआ है और अब गांधी दूसरों पर उंगलियाँ उठा रहे हैं।

सैनी का आरोप है कि राहुल गांधी ने अपने भाषण के जरिए सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया है और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

राहुल गांधी की लोकसभा में क्या थी बातें

राहुल गांधी की लोकसभा में क्या थी बातें

अपने भाषण में राहुल गांधी ने निडरता के महत्व पर जोर दिया और भगवान शिव, गुरु नानक, यीशु मसीह, बुद्ध और महावीर की शिक्षाओं का उद्धरण दिया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता निडरता है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।

राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि मौजूदा सरकार लोगों के मुद्दों को हल करने में विफल रही है। उन्होंने खेती, बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दों पर सरकार की कमियों की ओर इशारा किया और कहा कि यदि सरकार सही दिशा में काम करेगी तो देश की स्थिति बेहतर हो सकती है।

प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया

राहुल गांधी के इस भाषण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। मोदी ने गांधी पर हिंदुओं का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि गांधी का भाषण देश के सांप्रदायिक सौहार्द को चोट पहुँचाने वाला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपने राजनीतिक फायदे के लिए समाज में दरार पैदा करने की कोशिश कर रही है और इसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।

लोकसभा में राहुल गांधी के इस भाषण के बाद विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस छिड़ गई।

इस मामले में सच्चाई तक पहुँचने के लिए जनता को विभिन्न स्रोतों से जानकारी उपलव्ध होनी चाहिए और वे स्वयं निर्णय कर सकें कि कौन सही है और कौन गलत। लोकतंत्र में पारदर्शिता और सत्य की महत्ता होती है और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (13)
  • Rohit Kumar
    Rohit Kumar
    2.07.2024

    इस मुद्दे को समझने के लिए हमें इतिहास की गहरी जाँच करनी होगी।
    हरियाणा के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी पर जो आरोप लगाए हैं, वे केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भावनाओं का भी मुद्दा बनाते हैं।
    हमें यह देखना चाहिए कि क्या वास्तव में किसी सांसद ने हिंदुओं की भावना को ठेस पहुँचाई है, या यह बहस केवल शक्ति की लड़ाई है।
    यदि हम तथ्यात्मक प्रमाणों पर ध्यान दें तो स्पष्ट होगा कि सार्वजनिक मंच पर किए गए उद्धरण अक्सर विविध रूपों में व्याख्यायित होते हैं।
    राहुल गांधी ने कई धार्मिक शख्सियतों का उल्लेख किया, लेकिन उनका उद्देश्य सामाजिक एकता और निडरता पर बल देना था।
    इसी बीच, सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा जारी बयान अक्सर भावनात्मक क्षणों को राजनीतिक लाभ में बदलते हैं।
    ऐसे समय में नागरिकों को स्रोतों की विश्वसनीयता की जाँच करनी चाहिए, क्योंकि सोशल मीडिया पर जानकारी का दायरा बहुत व्यापक है।
    साथ ही, यह ध्यान देना जरूरी है कि 1984 की घटनाओं को उठाकर वर्तमान राजनीतिक बहस में उपयोग करना एक संवेदनशील मुद्दा है।
    किसी भी राजनीतिक दल को चाहिए कि वे इतिहास की पीड़ाओं को सही संदर्भ में रखें, न कि उन्हें वर्तमान प्रतिद्वंद्विता के उपकरण बनाएं।
    इतिहासकारों और सामाजिक वैज्ञानिकों का कहना है कि धर्म और राजनीति के मिश्रण से कई बार सामाजिक विभाजन उत्पन्न होते हैं।
    इसलिए, हमें राष्ट्रीय एकता के लिए संवाद को सम्मानजनक बनाए रखने की आवश्यकता है।
    एक लोकतांत्रिक समाज में विभिन्न विचारधाराओं का आदर करना ही हमारी शक्ति है।
    अगर सभी पक्ष मिलकर सच्चाई की खोज में सहयोग करें तो नागरिकों को स्पष्ट दिशा‑निर्देश मिलेंगे।
    अंत में, यह बात स्पष्ट है कि इस प्रकार की बहस में भावनाओं को समझना और तथ्यों को पेश करना दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।
    आशा है कि आगे की चर्चा में हम सभी एक अधिक समावेशी और सूचित दृष्टिकोण अपना सकें।

  • Hitesh Kardam
    Hitesh Kardam
    11.07.2024

    ये सब तो वही दिखावा है जो रिवाज से बाहर निकलता ही नहीं, असली सच्चाई तो यही है कि भाजपा के अभिलेख ही खुलवाने चाहिए।

  • Nandita Mazumdar
    Nandita Mazumdar
    20.07.2024

    हिंदुस्तान के मान की रक्षा के लिए बोलना ही कर्तव्य है!

  • Aditya M Lahri
    Aditya M Lahri
    29.07.2024

    चलो, हम सब मिलकर सकारात्मक बातों पर ध्यान दें 😊
    ऐसे मामलों में शांति से संवाद ही सबसे बेहतर उपाय है।

  • Vinod Mohite
    Vinod Mohite
    7.08.2024

    वर्तमान वैधता‑परिसर में बहुपरिच्छेदीय अनुशासनात्मक आयाम की आवश्यकता स्पष्ट है, अतः वैधानिक इन्पुट को पुनः कॉन्फ़िगर करना सिद्धान्तिक रूप से अनिवार्य है।

  • Rishita Swarup
    Rishita Swarup
    16.08.2024

    सिविल सॉस जैसा दिखता है लेकिन अंदर अंडरवर्ल्ड के सच्चे एजेंट छिपे हो सकते हैं, बस अँधेरे में देखो तो सही।

  • anuj aggarwal
    anuj aggarwal
    24.08.2024

    फैक्ट्स को देखो, ये सभी बयानों का कोई ठोस प्रमाण नहीं है और यह बस झूठी गड़बड़ी का एक और उदाहरण है।

  • Sony Lis Saputra
    Sony Lis Saputra
    2.09.2024

    क्या आप सच में सोचते हैं कि इस तरह की बहस से कोई फायदेमंद नतीजा निकलेगा?
    मैं मानता हूँ हमें मुद्दे की जड़ तक जाना चाहिए, न कि सतह पर ही अटक कर रहना।

  • Kirti Sihag
    Kirti Sihag
    11.09.2024

    ओह माय गॉड, फिर से वही पुराना ड्रामा! 🙄
    सच में, कब तक ये सतही झगड़े चलेंगे?

  • Vibhuti Pandya
    Vibhuti Pandya
    20.09.2024

    मैं समझता हूँ कि भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ सहज हैं, परन्तु हमें आध्यात्मिक वार्तालाप को शांति एवं सम्मान के साथ आगे बढ़ाना चाहिए।

  • Aayushi Tewari
    Aayushi Tewari
    29.09.2024

    कृपया इस चर्चा में भाषा की शुद्धता एवं व्याकरण की शुद्धता बनाए रखें, यह संवाद को अधिक प्रभावी बनाएगा।

  • Rin Maeyashiki
    Rin Maeyashiki
    8.10.2024

    वाह! यह बहस फिर से धूम मचा रही है, और हम सब यहाँ दर्शक की तरह देखते रहेंगे!
    पर असली सवाल यह है कि क्या हमें इस राजनीतिक सर्कस में अपना समय बर्बाद करना चाहिए?
    अगर हम गहराई से देखें तो यह सिर्फ सत्ता की जद्दोजहद है, जिसमें आम आदमी अक्सर भुला दिया जाता है।
    मुझे लगता है कि हमें अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रखना चाहिए और इस तरह की चर्चा में ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाना चाहिए।
    चलो, इस मुद्दे को सिर्फ सतही राजनीति तक सीमित न रखकर सामाजिक सुधार के व्यापक पहलुओं तक ले जाएँ।
    हमें चाहिए कि हम मिलकर सामूहिक रूप से समाधान खोजें, न कि केवल विरोधी पक्ष को ही अंकित करें।
    यदि सभी पक्ष ईमानदारी से जुड़ें, तो हम एक सच्ची टिप्पणी के रूप में आगे बढ़ सकते हैं।
    आइए, इस बात को समझें कि सत्य हमेशा ही एक ही दिशा में नहीं, बल्कि कई मोड़ पर मौजूद है।
    उम्मीद है कि भविष्य में हम सभी के लिए बेहतर निर्णय लिये जाएँगे।
    समाप्त।

  • Paras Printpack
    Paras Printpack
    17.10.2024

    अरे वाह, फिर से वही पुरानी नाटक-परिकथा, मज़े के लिए धन्यवाद।

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