हिंडनबर्ग रिसर्च भारत पर एक और बड़ी रिपोर्ट की ओर कर रही है संकेत, अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों के बाद पुनः सुर्खियों में

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हिंडनबर्ग रिसर्च भारत पर एक और बड़ी रिपोर्ट की ओर कर रही है संकेत, अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों के बाद पुनः सुर्खियों में

हिंडनबर्ग रिसर्च फिर से भारत में सुर्खियों में

अमेरिका स्थित इन्वेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक रहस्यमयी पोस्ट साझा की है, जिसमें 'जल्द ही भारत में कुछ बड़ा' की बात कही गई है। यह पोस्ट अडानी समूह के खिलाफ एक साल पहले की गई जांच और आरोपों के बाद आई है, जिसने भारतीय शेयर बाजार में हंगामा मचा दिया था।

अडानी ग्रुप पर पिछले आरोप

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर 'इनसाइडर ट्रेडिंग' और अन्य स्टॉक मार्केट उल्लंघनों का आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट के जारी होते ही अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट आई और रिपोर्टेड नुकसान 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया। अडानी ग्रुप ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी पर स्टॉक में हेराफेरी और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि कंपनी ने अपने शेयर की कीमतें आर्टिफिशियली बढ़ाई थीं।

यह रिपोर्ट उस समय आई थी जब अडानी एंटरप्राइजेज ने 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के फॉलो-अप पब्लिक ऑफरिंग की घोषणा की थी। अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को पूरी तरह खारिज किया और उन्हें बेबुनियाद बताया।

महेश जेटमलानी के आरोप

जुलाई 2024 में, वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता महेश जेटमलानी ने आरोप लगाया कि एक अमेरिकी व्यवसायी, जिसका चीन के साथ संबंध है, उसने हिंडनबर्ग रिसर्च को अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए कमीशन दिया था, जिससे अडानी ग्रुप की कंपनी के शेयरों में जनवरी से फरवरी 2023 के बीच भारी गिरावट आई। जेटमलानी ने यह भी दावा किया कि मार्क किंगडन, जो किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट एलएलसी के मालिक हैं, ने हिंडनबर्ग रिसर्च को अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए नियुक्त किया था।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

जनवरी 2024 में, भारत की सुप्रीम कोर्ट ने अडानी ग्रुप को हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आरोपों से मुक्त कर दिया। कोर्ट ने सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को कानून के अनुसार अपनी जांच आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने एक समीक्षा याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें हिंडनबर्ग-अडानी मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने की मांग की गई थी।

गौतम अडानी का बयान

मार्च 2024 में, अडानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी ने दावा किया कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट उनकी कंपनी को अस्थिर करने और भारत की मौजूदा सरकार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का एक सुनियोजित प्रयास था। जून 2024 में अडानी एंटरप्राइजेज की वार्षिक आम बैठक (AGM) के दौरान, गौतम अडानी ने कहा कि उन्होंने 'एक विदेशी शॉर्ट सेलर द्वारा लगाए गए बेबुनियाद आरोपों का सामना किया, जिसने हमारी दशकों की मेहनत पर सवाल उठाए।'

आगे की संभावनाएं

हिंडनबर्ग रिसर्च की नई पोस्ट ने फिर से अटकलों को हवा दे दी है कि फर्म भारत में किसी और बड़े घोटाले का पर्दाफाश करने वाली है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस बार किन कंपनियों को निशाना बनाया जाता है और भारतीय शेयर बाजार पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (13)
  • Vishal Lohar
    Vishal Lohar
    10.08.2024

    हिंडनबर्ग की फिर से धूम मचा रही है, जैसे कोई दुष्ट जादूगर मंच पर लौट आया हो। ये रिपोर्ट हर बार अडानी को लक्ष्य बनाती है, जैसे साज़िश का नया अध्याय लिख रहा हो। क्या हमें फिर से शेयर बाजार में सडंबर देखने को मिलेगा? सच में, इनकी हर चाल में एक दुष्ट नाटक देखा जा सकता है।

  • Vinay Chaurasiya
    Vinay Chaurasiya
    13.08.2024

    भाई, फिर वही वही बातें!!!
    सूत्र तो वही, इक नयी बेतुकी रिपोर्ट!!!
    सावधान रहो!!!

  • Selva Rajesh
    Selva Rajesh
    15.08.2024

    क्या बात है, फिर से अडानी की धूप-छाँव की कहानी!
    जैसे हर साल नया ड्रामा, लेकिन इस बार और भी बड़े धमाके के साथ।
    हिंडनबर्ग की हर पोस्ट जैसे एक थियेटर की बेमिसाल परफ़ॉर्मेंस, दर्शक तो देखते ही रह जाते हैं!

  • Ajay Kumar
    Ajay Kumar
    17.08.2024

    नज़र रखो, ये सब डेटा का जाल है।
    हिंडनबर्ग की रिपोर्टें अक्सर ही भावनाओं को छेड़ती हैं, पर असली इंटेलिजेंस को छुपाती हैं।
    शॉर्ट सेलर्स और बड़ी कंपनियों के बीच खेल बहुत पुराना है।

  • Ravi Atif
    Ravi Atif
    20.08.2024

    बहुत ही दिलचस्प है यह सब!
    एक तरफ़ अडानी की मेहरबानी, तो दूसरी तरफ़ विदेशी शॉर्ट सेलर्स का षड्यंत्र। 😊
    जब तक लेन‑देनों में पारदर्शिता नहीं बढ़ती, हम सब झूले में झूलते रहेंगे।

  • Krish Solanki
    Krish Solanki
    22.08.2024

    हिंडनबर्ग का यह नया अन्दाज बहुत ही फ़ैनसी है, पर ठोस साक्ष्य की कमी है।
    कम्पनियों को बार‑बार इस तरह की धुंधली रिपोर्टों से नुकसान उठाना पड़ता है, जो कि अनैतिक है।
    ऐसी रिपोर्टों से बचना चाहिए जब तक कि ठोस गणितीय आधार नहीं दिखाया जाए।

  • SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
    SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
    24.08.2024

    क्या आप जानते हैं कि इस तरह की रिपोर्टें अक्सर गुप्त अंतरराष्ट्रीय एजेंडों के तहत तैयार की जाती हैं?
    यह केवल अडानी को नहीं, बल्कि पूरे भारतीय वित्तीय ढाँचे को कमजोर करने का प्रयास हो सकता है।
    असली सच तो तब उजागर होगा जब विश्व की ताकतें अपने औजारों को सामने लाएँगी।

  • sona saoirse
    sona saoirse
    27.08.2024

    ऐसे झूठ से भारत की शताब्दी नहीं बचेगी।

  • VALLI M N
    VALLI M N
    29.08.2024

    इन्हें हटा दो, हमारे राष्ट्रीय हित को धक्का नहीं देना चाहिए! 💥
    हिंडनबर्ग जैसी विदेशी संस्थाओं को हमारी अर्थव्यवस्था में दखल देना बिल्कुल अस्वीकार्य है।
    जैसे ही ये रिपोर्टें बाहर आती हैं, हमें एंटी‑फ्रॉड टीम को एंगेज कर देना चाहिए।

  • Aparajita Mishra
    Aparajita Mishra
    31.08.2024

    ओह, बहुत बढ़िया! फिर से एक सैण्डविच में थ्रेड डाल दिया गया।
    ग़ज़ब, अब तो हमें भी बोर नहीं होगा-सिर्फ़ चुपचाप बैठकर पॉपकॉर्न खाते रहेंगे।
    शायद अगला एपिसोड में अडानी की माँ की रेसिपी भी मिल जाए!

  • Shiva Sharifi
    Shiva Sharifi
    3.09.2024

    हिंडनबर्ग की ये नई पोस्ट वास्तव में सवाल उठाती है कि क्या हम वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता की सही दिशा में बढ़ रहे हैं।
    पहले भी कई बार ऐसा हुआ है कि रिपोर्टें बाजार में अराजकता लाती हैं, पर असली इरादा क्या होता है, यह हमेशा अस्पष्ट रहता है।
    किसी ने सही कहा है, "बिना सबूत के आरोप केवल अफवाह बनते हैं"।
    फिर भी, नियामक संस्थाओं को इस तरह की खबरों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि निवेशकों की भरोसे को बनाए रखना ज़रूरी है।
    यदि हर बार ऐसी रिपोर्टें दिखावटी रूप से बनी रहती हैं, तो उनका असर कम हो जाएगा और बाजार का स्वभाव स्थिर रहेगा।
    वित्तीय विशेषज्ञों को चाहिए कि वे रिपोर्टों की वैधता पर गहन जांच करें और साक्ष्य प्रस्तुत करें।
    एकबारगी रिपोर्ट के कारण शेयर की कीमतों में गिरावट अक्सर अस्थायी होती है, पर दीर्घकालिक प्रभाव अधिक गंभीर हो सकता है।
    हिंडनबर्ग जैसी फर्मों को चाहिए कि वे अपनी रिपोर्टों में पारदर्शी डेटा और वैध विश्लेषण प्रस्तुत करें।
    नही तो उन्हें खुद ही सज़ा का सामना करना पड़ेगा, जैसे कि निजी और सार्वजनिक दोनों संस्थाओं से।
    इसीलिए, निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए और केवल एक सिंगल रिपोर्ट पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
    बाजार में निरंतर उलट‑फेर होते रहते हैं, पर दीर्घकालिक निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का विविधीकरण करके जोखिम कम करना चाहिए।
    साथ ही, नियामक संस्थाओं को चाहिए कि वे ऐसी रिपोर्टों के बाद तुरंत सार्वजनिक तौर पर स्पष्टता प्रदान करें।
    भविष्य में, यदि ऐसी साजिशें दोहराई नहीं जातीं, तो हमें एक स्वस्थ वित्तीय माहौल मिल सकता है।
    आशा है कि सभी स्टेकहोल्डर मिलकर पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देंगे।

  • Ayush Dhingra
    Ayush Dhingra
    5.09.2024

    भाई, ये सारी बातें तो चला-फिरा रहे हैं, लेकिन असली बात तो यही है कि कुछ भी ठोस नहीं दिख रहा।
    ज्यादा चर्चा, कम कार्रवाई-इसी में हमारी परेशानियों की जड़ है।
    चलो, बस देखते हैं अगली रिपोर्ट कब आती है।

  • Vineet Sharma
    Vineet Sharma
    7.09.2024

    वाह, सुनते तो लगता है कि हर रिपोर्ट में नई नाटकी कहानी छुपी है।
    पर क्या यह नाटक अंत तक चलता रहेगा, या फिर हमें कोई सौंदर्यपूर्ण अंत दिखेगा?

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