
केस की पृष्ठभूमि
इंडो‑तिब्बती बॉर्डर पुलिस (ITBP) की कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा भारत के सीमा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस परीक्षा में चयनित उम्मीदवारों को सीमा पर पहरा देना, घुसपैठ रोकना और आपातकालीन स्थितियों में सहायता करना पड़ता है। इसलिए परीक्षा के प्रश्नपत्र की सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अहम हिस्सा माना जाता है।
लेकिन पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने एक बड़ा झटका भरते हुए बताया कि परीक्षा के प्रश्नपत्रों में लीक हुई है। शुरुआती रिपोर्टों में बताया गया कि कुछ उम्मीदवारों को पेपर मिलने से पहले ही उत्तर मिल रहे थे, जिससे भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठे। इस संदर्भ में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने गहरी जांच शुरू की।
जांच में पाया गया कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सायकोमेट्री (IIP), जो इस परीक्षा का संचालन करता है, के भीतर कुछ उच्चाधिकारी संभावित लीक में शामिल हो सकते हैं। IIP के तीन डायरेक्टर—एमिटव राय (61), जयदीप गोस्वामी (58) और सुभेंदु कुमार पॉल (51)—को इस धोखे में मुख्य कड़ी माना गया।

गिरफ्तारी के बाद के कदम
25 सितंबर 2025 को दिल्ली पुलिस ने इन तीन डायरेक्टरों के साथ दो और व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। कुल पाँच गिरफ्तारी में दो तकनीकी कर्मचारी भी शामिल थे, जिन्होंने कागज़ी लीक की योजना बनाने में मदद की थी। पुलिस ने बताया कि सभी को अभी चाहे तो फाइल में दर्ज किया गया है और आगे की सुनवाई जल्द होगी।
गिरफ्तारी के बाद IIP के प्रशासनिक बोर्ड ने बयान दिया कि उन्होंने तुरंत सभी परीक्षा संबंधी प्रक्रियाओं को ठंडा कर दिया है और नई सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने का वादा किया है। इस बीच ITBP ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में हुए किसी भी अनियमितता को दूर करने के लिए एक नई परीक्षा आयोजित की जाएगी।
वास्तव में, इस केस ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कागज़ी सुरक्षा की कमी को उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल पेपर और एन्क्रिप्शन तकनीक को अपनाकर भविष्य में इस तरह के लीक को रोका जा सकता है। साथ ही, परीक्षा सेंटर की निगरानी, प्रॉक्सी सर्वर और कड़ा पहचान सत्यापन भी आवश्यक है।
जांच के दौरान एक प्रमुख बिंदु यह भी रहा कि लीक के कारण किन-किन उम्मीदवारों को अनुचित फायदा मिला। इस दिशा में पुलिस ने सभी प्रभावित उम्मीदवारों की सूची बनाकर उन्हें वैध प्रक्रिया से बाहर करने की योजना बनाई है।
जबकि इस लीक केस ने सार्वजनिक भरोसे को थोड़ा झटका दिया, यह भी दिखाता है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ऐसे मामलों में कितनी तेज़ी से कार्रवाई कर सकती हैं। अगली सुनवाई में अदालत के फैसले के आधार पर तबादला या सज़ा तय की जाएगी, जो भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता को पुनर्स्थापित करने में मदद करेगा।
ITBP भर्ती परीक्षा का अपना महत्व है और इस मामले से यह स्पष्ट हो गया कि सुरक्षा में कोई भी चूक राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकती है। अब मुख्य सवाल यह है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए कौन‑सी ठोस कदम उठाए जाएंगे।