ITBP भर्ती परीक्षा लीक केस: दिल्ली पुलिस ने IIP के तीन डायरेक्टर सहित पाँच को गिरफ्तार किया

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ITBP भर्ती परीक्षा लीक केस: दिल्ली पुलिस ने IIP के तीन डायरेक्टर सहित पाँच को गिरफ्तार किया

केस की पृष्ठभूमि

इंडो‑तिब्बती बॉर्डर पुलिस (ITBP) की कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा भारत के सीमा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस परीक्षा में चयनित उम्मीदवारों को सीमा पर पहरा देना, घुसपैठ रोकना और आपातकालीन स्थितियों में सहायता करना पड़ता है। इसलिए परीक्षा के प्रश्नपत्र की सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अहम हिस्सा माना जाता है।

लेकिन पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने एक बड़ा झटका भरते हुए बताया कि परीक्षा के प्रश्नपत्रों में लीक हुई है। शुरुआती रिपोर्टों में बताया गया कि कुछ उम्मीदवारों को पेपर मिलने से पहले ही उत्तर मिल रहे थे, जिससे भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठे। इस संदर्भ में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने गहरी जांच शुरू की।

जांच में पाया गया कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सायकोमेट्री (IIP), जो इस परीक्षा का संचालन करता है, के भीतर कुछ उच्चाधिकारी संभावित लीक में शामिल हो सकते हैं। IIP के तीन डायरेक्टर—एमिटव राय (61), जयदीप गोस्वामी (58) और सुभेंदु कुमार पॉल (51)—को इस धोखे में मुख्य कड़ी माना गया।

गिरफ्तारी के बाद के कदम

गिरफ्तारी के बाद के कदम

25 सितंबर 2025 को दिल्ली पुलिस ने इन तीन डायरेक्टरों के साथ दो और व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। कुल पाँच गिरफ्तारी में दो तकनीकी कर्मचारी भी शामिल थे, जिन्होंने कागज़ी लीक की योजना बनाने में मदद की थी। पुलिस ने बताया कि सभी को अभी चाहे तो फाइल में दर्ज किया गया है और आगे की सुनवाई जल्द होगी।

गिरफ्तारी के बाद IIP के प्रशासनिक बोर्ड ने बयान दिया कि उन्होंने तुरंत सभी परीक्षा संबंधी प्रक्रियाओं को ठंडा कर दिया है और नई सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने का वादा किया है। इस बीच ITBP ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में हुए किसी भी अनियमितता को दूर करने के लिए एक नई परीक्षा आयोजित की जाएगी।

वास्तव में, इस केस ने प्रतियोगी परीक्षाओं में कागज़ी सुरक्षा की कमी को उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल पेपर और एन्क्रिप्शन तकनीक को अपनाकर भविष्य में इस तरह के लीक को रोका जा सकता है। साथ ही, परीक्षा सेंटर की निगरानी, प्रॉक्सी सर्वर और कड़ा पहचान सत्यापन भी आवश्यक है।

जांच के दौरान एक प्रमुख बिंदु यह भी रहा कि लीक के कारण किन-किन उम्मीदवारों को अनुचित फायदा मिला। इस दिशा में पुलिस ने सभी प्रभावित उम्मीदवारों की सूची बनाकर उन्हें वैध प्रक्रिया से बाहर करने की योजना बनाई है।

जबकि इस लीक केस ने सार्वजनिक भरोसे को थोड़ा झटका दिया, यह भी दिखाता है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ऐसे मामलों में कितनी तेज़ी से कार्रवाई कर सकती हैं। अगली सुनवाई में अदालत के फैसले के आधार पर तबादला या सज़ा तय की जाएगी, जो भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता को पुनर्स्थापित करने में मदद करेगा।

ITBP भर्ती परीक्षा का अपना महत्व है और इस मामले से यह स्पष्ट हो गया कि सुरक्षा में कोई भी चूक राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकती है। अब मुख्य सवाल यह है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए कौन‑सी ठोस कदम उठाए जाएंगे।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (5)
  • Krish Solanki
    Krish Solanki
    26.09.2025

    उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार, IIP के भीतर कुछ उच्चाधिकारी परीक्षा प्रश्नपत्रों के लीक में सीधे जुड़े हुए हैं। यह धोखा न केवल नैतिक पृष्ठभूमि को धुंधला करता है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के फायदों को भी खतरे में डालता है। ऐसी जड़ता को समाप्त करने के लिए कड़ी निगरानी और सख्त दंडात्मक कार्रवाई आवश्यक है।

  • SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
    SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
    26.09.2025

    सचाई का पर्दाफाश तब तक नहीं होगा जब तक हम इस मामले को व्यवस्थित रूप से देख नहीं पाते। लीक का जाल केवल IIP तक सीमित नहीं, यह बड़े अभेरियनी नेटवर्क के हिस्से के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच सूचना प्रवाह को नियंत्रित करता है। यह एक साजिश है जिसका मकसद परीक्षा प्रणाली की वैधता को बीजना है।

  • Selva Rajesh
    Selva Rajesh
    26.09.2025

    यह घटना बिल्कुल भी अकल्पनीय नहीं, बल्कि यह हमारे शैक्षिक तंत्र में गहरी खामियों का पता देती है।
    जब तक हम पेपर सुरक्षा को कागज़ी रूप में ही सीमित रखते हैं, यह प्रकार की चोरी हमेशा हमारे सामने आती रहेगी।
    डिजिटल एन्क्रिप्शन और ब्लॉकचेन तकनीक ने पहले ही कई देशों में इस समस्या को काफी हद तक समाप्त किया है।
    इंडो‑तिब्बती बॉर्डर पुलिस की प्रतिष्ठा जोखिम में है, क्योंकि वे सुरक्षा के अग्रभाग पर हैं और उनके श्वेतपत्रों में लीक का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
    प्रशिक्षकों और अभ्यर्थियों के बीच विश्वास का टूटना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर परिणाम पैदा कर सकता है।
    हमें यह समझना होगा कि परीक्षा प्रक्रिया का हर चरण, प्रारम्भिक आवेदन से लेकर अंतिम चयन तक, पारदर्शी और निरीक्षित होना चाहिए।
    जांच में पता चला है कि तकनीकी कर्मचारियों ने कागज़ी लीक की योजना बनाने में मदद की, जो यह दर्शाता है कि तकनीकी दुरुपयोग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
    भविष्य में ऐसी अनियमितताओं से बचने के लिए, सभी परीक्षा केंद्रों में लाइव मॉनिटरिंग कैमरों का आदेश अनिवार्य किया जाना चाहिए।
    साथ ही, अभ्यर्थियों की पहचान सत्यापन प्रक्रिया को बायोमेट्रिक डेटा के साथ मजबूत किया जाना चाहिए।
    डिजिटल पेपर के माध्यम से प्रश्नपत्र को एन्क्रिप्टेड रूप में भेजा जा सकता है, जिससे उसकी चोरी का जोखिम न्यूनतम होगा।
    न्यायिक प्रक्रिया के दौरान, सभी प्रभावित अभ्यर्थियों को वैध प्रक्रिया से बाहर करके पुनः परीक्षण का अवसर देना चाहिए।
    यह न सिर्फ उनकी न्यायसंगत उम्मीदों को पूरा करेगा बल्कि प्रणाली में विश्वास को पुनर्स्थापित करेगा।
    आधुनिक तकनीक के साथ संरेखित न होने वाली पुरानी प्रक्रियाओं को अब त्याग कर, हमें नई सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाने चाहिए।
    अन्य राज्यों में इस तरह की परीक्षा लीक के मामलों ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि लीक का प्रभाव केवल परीक्षा परिणामों तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि पूरे राज्य की प्रशासनिक छवि को प्रभावित करता है।
    आज का यह मामला हमें सिखाता है कि कागज़ी सुरक्षा के पुराने ढांचे को छोड़ कर, डिजिटल सुरक्षा में निवेश करना आवश्यक है।
    अंत में, यह स्पष्ट है कि हम सबको मिलकर इस व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घोटालीं दोबारा न हों।

  • Ajay Kumar
    Ajay Kumar
    26.09.2025

    समस्या केवल कार्यप्रणाली में नहीं, बल्कि नैतिक बोध में भी निहित है। सतत सुधार ही एकमात्र विकल्प है।

  • Ravi Atif
    Ravi Atif
    26.09.2025

    सोचने की बात है, लेकिन अंत में सबको सच्चाई ही मिलनी चाहिए 😊

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