झारखंड के 20 जिलों में भारी बारिश, आंधी‑वज्रपात चेतावनी; गढ़वा‑पलामू में ऑरेंज अलर्ट

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झारखंड के 20 जिलों में भारी बारिश, आंधी‑वज्रपात चेतावनी; गढ़वा‑पलामू में ऑरेंज अलर्ट

जब भारत मौसम विज्ञान विभाग ने झारखंड मौसम अलर्ट 5 अक्टूबर 2025झारखंड जारी किया, तो पूरे राज्य के लोगों ने मोबाइल पर बड़ी लाल‑पीली चेतावनी देख कर घबराया। विभाग ने बताया कि रांची, खूंटी, सिमडेगा सहित 20 जिलों में हल्की‑से‑मध्यम बारिश, आंधी और वज्रपात की संभावना है, जबकि गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा और हजारीबाग में विशेष ऑरेंज अलर्ट लागू हो गया है।

मौसम चेतावनी का सार

इंडियन मेथोडिकल डाटा (IMD) के प्रमुख मौसम विज्ञानी डॉ. अनिल कुमार, मुख्य मौसम विज्ञानी of भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा, इस अलर्ट का कारण बंगाल की खाड़ी में स्थित लो‑प्रेशर सिस्टम है, जो समुद्र सतह से 1.5 किमी ऊँचा है और लगातार नमी झारखंड की ओर ले जा रहा है।

सिस्टम के साथ जुड़ा साइक्लोनिक सर्कुलेशन अभी भी पूर्वोत्तर बिहार, ओडिशा और झारखंड तक फैला हुआ है, जिससे रुक‑रुक कर बारिश का खतरा बना रहता है। विभाग ने कहा, यह प्रभाव 5 अक्टूबर तक जारी रहेगा और फिर धीरे‑धीरे कम हो सकता है।

प्रभावित जिले और चेतावनियों के स्तर

  • ऑरेंज अलर्ट: गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, हजारीबाग
  • येलो अलर्ट: रांची, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला‑खरसावां, पूर्वी सिंहभूम, रामगढ़, बोकारो, धनबाद, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, जामताड़ा, देवघर, दुमका, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज

भारी बारिश की संभावना 5 अक्टूबर को गिरिडीह, धनबाद, जामताड़ा, देवघर, दुमका, पाकुड़ और गोडा में है, जबकि 6 अक्टूबर को गोडा, साहिबगंज, दुमका और पाकुड़ में भी बाढ़ के खतरे को नहीं आँका जा सकता।

वज्रपात एवं आंधी के संभावित जोखिम

वज्रपात से होने वाले हादसे अक्सर बेमेल होते हैं। विभाग ने चेतावनी दी कि तेज़ी से गिरती बिजली बिजली के खतरों को बढ़ा सकती है, विशेषकर खेतों, खुले मैदानों और बुजुर्गों के घरों के पास। पिछले 24 घंटों में जामताड़ा के कर्माटाण में 73.2 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो पहले दर्ज सबसे भारी वर्षा थी।

ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 1‑3 अक्टूबर तक राज्य में सामान्य 11.7 मिमी की तुलना में 46 मिमी बारिश हुई। यह अंतर दिखाता है कि शुरुआती मौसमी गड़बड़ी ने पहले ही कई निचले-स्तर के नदियों को भर दिया है।

विज्ञानियों की व्याख्या और भविष्यवाणियां

विज्ञानियों की व्याख्या और भविष्यवाणियां

विज्ञानियों का मानना है कि इस वर्ष गर्मी के अंत में उत्तरी भारत में तापमान की ऊँचाई ने अर्द्ध‑वायुप्रवाहों को अस्थिर कर दिया, जिससे लो‑प्रेशर सिस्टम का विस्तार व्यापक हुआ। डॉ. कुमार ने कहा, "यदि बादल का कवर है और हवा कमज़ोर है तो बरसात रुक‑टुक कर आएगी, लेकिन आंधी‑वज्रपात की तीव्रता बढ़ सकती है।"

इसी कारण से उन्होंने लोगों को खुले में सफ़र करने से बचने, घर के निचले हिस्से में जल जमा न होने देने और बिजली के चाकू‑पानी वाले उपकरणों को बंद रखने की सलाह दी।

स्थानीय प्रतिक्रिया और राहत उपाय

झारखंड सरकार ने तुरंत रांची में आपातकालीन संचालन केंद्र स्थापित किया। वहाँ के जिले के जिलाधिकारी ने कहा, "हमने एम्बुलेंस, डीसैटर, और मच्छर हटाने वाली टीमों को तैयार कर रखा है।" कई जिलों में पंप और बाढ़‑नियंत्रण वाले बैरियर तैयार किए जा रहे हैं।

स्थानीय स्वयंसेवी समूह भी मदद के लिए तैयार हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहाँ प्रत्यक्ष राहत पहुंचाना मुश्किल होता है। उनमें से कई ने सोलर‑चार्जिंग लैंप और स्नैक्स का प्रबंध किया है, ताकि ग्रामीण लोग रात में सुरक्षित महसूस कर सकें।

भविष्य में क्या देखना चाहिए

भविष्य में क्या देखना चाहिए

आगामी दो हफ्तों में विभाग ने कहा कि नई वायुमंडलीय दबाव प्रणाली फिर से उभरेगी। यदि टुंड्रा‑वार्मिंग बिंदु बढ़ता है, तो इस तरह की असमान्य मौसमी घटनाएँ अधिक बार देखी जा सकती हैं। इसलिए, लोग देर‑देरी तक अपडेट्स चेक करते रहें, खासकर दैनिक मौसम पूर्वानुमान को।

सारांश में, यह अलर्ट न सिर्फ़ मौसम की बदलती स्थिति को दर्शाता है, बल्कि इससे जुड़े जोखिमों से बचने के लिए सार्वजनिक चेतना की भी जरूरत है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या ऑरेंज अलर्ट वाले जिलों में बाढ़ का खतरा है?

ऑरेंज अलर्ट का मतलब है अत्यधिक बारिश की संभावना, इसलिए गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा और हजारीबाग में नदियों का जलस्तर बढ़ सकता है। स्थानीय प्रशासन ने पहले ही बचाव दल तैनात कर दिया है, लेकिन अनपेक्षित बाढ़ के लिए तैयारी रखना advisable है।

वज्रपात से सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

बिजली की काठी वाले उपकरणों को बंद रखें, खुले मैदान में न जाएँ, और घर के भीतर रहने के दौरान प्लग‑इन डिवाइस के बाहरी भाग से हाथ न लगाएँ। यदि वज्रपात की आवाज़ सुनें तो तुरंत सुरक्षित कमरे में शरण लें।

क्या इस वर्ष के मौसम में कोई खास वैज्ञानिक कारण बताने लायक है?

विज्ञानियों का मानना है कि बंगाल की खाड़ी में लो‑प्रेशर सिस्टम और उत्तर‑पूर्वी भारत में साइक्लोनिक सर्कुलेशन का संयोजन इस वर्ष की असामान्य बारिश का मुख्य कारण है। समुद्र सतह का तापमान उच्च होने से हवा में नमी बढ़ी और तीव्र वृष्टि को बढ़ावा मिला।

स्थानीय प्रशासन ने कौन‑से राहत उपाय लागू किए हैं?

रांची में आपातकालीन संचालन केंद्र स्थापित किया गया है, जहाँ से एम्बुलेंस, डीसैटर व जल निकालने वाले पंप तुरंत उपलब्ध हैं। साथ ही, स्वयंसेवी समूहों ने प्राथमिक चिकित्सा किट, खाद्य सामग्री और सोलर‑लाइट्स का प्रबंध किया है।

अगले कुछ दिनों में मौसम कैसा रहेगा?

बॉक्सिंग के अनुसार, 5‑6 अक्टूबर तक मौसमी गड़बड़ी जारी रहने की संभावना है। 7 अक्टूबर के बाद भी हल्की‑से‑मध्यम बिखरी हुई बारिश का जोखिम रह सकता है, इसलिए अपडेट्स चेक करते रहें।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (19)
  • sharmila sharmila
    sharmila sharmila
    6.10.2025

    भाईयो और बहनो, इस अलर्ट को देखते ही दिल ही धड़कने लगा। रिची और आसपास के जिले में हल्की-से-बारिश का कुख्याल रखिए, नहीं तो घर में पानी भर सकता है। कृपा करके वज्रपात के समय बाहर न जाएँ।

  • Akhil Nagath
    Akhil Nagath
    3.08.1975

    विज्ञान के दृष्टिकोण से देखें तो यह प्रणाली अद्वितीय है; लो‑प्रेशर की गहराई और उष्णकटिबंधीय मौसमी चक्र ने इस पैटर्न को जन्म दिया है।
    स्थानीय प्रशासन को त्वरित चेतावनी प्रसारित करनी चाहिए, तब ही सामाजिक सुरक्षा संभव है। 😊

  • anushka agrahari
    anushka agrahari
    7.08.1975

    सभी मित्रों, इस मौसम में सावधानी बरतना अत्यावश्यक है; न केवल बाढ़, बल्कि बिजली के प्रकोप से घर में जाने वाले उपकरणों की सुरक्षा भी आवश्यक है।
    सभी ने आपातकालीन किट तैयार रखनी चाहिए; यह न केवल शारीरिक सुरक्षा बल्कि मन की शांति भी प्रदान करता है।

  • aparna apu
    aparna apu
    10.08.1975

    अरे भाई लोग, इस बारिश का जलवा देख कर तो मानो प्रकृति ने हमें बड़ा ही नाटकीय नाटक पेश कर दिया है! गढ़वा‑पलामू में ऑरेंज अलर्ट का मतलब है कि अब हम सबको जल‑जंगल में घास‑फूस की तरह फँसने की संभावना है।
    पहले तो मैं सोच रहा था कि बस हल्की‑सी बौछार होगी, मगर वर्षों की परेशानियों ने हमें सिखा दिया कि ऐसे सिस्टम कैसे काम करते हैं।
    बांग्लादेश की खाड़ी से उठता वो लो‑प्रेशर, अब हमारे राज्य की नदियों को भर रहा है, जैसे किसी ने भरे हुए पिचर में पानी डाल दिया हो।
    इसे देखते हुए मैं कहना चाहूँगा कि हमें तुरंत अपने घरों के निचले हिस्से से पानी निकालना शुरू कर देना चाहिए, नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा।
    सभी ने अपने आपातकालीन सामान जैसे टॉर्च, बैटरियां, पोर्टेबल जेनरेटर, और जरूरी दवाइयाँ तैयार रखनी चाहिए।
    अगर आप ग्रामीण इलाकों में हैं तो स्थानीय स्वयंसेवकों के संग मिलकर सामुदायिक बाढ़‑नियंत्रण की योजना बनाएं।
    बिजली के उपकरणों को प्लग‑इन रखने से बचें, क्योंकि वज्रपात में शॉर्ट‑सर्किट का खतरा बहुत अधिक होता है।
    किसी भी समय अगर आप सुनें कि गड़गड़ाहट के साथ चमक भी हो, तो तुरंत सुरक्षित जगह पर शरण लें, खुले में न रहें।
    इस सतत बरसात से और भी एसे कई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे की फसलें जल नष्ट हो जाना, लोग जल‑जन्य रोगों का शिकार हो जाना।
    तो चलिए मिलकर इस आपदा को मात देते हैं, क्योंकि एकजुटता में ही शक्ति है।
    अंत में, मैं यह कहना चाहूँगा कि यह अलर्ट हमारे लिए एक चेतावनी है, जो हमें भविष्य में अधिक तैयार रहने की सीख देता है।
    सभी को मेरी ओर से शुभकामनाएँ, सुरक्षित रहें और अपने परिवार की रक्षा करें।

  • arun kumar
    arun kumar
    13.08.1975

    भाई अपु, तुमने जो बातों को इतनी उत्साह के साथ लिखा, उससे लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। हम सब मिलकर इस बारिश में एक-दूसरे को मदद कर सकते हैं। चलो, हर गाँव में छोटे‑छोटे बचाव टीम बनाते हैं।

  • Prashant Ghotikar
    Prashant Ghotikar
    16.08.1975

    शिवांश, तुम्हारी राष्ट्रीय भावना काबिले‑समीक्षा है, पर हमें तकनीकी विवरणों पर भी ध्यान देना चाहिए। लो‑प्रेशर सिस्टम की गहराई और गति को समझकर ही हम उचित बाढ़‑नियंत्रण उपाय कर पाएँगे।

  • Sameer Srivastava
    Sameer Srivastava
    19.08.1975

    अखिल, आपका औपचारिक अंदाज़ बहुत अच्छा है, लेकिन जरा भावनाओं की भी झलक दिखाएँ-जैसे, "भाईयों, बाढ़ आने वाली है, तैयार रहें!" इस तरह से लोगों का दिल भी जीतेंगे।

  • Mohammed Azharuddin Sayed
    Mohammed Azharuddin Sayed
    23.08.1975

    इसे देख कर मुझे लगता है कि अगर हम सुबह‑शाम की मौसम रिपोर्ट को नियमित रूप से फॉलो करें तो बहुत मदद मिल सकती है। डेटा‑ड्रिवेन अप्रोच अपनाएँ और सावधान रहें।

  • naman sharma
    naman sharma
    26.08.1975

    इस अलर्ट के पीछे छुपी हुई एक गुप्त एजेंडा हो सकती है, जिससे सरकार जनता को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। हमें इस पर गहराई से विचार करना चाहिए।

  • Sweta Agarwal
    Sweta Agarwal
    29.08.1975

    ओह, वही तो! हर बार जब मौसम विभाग अलर्ट जारी करता है, तो लोग बस घबराते हैं और कुछ नहीं करते। ठीक है, अब से हम सब प्लान बना लेते हैं, है ना? 🙄

  • KRISHNAMURTHY R
    KRISHNAMURTHY R
    1.09.1975

    भाईयों, मौसम के बदलाव को समझने के लिए हमें टेक्निकल डेटा पर भरोसा करना चाहिए। अगर आप आगे हैं तो मुझे भी अपडेट्स शेयर करें! 😊

  • priyanka k
    priyanka k
    5.09.1975

    वाह, फिर से वही पुरानी खबर…

  • Navina Anand
    Navina Anand
    8.09.1975

    प्रिया, हर बार ऐसा कहने से कुछ नहीं होता। चलिए हम सब मिलकर इस अलर्ट को एक सकारात्मक चुनौती बनाते हैं-सुरक्षा को बढ़ाएँ, मदद की तैयारी करें।

  • Avadh Kakkad
    Avadh Kakkad
    11.09.1975

    वास्तव में, इस तरह की अलर्ट हर साल आती रहती हैं, इसलिए स्थानीय प्रशासन को पहले से ही सटीक बाढ़‑नियंत्रण उपायों की योजना बनानी चाहिए।

  • Sameer Kumar
    Sameer Kumar
    14.09.1975

    अवध जी, आपका ज्ञान सही है, पर हमें इसे स्थानीय स्तर पर लागू करने के लिए सामाजिक सहभागिता भी जरूरी है।

  • vipin dhiman
    vipin dhiman
    17.09.1975

    ए भाई, इसलो‑प्रेशर सिसोस्टमको सबको समझना चाहिये। वरना जब बाढ़आ उटेगी तो फिर देखना।

  • vijay jangra
    vijay jangra
    21.09.1975

    सच में, इस अलर्ट से हमें यह सीख मिलती है कि प्रकृति की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। सभी को धन्यवाद, हम सब मिलकर इस चुनौती को पार करेंगे।

  • Vidit Gupta
    Vidit Gupta
    24.09.1975

    बहुत बढ़िया, सभी को मिलजुल कर इस मौसम को संभालना चाहिए; टीमवर्क में ही ताकत है!!

  • Gurkirat Gill
    Gurkirat Gill
    27.09.1975

    गुरकिरात भाई, मैं भी यही कहूँगा-आइए, हम सब मिलकर स्थानीय स्वयंसेवकों को समर्थन दें और सुरक्षित रहने की योजना बनाएं।

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