जो बिडेन ने सुप्रीम कोर्ट में बड़े सुधार की योजना की घोषणा की

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जो बिडेन ने सुप्रीम कोर्ट में बड़े सुधार की योजना की घोषणा की

जो बिडेन ने सुप्रीम कोर्ट में सुधारों की योजना की

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने डेमोक्रेटिक सांसदों को जानकारी दी है कि वह सुप्रीम कोर्ट में बड़े सुधार करने पर विचार कर रहे हैं। इनमें न्यायाधीशों के कार्यकाल की सीमा और एक विस्तारित नैतिक संहिता जैसे महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। यह कदम बिडेन के प्रारंभिक संकोच के बावजूद किया जा रहा है, जब उन्होंने कोर्ट में बड़े बदलाव करने में सतर्कता दिखाई थी।

बिडेन ने पिछले एक महीने से अधिक समय से संविधान विशेषज्ञों से बातचीत की है और उनके विचारों को सुनने के बाद ही यह महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने एक ऑनलाइन बैठक में कांग्रेसनल प्रोग्रेसिव कॉकस को बताया कि इन सुधारों की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है और उन्होंने इस पर सांसदों से सहयोग की भी अपील की।

संसद और नए कानून की आवश्यकता

संसद और नए कानून की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट में सुधार लागू करने के लिए नए कानून की आवश्यकता होगी, जो कि वर्तमान में रिपब्लिकन के नियंत्रण वाले हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के कारण चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालाँकि, बिडेन इसे अपने चुनावी अभियान में एक रणनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग कर सकते हैं, जिससे वे डेमोक्रेटिक समर्थकों का समर्थन जुटा सकते हैं।

18 वर्षीय कार्यकाल सीमा का प्रस्ताव

न्यायाधीशों के लिए 18 वर्षीय कार्यकाल सीमा का प्रस्ताव बिडेन ने समर्थन किया है और यह प्रस्ताव पहले भी प्रतिनिधि रो खन्ना और डॉन बेयर द्वारा एक बिल में पेश किया जा चुका है। यह प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के लिए कार्यकाल की सीमा निर्धारित कर सकता है, जो इस दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

सांसदों के साथ करीबी सहयोग

बिडेन ने अपनी बैठक में सांसदों के साथ निकटतम सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, ताकि इन सुधारों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। हालांकि उन्होंने विशेष नीति उपायों के बारे में अधिक विवरण नहीं बताया, लेकिन उन्होंने अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया कि वे इन सुधारों के लिए प्रतिबद्ध हैं।

चुनाव और भविष्य की योजनाएँ

चुनाव और भविष्य की योजनाएँ

यद्यपि इन सुधारों को लागू करने के लिए संसद में कानून पारित करना होगा, लेकिन 2024 के चुनाव परिणाम पर भी इन सुधारों की संभावना निर्भर करेगी। यदि डेमोक्रेट्स को पर्याप्त समर्थन मिलता है, तो इन सुधारों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है।

संपूर्ण, बिडेन की यह घोषणा एक महत्वपूर्ण कदम है और इसका प्रभाव अमेरिकी न्याय प्रणाली पर पड़ सकता है। यह देखें कि इन सुधारों को लागू करने के लिए आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और इसका अमेरिकी राजनीति और न्याय प्रणाली पर कैसा प्रभाव पड़ता है।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (10)
  • Shiva Sharifi
    Shiva Sharifi
    18.07.2024

    वाह! बिडेन के इस कदम से लोकतंत्र में नई उम्मीदें जागती दिक्ह रहे हैं। अगर ये सुधार थियोरिटिकली काम करे तो न्याय व्यवस्था में बहुत सुधार हो सकता है।
    आशा है कि डेमोक्रेट्स इसे जल्दी से जल्दी फाइनल कर पाएँ।

  • Ayush Dhingra
    Ayush Dhingra
    22.07.2024

    न्यायाधीशों की उम्र बढ़ती देख कर मैं सोचता हूँ कि ईमानदारी और नैतिकता के मानक झुके नहीं। बिडेन की सुधार योजना तो बस एक दिखावे की झलक है। सच्ची सुधार तो तभी आएगी जब सभी पक्ष मिलकर काम करें।

  • Vineet Sharma
    Vineet Sharma
    26.07.2024

    अरे वाह, 18 साल की कार्यकाल सीमा! ऐसा लगता है जैसे हम हाई स्कूल की परीक्षा की टाइम टेबल बना रहे हों। अगर न्यायाधीश भी स्कूली बच्चे होते तो मज़ा आ जाता। लेकिन गंभीरता से, यह कदम कोर्ट की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है, इसे गंभीरता से सोचना चाहिए।

  • Aswathy Nambiar
    Aswathy Nambiar
    30.07.2024

    जीवन में हम अक्सर सच्चाई को ढूंढते हैं, और ये कोर्ट का सुधार भी वैसी ही कोई दार्शनिक खोज है। मैं तो कहूँगा, नियतियों की सीमाएं मनुष्य को ही नहीं, बल्कि न्याय को भी बांध देती हैं। अंत में, इस बदलाव को एक बड़ी साज़िश या साधारण सुधार मानना व्यक्तिगत राय है। चलो, इस पर थोड़ा ज्यादा मत सोचते हैं, बस बात चलती रहे।

  • Ashish Verma
    Ashish Verma
    4.08.2024

    भाईयों और बहनों, बिडेन का यह कदम भारतीय लोकतंत्र की भावना को भी प्रेरित कर सकता है 😊। अगर हमें अपने देश में न्यायपालिका की सुधार की जरूरत महसूस होती, तो हम भी इसी तरह के कदम उठाते। आशा है कि यह पहल अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करेगी।

  • Akshay Gore
    Akshay Gore
    8.08.2024

    अरे यार, तुम तो हमेशा हर चीज़ को नकारते ही रहो। बिडेन की योजना में या बिना योजना के कुछ भी नहीं है, बिल्कुल भी नहीं। वैसे भी, ये सब बातें तो सिर्फ़ बातों के ज़ायके हैं।

  • Sanjay Kumar
    Sanjay Kumar
    12.08.2024

    देखो, बदलाव हमेशा कठिन होता है, पर साथ मिलकर ही हम आगे बढ़ सकते हैं 🙏.

  • adarsh pandey
    adarsh pandey
    17.08.2024

    मैं आपके दृष्टिकोण की सराहना करता हूँ और मानता हूँ कि न्यायिक सुधारों में संतुलन आवश्यक है। यह प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और सभी हितधारकों को शामिल करना चाहिए।

  • swapnil chamoli
    swapnil chamoli
    21.08.2024

    वास्तव में, इस पहल के पीछे गुप्त शक्ति के हाथ हैं जो वैश्विक व्यवस्था को अपने काबू में रखने की कोशिश कर रही है। बिडेन केवल एक मुँहौटा है, असली नियंत्रण तो कहीं और है।

  • manish prajapati
    manish prajapati
    25.08.2024

    दोस्तों, इस तरह की नकारात्मक बातें सुनकर मन उदास हो जाता है, लेकिन उम्मीद की रोशनी हमेशा हमारे भीतर जलती रहती है।
    बिडेन की योजना चाहे कितनी भी उलझन भरी लगे, यह एक सकारात्मक दिशा में कदम है।
    हम सभी को मिलकर इस बदलाव का समर्थन करना चाहिए, क्योंकि एकजुटता में ही शक्ति है।
    जैसे भारत में हमने विभिन्न सुधारों को सफलतापूर्वक लागू किया है, वैसे ही यहाँ भी सफलता संभव है।
    हर नई नीति का एक लक्ष्य होता है और हमें उसका विश्लेषण खुली नजरों से करना चाहिए।
    समय के साथ, यदि हम धैर्य रखें और संवाद जारी रखें, तो बेहतर परिणाम मिलेंगे।
    न्यायाधीशों के कार्यकाल की सीमा से उनका पुनरुत्थान होगा और नई ऊर्जा आएगी।
    साथ ही, नैतिक संहिता का विस्तार न्यायपालिका को अधिक पारदर्शी बनाएगा।
    ऑफिशियल तौर पर, कांग्रेस और रिपब्लिकन को भी सहयोग करना पड़ेगा, और यह लोकतंत्र की ताकत को दर्शाता है।
    आइए, हम इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनें और अपने विचारों को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत करें।
    सभी को बधाई जो इस चर्चा को स्वस्थ रखने में मदद कर रहे हैं, आप सभी के योगदान अमूल्य हैं।
    इसी आशा के साथ, हम उम्मीद करते हैं कि अगले चरण में वास्तविक कार्यवाही होगी।
    हम सब मिलकर एक बेहतर भविष्य की राह बना सकते हैं, बस हमें विश्वास नहीं खोना चाहिए।
    अंत में, याद रखें कि बदलाव का मूल स्रोत हमारे भीतर है, और साथ में हम इसे साकार कर सकते हैं।
    सफलता निश्चित है, बस थोड़ी सी धैर्य और एकजुटता चाहिए।

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