लड़की बहन योजना में जून माह का भत्ता देर से: लाखों महिलाओं को प्रभावित कर रही कड़ी सत्यापन प्रक्रिया

  • घर
  • लड़की बहन योजना में जून माह का भत्ता देर से: लाखों महिलाओं को प्रभावित कर रही कड़ी सत्यापन प्रक्रिया
लड़की बहन योजना में जून माह का भत्ता देर से: लाखों महिलाओं को प्रभावित कर रही कड़ी सत्यापन प्रक्रिया

मुख्यमंत्री मुझी लड़की बहन योजना लड़की बहन योजना का लक्ष्य महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता देना है, पर वर्तमान में इस योजना के तहत जून माह का भत्ता कई महीनों से नहीं पहुँचा है। एग्जैक्टली कौन‑सी गड़बड़ी है, क्यों लाखों महिलाओं को इंतजार करना पड़ रहा है, इस पर गहराई से नज़र डालते हैं।

भुगतान में देरी के मुख्य कारण

सबसे पहले तो तकनीकी समस्या को नहीं अनदेखा कर सकते। फरवरी के महीने में भी इस योजना के आठवें किस्त के लिए राज्य वित्त विभाग से ₹3,490 करोड़ की मंजूरी मिली थी, पर शॉर्टकट सिस्टम में बग के कारण भुगतान 27 फरवरी तक नहीं हो सका। इससे पहले ही महिलाएँ चिंतित हो गई थीं, और अब वही समस्या जून में दोहराई जा रही है।

पर तकनीकी गड़बड़ी के साथ-साथ सरकार ने कड़ी सत्यापन प्रक्रिया भी लागू कर दी है। दिसंबर 2023 में लगभग 2.46 करोड़ महिलाएँ इस योजना का लाभ ले रही थीं, लेकिन जनवरी तक यह संख्या 2.41 करोड़ तक गिर गई। फरवरी में फिर चार लाख कम होकर 2.37 करोड़ रह गईं। इसका बड़ा कारण है कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने हर जिले में लाभार्थियों की सूची को दोबारा जाँचने का आदेश दिया।

विशेष रूप से सोलापूर जिले में स्थिति ज्यादा तनावपूर्ण है। यहाँ 11.5 लाख महिलाएँ इस योजना से जुड़ी थीं, लेकिन विभाग ने 12,500 से अधिक नामों को लौटाया और एंगनवाड़ी कार्यकर्ता अब घर‑घर जाकर चार‑पहिए वाहन के मालिकाना हक की जाँच कर रहे हैं। क्योंकि अगर किसी महिला के पास कार या दोपहिया वाहन है, तो उसे इस योजना से बाहर कर दिया जाता है। इस जाँच के चलते न केवल उन महिलाओं को, जिनके ऊपर संदेह है, बल्कि पूरे जिले की सभी योग्य महिलाओं को भुगतान में देरी का सामना करना पड़ रहा है।

  • तकनीकी कारणों से भुगतान में कई दिन की देरी
  • कड़ी पात्रता जाँच ने लाभार्थी संख्या घटाई
  • सोलापूर में वाहन‑मालिकाना जाँच ने पूरे जिले में भुगतान रोक दिया
  • आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को अतिरिक्त असुविधा

योजना का कुल बजट ₹46,000 करोड़ है और इसका उद्देश्य महिलाओं को स्वास्थ्य, पोषण और परिवारिक भूमिका में सुधार देना है। जुलाई 2024 से शुरू हुए इस कार्यक्रम में अब तक प्रत्येक महिला को सात किस्तों तक, कुल ₹10,500 मिल चुके हैं। लेकिन अब जब भुगतान रुक गया है, तो महिलाओं की दैनिक जरूरतें कैसे पूरी होंगी, यह सवाल उठता है।

सचिवालय का उत्तर और आगे की योजना

सचिवालय का उत्तर और आगे की योजना

राज्य सरकार ने कहा है कि ये कदम केवल असली जरूरतमंदों को ही सहायता पहुँचाने के लिए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन परिवारों की वार्षिक आय ₹2,50,000 से अधिक है, उन्हें इस योजना से बाहर किया जाएगा। इसके अलावा, अगर किसी महिला को अन्य सरकारी योजनाओं से ₹1,000 मिल रहे हैं, तो वह महिला इस योजना से केवल ₹500 ही ले सकेगी, ताकि दोहरी लाभ प्राप्त न हो।

प्रमुख अधिकारी रजत पाटिल, महिला एवं बाल विकास विभाग के दिग्गज, ने बताया कि अगले दो हफ्तों में सभी जिलों में सत्यापन का एक स्पष्ट टाइम‑टेबल जारी किया जाएगा। उनका कहना है, "हमारी प्राथमिकता है कि हर योग्य महिला को समय पर भत्ता मिले, लेकिन साथ ही हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि धोखाधड़ी का कोई मौका न रहे।"

दूसरी ओर, कई सामाजिक कार्यकर्ता और महिला समूह इस कड़ी जाँच को आलोचना का लक्ष्य बना रहे हैं। उनका मानना है कि गाड़ी की जाँच जैसे छोटे‑छोटे मानदंडों से कई मेहनती महिलाएँ बाहर पड़ रही हैं, जो वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि वे प्रक्रिया को सरल बनाकर, वास्तविक लाभार्थियों को समय पर मदद पहुँचाएँ।

इस बीच, एंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पास एक नई चुनौती भी है—घर‑घर जाकर वाहन‑सत्यापन करने के साथ साथ उन्हें कई दस्तावेजों की छानबीन भी करनी पड़ रही है। कई मामलों में महिलाओं को अपने वाहन के पेपर दिखाने में कठिनाई होती है, जिससे जाँच प्रक्रिया में और देरी होती है।

सारांश में, तकनीकी बाधाओं, कड़ी पात्रता जाँच और क्षेत्रीय विशिष्ट जाँचें मिलकर लड़की बहन योजना की आवाज़ को दबी हुई हैं। जबकि सरकार अपने नीतियों को लागू करने में पुख्ता है, वास्तविक लाभार्थी इस देरी के कारण आर्थिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं। अगले कुछ हफ़्तों में यदि सरकार स्पष्ट टाइम‑लाइन और तेज़ तंत्र ले आती है, तो यह समस्या कम हो सकती है।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (4)
  • Sony Lis Saputra
    Sony Lis Saputra
    21.09.2025

    यह योजना सच में महिलाओं को भरोसा दिलाती है, पर भुगतान में देरी ने कई घरों को बेचैन कर दिया है। तकनीकी बग और कड़ी सत्यापन प्रक्रिया दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उन्हें संतुलन में लाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वे इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करके बग को जल्द ठीक करें। साथ ही, सत्यापन के मानदंड स्पष्ट और जल्दी ढंग से लागू हों, ताकि जरूरतमंद को तुरंत मदद मिले।

  • Kirti Sihag
    Kirti Sihag
    27.09.2025

    क्या बकवास है ये! लाखों बहनें भूखे पेट रह रही हैं, सबको वही‑वही बोला जा रहा है कि “सुरक्षा के लिए” 🙄😡। ये गाड़ी‑जाँच का ढीला‑ढाला तरीका तो बस दर्द बढ़ा रहा है! बस, अब सहन नहीं होता, सरकार सुनो, जल्दी से जल्दी पैसा रिलीज़ करो! 😤

  • Vibhuti Pandya
    Vibhuti Pandya
    3.10.2025

    सभी को समान अवसर देने का सिद्धांत सराहनीय है, पर प्रक्रिया में इतनी जटिलता कभी‑कभी असली लाभार्थियों को बाहर कर देती है। मैं समझता हूँ कि धोखाधड़ी रोकनी आवश्यक है, पर समय सीमा भी निर्धारित करनी चाहिए। यदि हर जिले में एक ही टाइम‑टेबल लागू हो तो असमानता कम हो सकती है। सभी महिलाओं को स्पष्ट सूचना मिलनी चाहिए।

  • Aayushi Tewari
    Aayushi Tewari
    9.10.2025

    योजना के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से लिखा गया है, परन्तु भुगतान में देरी का कारण तकनीकी त्रुटियों तथा कठोर सत्यापन प्रक्रिया दोनों हैं। इस संदर्भ में, यदि विभाग द्वारा सूची पुनः जाँच के मानदंड को सरल बनाया जाए, तो समय पर वितरण संभव हो सकेगा। साथ ही, वाहन‑स्वामित्व के सत्यापन के लिए एक मानकीकृत प्रोटोकॉल तैयार किया जाना चाहिए।

एक टिप्पणी लिखें