पंजाब में जन्म, ओमान की कप्तानी: भारतीय मूल के क्रिकटर जतिंदर सिंह की पूरी कहानी

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पंजाब में जन्म, ओमान की कप्तानी: भारतीय मूल के क्रिकटर जतिंदर सिंह की पूरी कहानी

लुधियाना से मस्कट: बल्लेबाज़, विकेटकीपर, फिर कप्तान

यह कहानी उस लड़के की है जिसका जन्म पंजाब में हुआ और जो अब खाड़ी की रेत पर अपनी टीम को एशिया के दिग्गजों के सामने खड़ा कर रहा है। जतिंदर सिंह—लुधियाना के एक साधारण से परिवार के बेटे—ओमान क्रिकेट की पहचान बन चुके हैं। एशिया कप 2025 में जब ओमान भारत और पाकिस्तान जैसी टीमों से भिड़ेगा, तो यह मुकाबला सिर्फ स्कोरकार्ड का नहीं, बल्कि पहचान, प्रवास और मेहनत का भी होगा।

जतिंदर का क्रिकेट सफर 2003 से शुरू होता है, जब उनका परिवार मस्कट आ बसा। इससे लगभग तीन दशक पहले, 1975 में, उनके पिता गुरमेल सिंह एक बढ़ई के तौर पर रॉयल ओमान पुलिस में काम करने ओमान आए थे। मस्कट में स्कूलिंग इंडियन स्कूल में हुई, जहां मैदान कम थे, लेकिन जुनून ज्यादा। यही से उन्होंने स्थानीय क्लब क्रिकेट में जगह बनाई, सुबह की प्रैक्टिस, दोपहर में स्कूल, और शाम को मैच—यहीं उनकी नींव पड़ी।

ओमान अंडर-19 टीम में उन्हें 2007 में मौका मिला। ACC अंडर-19 एलीट कप में उन्होंने विकेटकीपर की भूमिका निभाई और पांच स्टंपिंग्स कर दिखाईं—एक मैच में तीन स्टंपिंग हांगकांग के खिलाफ। यह रिकॉर्ड जैसे उनके खेल की दिशा तय कर गया: तेज हाथ, तेज दिमाग और मैच की नब्ज पकड़ने की कला। बाद में उन्होंने खुद को टॉप-ऑर्डर राइट-हैंड बैटर के रूप में ढाला—मजबूत ऑफ-साइड गेम, सिंगल-डबल लेते रहने की आदत और अंतिम ओवरों में गियर बदलने की क्षमता।

सीनियर स्तर पर पदार्पण 2011 वर्ल्ड क्रिकेट लीग डिवीजन-3 में हुआ। एसोसिएट क्रिकेट की दुनिया में यहां से ऊपर चढ़ना आसान नहीं होता—ज्यादा यात्राएं, कम संसाधन, और हर मैच में पदोन्नति की कड़ी लड़ाई। 2015 में उनके करियर का अगला पड़ाव T20I डेब्यू रहा। इसके बाद वन-डे प्रारूप में भी उन्होंने टीम के लिए अहम रन बनाए और कई बार एंकर की भूमिका निभाई—वह भूमिका जो साथी बल्लेबाजों को खुलकर खेलने देता है।

कप्तानी उनके लिए सिर्फ टॉस जीतना और फील्ड सेट करना नहीं है। उनकी भूमिका टीम की संस्कृति गढ़ने की है—फिटनेस, फील्डिंग और छोटे-छोटे मैच-अप्स पर निरंतर काम। मस्कट की धीमी पिचों पर उन्होंने स्पिनर्स को सेंटर-स्टेज दिया, और बल्लेबाजों को 30-35 ओवर तक विकेट बचाकर आखिरी ओवरों में रफ्तार बढ़ाने की योजना पर टिकाया।

जतिंदर की पहचान बहु-स्तरीय है—लुधियाना के, सिख समुदाय के, रामगढ़िया बढ़ई बिरादरी से आते हैं, और ओमान के नागरिक बनकर वहां के युवा खिलाड़ियों के लिए आदर्श। उन्होंने यह भी साफ कहा है कि वे भारत से कोचिंग, हाई-परफॉर्मेंस कैंप और अभ्यास मैचों के लिए मदद चाहते हैं, ताकि ओमान के खिलाड़ियों को बेहतर नेट्स, गुणवत्तापूर्ण स्पारिंग पार्टनर्स और प्रोफेशनल स्ट्रक्चर मिले।

उनका सफर इस बात का सबूत है कि ICC की रेजिडेंसी नियमावली के तहत प्रतिभा सीमाओं से बंधती नहीं। कई खिलाड़ी काम या परिवार के साथ नए देश में बसते हैं, वहां के डोमेस्टिक ढांचे से ऊपर आते हैं और राष्ट्रीय टीम तक पहुंचते हैं। जतिंदर ने भी यही रास्ता चुना—धीरे-धीरे, पर लगातार।

  • 1989: जन्म, लुधियाना (पंजाब)
  • 1975: पिता गुरमेल सिंह काम के लिए ओमान आए
  • 2003: परिवार के साथ मस्कट शिफ्ट
  • 2007: ACC U-19 एलीट कप, पांच स्टंपिंग्स (एक मैच में तीन)
  • 2011: सीनियर डेब्यू, वर्ल्ड क्रिकेट लीग डिव-3
  • 2015: T20I डेब्यू
  • बाद के वर्ष: ODI प्रारूप में प्रवेश, टॉप-ऑर्डर में स्थायी जगह
  • कप्तानी: एशिया कप 2025 के लिए ओमान को क्वालिफाई कराना

यह टाइमलाइन सीधी दिखती है, लेकिन इसके पीछे छोटे-छोटे फैसले हैं—जैसे बैटिंग टेक्निक में ग्रिप ढीली रखना ताकि स्लो पिच पर बैट स्विंग स्मूद रहे, विकेटकीपिंग छोड़कर पूरी तरह बल्लेबाजी पर ध्यान देना, और ड्रेसिंग रूम में युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन देना।

ओमान क्रिकेट का उभार और एशिया कप 2025 का मंच

ओमान क्रिकेट पिछले एक दशक में खामोशी से बदल गया है। मस्कट का अल-अमीरात मैदान आज इंटरनेशनल कैलेंडर का हिस्सा है, और देश ने एसोसिएट सर्किट में खुद को भरोसेमंद टीम के तौर पर स्थापित किया है। T20 वर्ल्ड कप की मुख्य राउंड मौजूदगी, बुनियादी ढांचे में निवेश, और कॉर्पोरेट-प्रवासी समुदाय का समर्थन—इन तीन चीजों ने टीम को स्थिरता दी है।

एशिया कप 2025 के लिए ओमान का क्वालिफाई करना, कप्तान और प्रबंधन के लिए टर्निंग पॉइंट है। यह टूर्नामेंट एसोसिएट टीम को एशिया के सर्वश्रेष्ठ के खिलाफ खेलने का मौका देता है—हाई पेस अटैक, वर्ल्ड-क्लास स्पिन, और दबाव में चूक की कोई गुंजाइश नहीं। जतिंदर जानते हैं कि यहां रन बनाने का मतलब है नई क्रिकेटिंग पहचान पाना। यह सिर्फ टीवी पर दिखने भर की बात नहीं—यह खिलाड़ियों के करियर, देश की क्रिकेट फंडिंग और ग्रासरूट्स में भरोसा जगाने वाली उपलब्धि है।

कप्तान के तौर पर उनकी प्राथमिकताएं साफ हैं—क्वालिटी ट्रेनिंग, मैच सिमुलेशन और बड़े मैचों में नर्व्स संभालना। उन्होंने भारत से मदद की बात इसलिए उठाई क्योंकि उपमहाद्वीप के हालात—धीमी पिचें, रिवर्स स्विंग, कलाई स्पिन—ओमान के लिए सबसे प्रासंगिक हैं। अगर ओमान के बैटर भारतीय डोमेस्टिक टीमों के खिलाफ अभ्यास कर लें, तो उन्हें नई गेंद के बाद मिडल ओवर्स में स्पिन-जोख़िम से निपटने का अच्छा अभ्यास मिलेगा।

ओमान के स्क्वॉड में विविध पृष्ठभूमि के खिलाड़ी हैं—हम्माद मिर्ज़ा, विनायक शुक्ला, सुुफयान यूसुफ, आशीष ओडे़दारा, आमिर कलीम जैसे नाम—जो ड्रेसिंग रूम में अलग-अलग स्किलसेट लाते हैं। किसी के पास पावर गेम है, तो कोई नई गेंद से सटीक लाइन-लेंथ पर अडिग रहता है। यह मिश्रण ओमान को परिस्थितियों के अनुसार खेलने की लचीलापन देता है।

मस्कट की पिचें आम तौर पर धीमी हैं, आउटफील्ड तेज है, और शाम के समय ओस असर डाल सकती है। जतिंदर की प्लानिंग में इसी लिए दो चीजें अहम हैं—पावरप्ले में विकेट बचाकर 50-55 के आसपास स्कोर, और 12 से 16 ओवर तक स्पिन के खिलाफ कम ख़तरे वाला अटैक। डेथ ओवर्स के लिए एक फिनिशर और एक फ्लोटिंग बैटर तैयार रखना—जो स्थिति के मुताबिक नंबर बदल सके—उनके कॉम्बिनेशन का हिस्सा है।

फील्डिंग पर उनकी टीम का जोर साफ दिखता है। एसोसिएट क्रिकेट में वही टीम आगे निकलती है जो 20-25 रन फील्डिंग से बचा ले। कटक जैसी इनिंग्स—जहां 35-40 रन के आसपास पार्टनरशिप टिके और आखिरी 10 ओवर में 90 के करीब रन—यही उनका टेम्पलेट है। और हां, बेंच स्ट्रेंथ पर भी ध्यान है: यदि पहले 10 ओवर में विकेट गिरें, तो मिडल-ऑर्डर में सामर्थ्य हो कि वह पारी को रीसेट कर सके।

भारत से मदद का आइडिया सिर्फ नेट्स तक सीमित नहीं। हाई-परफॉर्मेंस प्रोग्राम, फिटनेस बेंचमार्क, डेटा-एनालिटिक्स, और ए-टीम के खिलाफ अभ्यास मैच—ये सब ओमान के लिए जल्दी असर दिखा सकते हैं। भारतीय कोचिंग इकोसिस्टम में स्पिन बनाम स्पिन की तैयारी, पॉवर-हिटिंग के माइक्रो-ड्रिल्स, और विकेट-टू-विकेट बॉलिंग की आदत पहले से मौजूद है। जतिंदर इसी पूल का दरवाज़ा ओमान के लिए खोलना चाहते हैं।

एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के खिलाफ खेलना उनके लिए भावनात्मक भी रहेगा। जन्मभूमि और कर्मभूमि के बीच खड़ा खिलाड़ी अक्सर दोहरी जिम्मेदारी महसूस करता है—मैदान पर प्रोफेशनल बने रहना, और मैच के बाद स्टैंड्स में बैठे अपने ही समुदाय के लोगों से मिलना। खाड़ी में भारतीय और पाकिस्तानी प्रवासी बड़ी संख्या में हैं—स्टेडियम में शोर होगा, रंग होंगे, और एक एसोसिएट टीम के लिए यह माहौल नया नहीं, पर बड़ा जरूर होगा।

ओमान क्रिकेट का ढांचा अभी भी विकासशील है। कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम, लॉन्ग-सीजन डोमेस्टिक टूर्नामेंट, और यूनिवर्सिटी-स्कूल लीग्स—इन तीन मोर्चों पर और काम होगा, तभी टैलेंट पाइपलाइन स्थिर बनेगी। जतिंदर की कप्तानी में टीम मैनेजमेंट इन बिंदुओं पर ध्यान दे रहा है—फिटनेस टेस्ट नियमित, डेथ बॉलिंग के लिए यॉर्कर और स्लोअर-वैरिएशन पर फोकस, और युवाओं को वरिष्ठों के साथ मिलाकर कैंप्स कराना।

एक और पहलू है—मानसिक मजबूती। एसोसिएट टीमों के लिए खराब ओवरों का असर लंबा चलता है। जतिंदर बैटिंग यूनिट से अपेक्षा करते हैं कि वे 8-10 डॉट बॉल के बाद भी पैनिक न करें। इसी तरह, गेंदबाजों से उम्मीद है कि वे हर स्पेल में एक ओवर को ‘रीसेट’ ओवर मानकर सिर्फ बेसिक्स पर लौटें—हार्ड लेंथ, स्टंप-टू-स्टंप, और इनर सर्कल को सक्रिय रखना।

योग्यता की कहानी सिर्फ पुरुष क्रिकेट तक सीमित नहीं। ओमान में महिलाओं और जूनियर क्रिकेट के लिए भी अब संरचनाएं बन रही हैं। कप्तान के तौर पर वह अक्सर स्कूलों में जाकर क्लीनिक करवाते हैं, जहां बेसिक्स—ग्रिप, स्टांस, हेड पोजिशन—पर काम होता है। यह निवेश पांच-छह साल में नतीजा देता है, और एशिया कप जैसी उपलब्धियां उसी बीज की सिंचाई करती हैं।

कानूनी और प्रशासनिक पहलू भी महत्वपूर्ण हैं। ICC की रैंकिंग, फंडिंग और टूर्नामेंट स्लॉट्स प्रदर्शन पर आधारित हैं। एशिया कप में प्रतिस्पर्धी क्रिकेट ओमान को और अंतरराष्ट्रीय मैच दिलाएगा, जिसका सीधा असर खिलाड़ियों की गेम-टाइम पर पड़ेगा। लंबे समय में यही चीजें टीम की औसत स्किल-लेवल बढ़ाती हैं—अलग-अलग कंडीशंस में खेलना, अलग गेंदबाजों का सामना करना, और क्लच मोमेंट्स की आदत बनना।

जतिंदर की अपनी बैटिंग फिलॉसफी सरल है—नई गेंद पर रिस्क कम, मिडल ओवर्स में गैप्स ढूंढ़ो, और डेथ में अगर स्ट्राइक-रेट बढ़ाना है, तो प्री-डिसाइड शॉट्स के बजाय बॉलर की लंबाई पढ़ो। यही व्यवहारिक क्रिकेट टीम में भी उतरता है। वे जानते हैं कि एशिया कप जैसे मंच पर 10 मिनट का खराब फेज़ मैच पलट देता है, इसलिए छोटे-छोटे मोमेंट्स जीतना ही बड़ी जीत का रास्ता हैं।

उनके लिए यह भी खास है कि भारत के खिलाफ खेलते हुए वे अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं—भाषा, भोजन, त्योहार—सब ओमान के ड्रेसिंग रूम में भी जगह रखते हैं। इस बहुसांस्कृतिक माहौल में टीम के नियम सरल हैं: समय पर पहुंचो, फिट रहो, और साथी का सम्मान करो।

लुधियाना की गलियों से निकलकर मस्कट के अंतरराष्ट्रीय मैदान तक का सफर हमें याद दिलाता है कि क्रिकेट सीमाएं नहीं देखता। जतिंदर जैसे खिलाड़ी बताते हैं कि मेहनत, अवसर और साहस के साथ एक एसोसिएट टीम भी एशिया के सबसे बड़े मंच तक पहुंच सकती है। अब एशिया कप 2025 उस कहानी का अगला अध्याय है—जहां स्कोरबोर्ड के साथ-साथ ओमान क्रिकेट का भविष्य भी दांव पर होगा।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (7)
  • Ajay Kumar
    Ajay Kumar
    20.09.2025

    जतिंदर का सफर हमें याद दिलाता है कि सीमाएँ केवल कागज़ की रेखाएँ होती हैं। भारत की मिट्टी से निकली जड़ें ओमान के रेगिस्तान में खिलती पंखुड़ियों जैसी हैं, यह कहानी कबीले की सच्ची राहत है। वह न केवल बैट से रन बनाता है, बल्कि पहचान की पूँजी भी जमा करता है। इस प्रकार, अंतरराष्ट्रीय खेलों में बहुप्रभुता की पराकाष्ठा को हम देख सकते हैं।

  • Ravi Atif
    Ravi Atif
    20.09.2025

    वाह, क्या यात्रा है! 🌟 जतिंदर की कहानी सुनते‑सुनते दिल धड़के तेज़ हो जाता है, जैसे मस्कट की हवा में तलवार की चमक। उसके कदमों की गूँज, ओमान के मैदानों में नई आशा की लहर बनती है। 😍 यह सिर्फ क्रिकेट नहीं, यह पहचान की गाथा है, जिसमें हर बॉल एक नया अध्याय लिखती है। 🙏

  • Krish Solanki
    Krish Solanki
    20.09.2025

    जतिंदर सिंह के प्रदर्शन को वस्तुनिष्ठ आँकों से मूल्यांकन करने पर स्पष्ट होता है कि उनका औसत स्ट्राइक‑रेट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर औसत से थोड़ा नीचे है। इसके अतिरिक्त, ओमान की टीम के कुल रन‑रक्षा आँकड़े दिखाते हैं कि आधे से अधिक ओवरों में सीमित स्कोर प्राप्त होते हैं। यह तथ्य संकेत करता है कि कप्तान के रणनीतिक योजनाएँ अभी भी पर्याप्त प्रतिस्पर्धात्मकता प्रदान नहीं कर पा रही हैं।

  • SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
    SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
    20.09.2025

    दुर्भाग्य से, इन आँकड़ों के पीछे एक गुप्त एजेंडा छिपा हो सकता है, जहाँ अंतरराष्ट्रीय बोर्डों की सुदुर्दशा ओमान को एक अस्थायी परीक्षण मंच में बदल देती है। यदि हम इस पैटर्न को देखें तो स्पष्ट होता है कि आर्थिक हितधारक भारतीय कोचिंग को सीमित करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। इस प्रकार, जतिंदर की अभिनव पहल को शैडो पॉलिटिक के जाल में फँसाने का प्रयास स्पष्ट है।

  • Vinod Mohite
    Vinod Mohite
    20.09.2025

    ओपन‑डेटा एनालिटिक्स के प्रॉस्पेक्टस में जतिंदर का कोर‑मेट्रिक फॉर्मुलेशन अभी इंटेक्शन फेज़ में है, स्केलेबिलिटी इम्प्लिकेशन को देखते हुए क्वालिफ़ायिंग इंटेग्रेशन स्ट्रैटेजी को रिफाइन करना आवश्यक है। हार्डवेयर‑एन्हांस्ड फ़ील्डिंग प्रोटोकॉल पर फोकस रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट को ऑप्टिमाइज़ कर सकता है।

  • Rishita Swarup
    Rishita Swarup
    20.09.2025

    जतिंदर सिंह का उदय केवल व्यक्तिगत मेहनत का परिणाम नहीं, यह एक बड़े अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य की द्योतक है।
    ओमन में क्रिकेट का विकास पिछले दशक में तेज़ी से हो रहा है, लेकिन गति के पीछे कई अनदेखे दबाव काम कर रहे हैं।
    एक ओर, वैश्विक क्रिकेट बोर्डों ने अपने वित्तीय मॉडल को पुनर्संरचित किया है, जिससे एसोसिएट देशों को टॉप‑लेवल प्रतियोगिताओं में प्रवेश कठिन हो गया है।
    दूसरी ओर, दक्षिण एशिया के बड़े बाजारों ने अपनी आंतरिक हितधारकों को सुरक्षित करने के लिये ओमन जैसे उभरते बाजारों को रणनीतिक रूप से नियंत्रण में रखना शुरू किया है।
    यह सच है कि जतिंदर ने भारत से कोचिंग लाने की इच्छा जताई है, लेकिन क्या वह इच्छा स्वतंत्र है या वह विदेशी निवेश के मार्फत कुछ छुपी रणनीति को आगे बढ़ा रही है?
    कई स्रोतों से पता चलता है कि कुछ प्रमुख बैंकों ने ओमन की क्रिकेट एजेंसी में अप्रत्यक्ष रूप से शेयर खरीद रखे हैं।
    इस प्रकार, टीम की वित्तीय स्वतंत्रता पर एक ढाल लगाई गई है जो केवल शीर्ष प्रबंधन को ही दिखती है।
    फिर भी, जतिंदर के व्यक्तिगत प्रदर्शन में संदेह नहीं कि वह तकनीकी रूप से कुशल है, लेकिन उसकी कप्तानी के निर्णय अक्सर इस छिपी हुई शक्ति के अनुरूप ही प्रतीत होते हैं।
    उदाहरण के तौर पर, वह स्पिनर्स को शुरुआती ओवरों में अधिक भूमिका देती है, जो स्थानीय पिच के अनुकूल है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह रणनीति जोखिम भरी हो सकती है।
    यही कारण है कि ओमन के पिच के डाटा को बड़े डेटा एग्रीगेटर्स से फ़िल्टर करके रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिससे चयन प्रक्रिया में पक्षपात बना रहता है।
    इस सब के बीच, युवा खिलाड़ियों को अक्सर इस परीकथा से बाहर निकाला जाता है कि वे स्वतंत्र रूप से अपने करियर बनाते हैं।
    वास्तव में, कई उभरते खिलाड़ी अपने कौशल को बेहतर बनाने के लिये विदेश जाने की इच्छा रखते हैं, पर उन्हें वित्तीय बाधाओं के कारण रोकना पड़ता है।
    इस प्रणाली को तोड़ने के लिये केवल एक सच्चा परिवर्तनकारी नेता की जरूरत है, जो सत्ता के जाल को समझे और उसे तोड़ सके।
    यदि जतिंदर इस भूमिका को सच में अपनाए तो ओमन के क्रिकेट का भविष्य उज्जवल बन सकता है, बशर्ते वह बाहर की हस्तक्षेपों को न मानें।
    अंत में, इस जटिल समीकरण में सभी पक्षों को पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करनी चाहिए, वरना यह कहानी केवल एक और बैनर बन कर रह जाएगी।
    इस विचार को ध्यान में रखते हुए, हम सभी को सतर्क रहना चाहिए और वास्तविक लक्ष्य को नहीं भूलना चाहिए।

  • anuj aggarwal
    anuj aggarwal
    20.09.2025

    जतिंदर का खेल असाधारण नहीं, बस गति दिखाने की कोशिश है।

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