पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह पर डोनाल्ड ट्रम्प की कड़ी प्रतिक्रिया

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पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह पर डोनाल्ड ट्रम्प की कड़ी प्रतिक्रिया

परिचय

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प फिर से चर्चा में हैं, लेकिन इस बार वजह है पेरिस समर ओलंपिक का उद्घाटन समारोह। ट्रम्प ने इसे 'बेहद निराशाजनक' करार दिया। उन्होंने प्रसिद्ध पेंटिंग 'द लास्ट सपर' का मजाक उड़ाने वाले दृश्य पर खुलकर असंतोष जताया। ट्रम्प का यह बयान फॉक्स न्यूज के कार्यक्रम 'इंग्राहम एंगल' के दौरान आया, जहां उन्होंने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए।

समारोह की निमकी आलोचना

ट्रम्प ने कहा कि वे 'बहुत खुले विचारों वाले' हैं, लेकिन जो कुछ भी पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में किया गया, वह 'बेहद निराशाजनक' है। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि वे 2028 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक में राष्ट्रपति रहें, तो वहां ऐसा कोई 'द लास्ट सपर' दृश्य नहीं होगा जैसा पेरिस में दिखाया गया था। हाउस के स्पीकर माइक जॉनसन ने भी समारोह की आलोचना की और इसे 'विश्व भर के ईसाई लोगों के लिए शॉकिंग और अपमानजनक' बताया।

उद्घाटन समारोह की विशेषताएँ

पेरिस ओलंपिक का उद्घाटन समारोह अद्वितीय था, जिसमें नदी सीन के किनारे विभिन्न एथलीट्स की टुकड़ियों को तैरते हुए दिखाया गया। साथ ही, मशहूर गायिका सेलीन डिओन, जिन्होंने वर्षों बाद पहली बार सार्वजनिक प्रस्तुति दी, ने इस समारोह को अतिरिक्त ग्लैमरस बना दिया। लेकिन 'द लास्ट सपर' का दृश्य सोशल मीडिया पर चर्चित बन गया जिसने ट्रम्प और अन्य ईसाई समुदायों और दक्षिणपंथी राजनेताओं की आलोचना का सामना किया।

निदेशक की प्रतिक्रिया

समारोह के निदेशक, थॉमस जोली, ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य उत्पादन को 'सुधार' और 'पुनः निर्माण' करना था। उन्होंने कहा कि ओलंपिक खेल हमेशा से ही समावेशिता और विविधता के प्रतीक रहे हैं, और यही संदेश वे इस समारोह के माध्यम से देना चाहते थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी भी धार्मिक भावना को चोट पहुंचाना नहीं था।

दर्शकों की प्रतिक्रिया

पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह को अमेरिका में लगभग 28.6 मिलियन दर्शकों ने देखा, जो कि Comcast's NBCUniversal के शुरुआती डेटा के अनुसार है। समारोह की भव्यता और नए तरह के प्रस्तुति शैली ने जनता का ध्यान खूब खींचा, लेकिन विवादित दृश्य ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी। विभिन्न धार्मिक समूहों और राजनीतिक दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

भविष्य की ओर दृष्टिकोण

भविष्य की ओर दृष्टिकोण

इस विवाद ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि बड़े अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखना कितना महत्वपूर्ण है। जब 2028 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक की तैयारी शुरू होगी, तो आयोजकों को डिज़ाइन और प्रस्तुतिकरण में अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता होगी। ट्रम्प की आलोचना ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि भविष्य में ऐसे मुद्दों को लेकर और भी संवेदनशीलता दिखाई जाएगी।

अंततः, पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह ने एक ऐसा मुद्दा उठाया है जो वैश्विक सामूहिकता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (16)
  • sona saoirse
    sona saoirse
    30.07.2024

    ट्रम्प की आलोचना सुनकर दिल भर आया, क्योंकि वह अक्सर धार्मिक भावनाओं को बेवकू्फी से देखता है।
    इसी तरह के बयानों से अंतरराष्ट्रीय इवेंट की शालीनता बिघड़ जाती है।
    हमें यह याद रखना चाहिए कि कला की अभिव्यक्ति का अधिकार है, लेकिन उस अधिकार को दूसरों की मान्यताओं को धूमिल नहीं करना चाहिए।
    ऐसे ही निरंकुश भाषणों से सिर्फ विभाजन बढ़ता है, और दुनिया को प्रगति नहीं मिलती।
    कुल मिलाकर, ट्रम्प की टिप्पणी न सिर्फ निराशाजनक बल्कि बेमानी भी है।

  • VALLI M N
    VALLI M N
    2.08.2024

    भाड़ में जाओ ट्रम्प! 🇮🇳🇺🇸 ओलंपिक तो सबको एकजुट करने का प्लेटफ़ॉर्म है, पर उसका मूड ही बवाल कर रहा है 😡🤬।
    क्या वह हमें समझता है कि हमारा प्यार और सम्मान इतना आसान नहीं खरीदा जा सकता?
    देश के लोग इस सबको देख कर हँसते रहेंगे, पर हम वहीँ रहेंगे जो एकजुटता को अपनाएगा। 😎✌️

  • Aparajita Mishra
    Aparajita Mishra
    4.08.2024

    वाह, ट्रम्प ने फिर से सबको 'सुरक्षित' करने की कोशिश की।
    जैसे ही हम ओलंपिक को एंटरटेनमेंट समझते हैं, वह तुरंत खीझ जाता है।
    है न मज़ाकिया? वैसे, पेरिस का ओपनिंग देखके तो दिल खुश हो गया, थोड़ा सा मसाला तो चाहिए जीवन में।
    चलो, इस विवाद को छोड़कर अगले खेलों का इंतज़ार करते हैं, खुश रहो।

  • Shiva Sharifi
    Shiva Sharifi
    6.08.2024

    ओलंपिक का ओपनिंग सच में कुछ नया दिखाया, नदी किनारे एथलीट्स को टुकड़ियों में दिखाना।
    इससे एक नई टैपेस्ट्री बनती है जिसमें विविधता के रंग मिलते हैं।
    भले ही ट्रम्प ने इसे नापसंद किया, पर सर्जनात्मक प्रयास को सराहना चाहिए।
    रिव्यू में कभी-कभी टाइपो तो होते ही रहते हैं, पर बात़ का सार वही रहता है।

  • Ayush Dhingra
    Ayush Dhingra
    9.08.2024

    ट्रम्प का दिमाग़ एंटी-आर्ट है।

  • Vineet Sharma
    Vineet Sharma
    11.08.2024

    अच्छा, ट्रम्प फिर से "सही बात" कह रहा है, वैसे भी उसका इतिहास तो प्रॉबाब्लि ठीक-ठीक वैसा ही है।
    क्या वह इस बात को समझता है कि ओलंपिक का मकसद बड़ों के बीच पीस लाना है, न कि व्यक्तिगत गुस्से को फँसाना?
    इतना ही नहीं, उसकी टिप्पणी से असली कलाकारों की मेहनत को छाया मिलती है।
    तो चलो, हम सब इसे नजरअंदाज करके आगे बढ़ते हैं।

  • Aswathy Nambiar
    Aswathy Nambiar
    13.08.2024

    यार, ट्रम्प की रिएक्शन पूरी तरह से "वाइब्ज" को बिगाड़ देती है।
    सच में, कला का फंक्शन है कन्फ्यूसन पैदा करनै, ना कि बोरिंग बोरिंग रैज़र।
    अगर हम सब यही सोचेंगे तो दुनिया में थोडा एंजॉय होगा।
    पर हां, मेरे ख्याल में एथिकल लिमिट्स भी होते हैं, लेकिन ट्रम्प ने वो ब्रीफिंग मिस कर दी।

  • Ashish Verma
    Ashish Verma
    16.08.2024

    ओलंपिक का ओपनिंग हमें हमारी विविधता की याद दिलाता है, जैसे पेरिस की गलियों में हर भाषा गूँजती है। 😊
    ट्रम्प जैसी आवाज़ें अक्सर इस सुंदरता को नजरअंदाज करती हैं, लेकिन हमें इसे आगे बढ़ाना चाहिए। 🙏
    आशा है कि अगला ओलंपिक भी इसी आत्मा को समेटेगा, चाहे कोई भी राजनीति बोले। 🌍

  • Akshay Gore
    Akshay Gore
    18.08.2024

    भाई, ट्रम्प की बात सुन के तो मैं कहूँगा कि इवेंट में थोड़ा कम डिस्ट्रैक्शन ही अच्छा था।
    ड्रामा तो बस ड्रामा रहता है, ओलंपिक में आर्ट का इंटेंशन क्या था?
    वैसे भी, सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है, ज्यादा एक्टिंग की जरूरत नहीं।

  • Sanjay Kumar
    Sanjay Kumar
    20.08.2024

    ओलंपिक को एकजुटता का मंच बनाना चाहिए, न कि विवाद का। 😊

  • adarsh pandey
    adarsh pandey
    22.08.2024

    ट्रम्प की टिप्पणी देख कर थोड़ी निराशा हुई, पर यही बात दिखाती है कि बड़ी घटनाओं में लोग कितनी संवेदनशीलता रखते हैं।
    आइए, हम इस संवेदनशीलता को बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम करें, ताकि भविष्य में कम विवाद हो।
    आप सबका धन्यवाद।

  • swapnil chamoli
    swapnil chamoli
    25.08.2024

    ऐसे हाई-प्रोफ़ाइल इवेंट्स में अक्सर छिपे एजेंडा होते हैं, और ट्रम्प सिर्फ एक वैध आवाज़ बनने की कोशिश कर रहा है।
    पृथ्वी के कई हिस्सों में समान झलकियों को देख कर लगता है कि यह सब एक बड़े कंट्रोल सिस्टम का हिस्सा है।
    तथ्य यह है कि बड़े कार्यक्रमों में वास्तविक उद्देश्य कभी-कभी जनता को अनदेखा कर दिया जाता है।

  • manish prajapati
    manish prajapati
    27.08.2024

    वाह! पेरिस का ओपनिंग तो दिल जीत लिया! 🎉
    ट्रम्प की बातें हम पर असर नहीं डालेगी, क्योंकि हम यहां खुशी मनाने आए हैं।
    आगे भी ऐसे ही शानदार इवेंट्स देखते रहें, असल में यही तो मज़ा है! 😄

  • Rohit Garg
    Rohit Garg
    29.08.2024

    ट्रम्प का रेज़नालिटी तो बिलकुल "बिच्छू का डंक" जैसा है, बकवास!
    अरे यार, ओलंपिक का मकसद लाइटनिंग स्प्रिट नहीं, बल्कि यूनिटी की धड़कन है।
    उसने जो "द लास्ट सपर" को अपमानजनक कहा, वो पूरी तरह से बेकार और घटिया है।
    हमारे जैसे लोग समझते हैं कि कला में समझदारी और दिल दोनों चाहिए, न कि ठंडे शब्दों की भरमार।
    चलो, अब इस नॉइज़ को नज़रअंदाज़ करके असली एथलीट्स को सपोर्ट करें।

  • Rohit Kumar
    Rohit Kumar
    1.09.2024

    पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह को लेकर ट्रम्प की तीखी प्रतिक्रिया ने दुनियाभर में हलचल मचा दी।
    वास्तव में, इस तरह के बड़े अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स में कलाकारों को अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
    द लास्ट सपर का दृश्य, चाहे कुछ लोगों को आपत्तिजनक लगा हो, एक गहन धार्मिक और सांस्कृतिक संवाद का प्रयास था।
    ऐसी प्रस्तुतियों का उद्देश्य दर्शकों को सोचने पर मजबूर करना और विभिन्न विचारधाराओं के बीच एक पुल बनाना है।
    ओलंपिक का मूल सिद्धांत ही विविधता, समावेशिता और अंतरराष्ट्रीय सौहार्द को बढ़ावा देना है।
    इसलिए, आयोजकों ने इस मंच को एक ऐसी कहानी बताने के लिए इस्तेमाल किया जो सभी धर्मों में समान मान्यताओं को उजागर करे।
    आधुनिक समय में, धर्म और कला का मिश्रण अक्सर विवादित होता है, पर यह ही तो समाज की प्रगति का संकेत है।
    वास्तव में, यदि हम हर हल्की-फुलकी आलोचना को दबा दें, तो रचनात्मकता की उड़ान सीमित हो जाएगी।
    ट्रम्प जैसी हाई-प्रोफ़ाइल शख़्सियत के बयानों का असर कभी-कभी मीडिया सर्कुलशन में अधिक बढ़ जाता है।
    फिर भी, हमें इस बात का गौरव महसूस करना चाहिए कि ओलंपिक ने इतनी व्यापक दर्शक संख्या हासिल की, जो दुनिया भर में संवाद स्थापित करता है।
    दर्शकों की प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि लोग इस नए प्रारूप को सराहते हैं, भले ही कुछ तत्वों पर चर्चा लगातार बनी रहती है।
    भविष्य में, आयोजकों को शायद अधिक सांस्कृतिक संवेदनशीलता के साथ योजना बनानी चाहिए, पर यह भी ज़रूरी है कि वे अपने दृष्टिकोण में साहसी रहें।
    अंत में, यह विवाद हमें याद दिलाता है कि कला हमेशा से ही जनसमूह में विभिन्न धारणाएँ उत्पन्न करती रही है और रहेगी।
    और यही विविधता ही ओलंपिक जैसे मंच को जीवंत और प्रासंगिक बनाती रहती है।

  • sona saoirse
    sona saoirse
    2.09.2024

    राह देखो, ट्रम्प की बातें सिर्फ शोर के पंखे हैं; असली मुद्दा तो यह है कि हमें कला को उसकी पूरी अभिव्यक्ति के साथ सम्मान देना चाहिए, चाहे वह हमें व्यक्तिगत रूप से पसंद आए या नहीं।

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