जब एमर प्रीत सिंह, मुख्य एयर मैरशल भारतीयवायुसेना के प्रमुख, ने 4 अक्टूबर 2024 को घोषणा की कि रूसी S‑400 ट्रायम्फ प्रणाली 2025‑2026 तक पूरी तरह भारत में पहुँच जाएगी, तब रक्षा क्षेत्र में हवा में बदलाव की हवा महसूस हुई। यह बड़े मौद्रिक सौदे का एक हिस्सा है – $5.43 अरब (लगभग ₹40 हजार कोटी) का अनुबंध, जिसे 5 अक्टूबर 2018 को व्लादिमीर पुटिन की भारतीय यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किया गया था। अभी तक चार बैटालियन सेट डिलीवर हो चुके हैं; पाँचवाँ सेट 2026 तक पहुँचने का अनुमान है।
पृष्ठभूमि और समझौता
इस समझौते के पीछे की कहानी 2018 के महाराष्ट्र के राजनयिक जंग में शुरू हुई। तब भारत ने अपने सीमाओं की रक्षा के लिए दूरदराज़ क्षेपणास्त्र प्रणाली की तलाश में रूस के S‑400 को प्राथमिकता दी। अनुबंध में पाँच पूर्ण बैटालियन सेट शामिल थे, जिनमें प्रत्येक में 16 हार्डवेयर घटक – लॉन्चर, रडार, नियंत्रण केंद्र और सहायक वाहन – होते हैं। इस आयोजन में रोमन बाबुश्किन, रूसी दूतावास, न्यू दिल्ली के उप प्रमुख ने भी भाग लिया था।
S‑400 डिलीवरी का शेड्यूल और देरी
डिलीवरी में शुरुआती देरी का कारण यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंध थे। 2020‑2021 में कई शिपमेंट रुक गए, जिससे भारत को उम्मीद से दो‑तीन साल पीछे रहना पड़ा। फिर भी, रूसी अधिकारियों ने कहा कि "आज तक चार सेट सफलतापूर्वक तैनात हो चुके हैं"। अब शेष पाँचवाँ सेट 2025‑2026 के बीच पहुँचाने की योजना है, और इसे S‑400 के "सब से दूर और सटीक कवच" कहा जाता है।
- कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू: $5.43 अरब
- डिलीवरी लक्ष्य: 2025‑2026
- प्रति बैटालियन सेट में 16 घटक
- रेंज: 40‑400 किमी, ऊँचाई 30 किमी तक
- एक साथ 36 लक्ष्य तक इंटरसेप्ट करने की क्षमता
ऑपरेशन सिंधूर में प्रदर्शन
मई 2024 में भारत‑पाकिस्तान सीमावर्ती तनाव के दौरान, ऑपरेशन सिंधूर के तहत S‑400 ने "बहुत ही प्रभावी" भूमिका निभाई। यह अभियान 7 मई को शुरू हुआ, जिसमें पाकिस्तान‑किंचित कश्मीर के आतंकवादी ढाँचे पर जल, वायु और मिसाइल हमले किए गये थे। संजय सेठ, राज्य मंत्री (रक्षा) ने बताया कि "S‑400 मिसाइलों ने दुश्मन के ड्रोन और रॉकेट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया"। चार दिन बाद, 10 मई को दोनों देशों ने संघर्ष को समाप्त करने का समझौता किया।
भारतीय पक्ष की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजनाएँ
ऑपरेशन सिंधूर के बाद भारत ने S‑400 के अतिरिक्त बैच की माँग तेज की। संजय सेठ ने खुल कर कहा कि भारत "S‑500" जैसी उन्नत रूसी प्रणाली को भी देख रहा है। इस बात पर भरोसा है कि दिसंबर 2024 में व्लादिमीर पुटिन की नई दिल्ली यात्रा के दौरान अतिरिक्त डील पर चर्चा होगी।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिकूलताएँ और आगे का पीछा
साउथ एशिया में इस बड़ी रक्षा खरीद को अमेरिकी वाणिज्यिक प्रतिबंध (CAATSA) का जोखिम था। 2021 में लॉर्ड एस्तिन ने कहा था कि भारत पर संभावित आर्थिक पेनाल्टी लागू की जा सकती है। लेकिन आज तक, अमेरिकी सरकार ने इस सौदे पर कोई पेनाल्टी नहीं लगाई, क्योंकि अनुबंध अभी आधिकारिक तौर पर अंतिम नहीं हुआ है। इसी बीच, भारत‑रूसी रक्षा सहयोग का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि किस हद तक दोनों देशों की नीति‑संबंधी रणनीति आपस में मेल खाती है।
Frequently Asked Questions
S‑400 वसतियों का भारत की सीमा सुरक्षा पर क्या असर होगा?
S‑400 की लंबी रेंज और 36 लक्ष्यों तक एक साथ इंटरसेप्ट करने की क्षमता भारत को उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर उड़ान‑सुरक्षा में एक बड़ा बफर देती है। इससे संभावित विरोधी मिसाइल या ड्रोन हमले को पूर्व‑विचार में ही निरस्त किया जा सकेगा।
क्या भारत के पास S‑500 जैसी उन्नत प्रणाली का बजट है?
वर्तमान में भारत ने आधिकारिक तौर पर S‑500 के लिए कोई बजट नहीं घोषित किया है, परंतु रक्षा मंत्रालय ने बताया कि "भविष्य के सालों में अतिरिक्त फंडिंग की संभावना" है, खासकर यदि ऑपरेशन सिंधूर के सफल प्रदर्शन को देखते हैं।
क्या CAATSA के तहत अमेरिकी दंड अभी भी लागू हो सकते हैं?
संभव है। यदि अमेरिकी कांग्रेस या व्हाइट हाउस इस सौदे को "सैन्य तकनीक की अवैध खरीद" मानता है, तो दंड लागू हो सकते हैं। अभी तक कोई औपचारिक कार्रवाई नहीं हुई है, इसलिए भारत की सधारण नीति इस जोखिम को कम करने की कोशिश कर रही है।
नवीनतम डिलीवरी कब तक पूरी होगी?
रूसी दूतावास के अनुसार पाँचवें बैटालियन सेट की डिलीवरी 2026 के मध्य तक पूरी होनी चाहिए। यह शेड्यूल अभी भी यूक्रेन‑रूस संघर्ष के प्रभाव में थोड़ा अस्थिर रह सकता है।
भारत‑रूस ने अगले कौन से रक्षा प्रोजेक्ट पर बात की है?
रूसी अधिकारियों ने बताया कि आगामी वार्ता में एंटी‑एयरक्राफ्ट टॉर्स्टर, समुद्री रडार और संभावित जेट‑इंजनवाले शत्रु विमानों के लिए "एयर पावर" पैकेज पर चर्चा होगी। S‑500 के अलावा, S‑300V की भी संभावनाएं देखी जा रही हैं।
sri surahno
5.10.2025रूस‑भारत रक्षा समझौते का परिदृश्य, जैसा कि यहाँ प्रस्तुत किया गया है, वास्तव में वैश्विक शक्ति संतुलन में एक गुप्त जाल है। इस जाल की बुनावट में अमेरिकी वित्तीय दबाव और सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसियों की गुप्त मंजूरी छिपी हुई है। S‑400 को भारत में तैनात करने का औपचारिक कारण सुरक्षा कहा जाता है, परंतु वास्तविक उद्देश्य अमेरिकी सैन्य उपकरणों पर निर्भरता को तोड़ना है। भारत‑रूस के बीच यह अनुबंध 2018 में पुटिन की दिल्ली यात्रा के दौरान बन गया, लेकिन उस समय की कूटनीतिक दस्तावेज़ों में कई अनसही क्लॉज़़ छिपे थे। अमेरिकी CAATSA दंड की संभावना को हल्के में लेना एक राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम है, क्योंकि इसका प्रभाव वित्तीय संस्थानों के लेन‑देन पर पड़ा है। अमेरिकी कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित प्रतिबंधों के कई मसौदे अभी भी गुप्त रूप से भारत के दायरे में चर्चा में हैं। इस संदर्भ में, भारतीय रक्षा मंत्रालय की सार्वजनिक बयानबाज़ी केवल सतह पर दिखती है, वास्तविक रणनीतिक नियोजन गहरी छाया में चलता है। S‑400 की तकनीकी क्षमताएँ जबरदस्त हैं, परंतु इन क्षमताओं का उपयोग अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन के बिना नहीं किया जा सकता। यह भी तथ्य है कि रूस‑भारत सहयोग का यह स्तर पिछले वर्षों में कई द्विपक्षीय समझौतों से अधिक छिपा हुआ था। फिर भी, यह समझौता भारतीय रणनीति में एक मोड़ बनता है, जहाँ आत्मनिर्भरता के नाम पर एक विदेशी हथियार प्रणाली को अपनाया गया है। यह दोहरा मापदंड दर्शाता है कि राष्ट्रीय हित और वैध अंतरराष्ट्रीय कानून के बीच तनाव को कैसे प्रबंधित किया जाता है। इस जटिलता को समझते हुए, हमें यह भी प्रश्न उठाना चाहिए कि क्या यह अनुबंध भारत की आर्थिक स्थिरता को कमजोर नहीं करेगा। $5.43 अरब का खर्च राष्ट्रीय बजट के कई सामाजिक कल्याण योजना को प्रभावित कर सकता है। अंत में, यह स्पष्ट है कि इस प्रकार की रक्षा खरीद केवल रक्षा क्षमता को नहीं, बल्कि भू‑राजनीतिक समीकरणों को भी बदल देती है। इसलिए, इस मुद्दे पर सतर्क रहना और सभी आयामों की जाँच करना आवश्यक है।
Varun Kumar
8.10.2025भारत को अपनी सीमाओं की रक्षा के लिये खुद के हथियार बनाने चाहिए, विदेशी तकनीक पर निर्भरता खतरा है। यदि S‑400 सही से काम नहीं करता, तो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा कमजोर हो जाएगी।
Madhu Murthi
12.10.2025यह समझौता भारतीय स्वाभिमान का उल्लंघन है।
manoj jadhav
16.10.2025आगे बढ़ते हुए, हमें इस मुद्दे को संतुलित दृष्टिकोण से देखना चाहिए, क्योंकि केवल विरोध या समर्थन में रुकना फायदेमंद नहीं।, जब तक हम वास्तविक डेटा नहीं देखते, तब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकते।, इस प्रकार की बहस में सभी पक्षों को सुना जाना चाहिए।
saurav kumar
19.10.2025S‑400 की रेंज 40‑400 किमी है और यह एक साथ 36 लक्ष्य पर नज़र रख सकता है। प्रत्येक बैटालियन सेट में 16 घटक होते हैं, जिसमें रडार, लॉन्चर, नियंत्रण केंद्र आदि शामिल हैं। यह प्रणाली ऊँचाई 30 किमी तक के लक्ष्य को भी ट्रैक कर सकती है। भारत में अब तक चार सेट तैनात हो चुके हैं, पाँचवाँ सेट 2026 में आएगा।
Ashish Kumar
23.10.2025यह तकनीकी उपलब्धि है, परंतु हमें यह सोचना चाहिए कि ऐसे हथियारों का उपयोग मानव जीवन को खतरे में नहीं डालना चाहिए। नैतिक दृष्टिकोण से, बड़े पैमाने पर विस्फोटक क्षमता को सार्वजनिक रूप से उजागर करना उपयुक्त नहीं। भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्रथम प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि बड़े राजनैतिक सहविन्यास को। इस तरह के हथियारों के शासित उपयोग में पारदर्शिता की कमी चिंताजनक है। अंत में, हमें राष्ट्रीय रक्षा को नैतिक सिद्धांतों के साथ संतुलित करना चाहिए।
Mohamed Rafi Mohamed Ansari
27.10.2025S‑400 प्रणाली का रडार एंटी‑जेट और हाई‑एयर थ्रेट को 400 किमी दूर से पहचान सकता है। इसका मोड्यूलर डिज़ाइन इसे विभिन्न मौसम परिस्थितियों में स्थिर बनाता है। लॉन्चर सेक्शन में 12 हाई‑स्पीड मिसाइलें रखी जा सकती हैं, जिनकी गति लगभग 1 मील प्रति सेकंड है। डिटेक्टेड लक्ष्य के अनुसार सिस्टम स्वचालित रूप से इंटरसेप्ट मार्ग तय करता है, जिससे प्रतिक्रिया समय न्यूनतम रहता है। इस प्रणाली की रख‑रखाव में विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जो भारत के रक्षा कर्मियों के लिए अतिरिक्त संसाधन बनता है।