दिल्ली हाई कोर्ट की नवीनतम खबरें और विश्लेषण
जब हम दिल्ली हाई कोर्ट, राष्ट्रीय राजधानी में स्थित प्रमुख उच्च न्यायालय, जो सिविल, आपराधिक और संविधानिक मामलों की सुनवाई करता है की बात करते हैं, तो साथ ही सिविल केस, संपत्ति, करार और परिवारिक विवादों से जुड़े मुकदमे और आपराधिक न्याय, आपराधिक आरोपों की जांच, अभियोजन और दंडात्मक निर्णय को भी समझना ज़रूरी है। ये दो शाखाएँ मिलकर कोर्ट के प्रमुख कार्य को परिभाषित करती हैं। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट, भारत की सर्वोच्च न्यायिक संस्था, जो हाई कोर्ट के फ़ैसलों को समीक्षात्मक रूप से देखती है के साथ निरन्तर संपर्क में रहती है, जिससे न्याय प्रणाली का संतुलन बना रहता है। दिल्ली हाई कोर्ट का कार्यभार केवल सुनवाई तक सीमित नहीं, बल्कि वह कानून में बदलाव, सार्वजनिक हित के मामलों और मानवाधिकार के संरक्षण में भी सक्रिय भूमिका निभाता है। इस प्रकार, दिल्ली हाई कोर्ट सिविल केस, आपराधिक न्याय, और सुप्रीम कोर्ट के बीच एक महत्वपूर्ण लिंक का काम करता है, जो न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बनाता है।
हाल के महीनों में कई दिमाग छेड़ने वाले मामले इस कोर्ट की कार्यवाहियों को उजागर करते आए हैं। उदाहरण के तौर पर, यासिन मलिक का अफ़िडेविट, जिला स्तर पर दायर किया गया लिखित बयान, जिसने राजनीतिक चर्चा को भड़काया दिल्ली हाई कोर्ट में दायर हुआ, जिससे भारत‑पाकिस्तान संबंधों और बैनर विवाद पर नई रोशनी पड़ी। इसी तरह, आईटीबीपी भर्ती परीक्षा लीक केस में दिल्ली पुलिस ने तीन संस्थान निदेशकों को गिरफ्तार किया, जिससे परीक्षण प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठे। ये केस दर्शाते हैं कि कोर्ट न केवल न्याय प्रदान करता है, बल्कि प्रशासनिक उत्तरदायित्व को भी मजबूती से सामने लाता है। इसके अलावा, टैक्स ऑडिट डेडलाइन वृद्धि, FASTag वार्षिक पास, और विभिन्न राज्य‑स्तर के योजना घोषणाओं पर भी कोर्ट ने विभिन्न अस्थायी आदेश जारी किए, जिससे नीति‑निर्माण में कानूनी पहलुओं को मजबूती मिलती है। इस प्रकार, दिल्ली हाई कोर्ट का दायरा सिर्फ कोर्टरूम तक सीमित नहीं, बल्कि सार्वजनिक नीति, प्रशासनिक सुधार और सामाजिक न्याय के कई पहलुओं तक फैला हुआ है।
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समीर वाणकेडे ने आर्यन खान की ‘बड्स ऑफ़ बॉलीवुड’ पर दर्ज किया मानहानी मुकदमा, दिल्ली हाई कोर्ट ने जुरिस्डिक्शन पर किया सवाल
समीर वाणकेडे ने ‘बड्स ऑफ़ बॉलीवुड’ पर 2 करोड़ रुपये के मानहानी मुकदमा दायर किया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने Mumbai के बजाय Delhi में केस चलाने की वैधता पर औचित्य माँगा। श्रृंखला में राष्ट्रीय प्रतीक के अपमान और झूठी अभिव्यक्तियों का आरोप है। अदालत ने पक्षियों को संशोधन दाखिल करने का निर्देश दिया।
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Savio D'Souza
- 26 सितंबर 2025
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