जुवेनाइल जस्टिस एक्ट — बच्चों का अधिकार और न्यायिक तरीका
क्या आपका बच्चा किसी कानूनी मामले में फँस गया है या आप सिर्फ समझना चाहते हैं कि नियम क्या कहते हैं? जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (Juvenile Justice Act) भारत में बच्चों को अपराध और संरक्षण दोनों मामलों में अलग तरीके से देखता है। यह एक्ट सजा से पहले राहत और पुनर्वास पर जोर देता है — यानी बच्चों को दंड देने से पहले सुधारने और समाज में वापसी दिलाने पर ध्यान दिया जाता है।
किस पर लागू होता है और मुख्य बातें
इस कानून के तहत "जुवेनाइल" यानी नाबालिगों की आयु सामान्यतः 18 साल से कम मानी जाती है। एक्ट दो प्रमुख श्रेणियाँ बनाता है: ‘बच्चे जिनका संरक्षण जरूरी है’ (जिन्हें वैवाहिक, आर्थिक या अन्य कारणों से सुरक्षा चाहिए) और ‘कानून के खिलाफ बच्चे’ (जो अपराध करते हैं)।
मुख्य बातें सरल हैं: पुलिस बच्चा हिरासत में ले तो उसे तुरंत Juvenile Justice Board (JJB) के सामने पेश करना होता है; उम्र का विवाद हो तो चिकित्सा जांच की जा सकती है; फोकस सजा पर नहीं, सामाजिक शोध (social investigation) और पुनर्वास पर है; अपनत्व, फॉस्टर केयर और कॉमन्युनिटी सैटिस्फैक्शन जैसे विकल्प मौजूद हैं।
अभियान, सुरक्षा और व्यवहारिक कदम
अगर आपके बच्चे पर आरोप लगा है तो क्या करें? पहले कानूनी मदद लें — ज्यूविनाइल मामलों में वकील और JJB के सामने सामाजिक-चिकित्सा रिपोर्ट काफी मायने रखती है। अपनी और बच्चे की उम्र साबित करने के लिए जन्म प्रमाण-पत्र, स्कूल रिकॉर्ड और चिकित्सा रिपोर्ट जमा रखें। याद रखें, JJB जांच के दौरान आपसे भी बात कर सकता है और बच्चे को गैर-संस्थानिक उपाय जैसे प्रॉबेशन, समुदाय सेवा या मनोवैज्ञानिक सहायता दी जा सकती है।
अगर आप किसी बच्चे की सुरक्षा के बारे में रिपोर्ट करना चाहते हैं या बच्चे को तत्काल मदद चाहिए, तो CHILDLINE 1098 पर कॉल करें। NGOs और लोकल चाइल्ड वेलफ़ेयर कमेटी (CWC) भी मदद देती हैं।
कठोर मामलों में—जैसे गंभीर आपराधिक कृत्य—कभी-कभी 16-18 साल के बच्चों का ट्रायल गंभीरता के आधार पर अलग व्यवहार कर सकता है, पर कानून का रुख अभी भी सुधार और पुनर्वास की ओर है।
यह कानून आदर्श जरूर है, पर जमीनी समस्याएँ भी हैं: उम्र निर्धारण के मेडिकल टेस्ट विवादास्पद हैं, ऑब्ज़र्वेशन होम्स में ओवरक्राउडिंग होती है, और रिहैबिलिटेशन के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग-संसाधन नहीं मिलते। इसलिए प्रभावी लागू करने के लिए बेहतर प्रशिक्षण, पारदर्शिता और समुदाय आधारित उपाय ज़रूरी हैं।
आखिर में, अगर आप इस मामले से प्रभावित हैं — शांत रहें, दस्तावेज़ जोड़ लें, तुरंत कानूनी और सामाजिक सहायता खोजें। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का मकसद बच्चे को सुधारकर समाज में वापस जोड़ना है, ना कि उसे ही तोड़ देना।
अधिक मदद चाहिए तो स्थानीय Child Welfare Committee या Juvenile Justice Board से संपर्क करें या CHILDLINE 1098 पर कॉल करें।
पुणे में पोर्श कार दुर्घटना में दो लोगों की मौत, नाबालिग के पिता गिरफ्तार
पुणे में एक पोर्श कार दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई। कार का चालक एक 17 वर्षीय नाबालिग था, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है। अब पुलिस ने नाबालिग के पिता को भी गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना शहर में तेज रफ्तार और नाबालिगों को शराब परोसने पर आक्रोश को हवा दे रही है।
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Savio D'Souza
- 22 मई 2024
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