सर्वार्थ सिद्धि योग — क्या है और कैसे पहचानें
सर्वार्थ सिद्धि योग का मतलब है वह ज्योतिषीय स्थिति जिससे जीवन की बड़ी‑बड़ी इच्छाएँ पूरी होने लगती हैं। सरल शब्दों में जब जन्म कुंडली में कुछ ग्रह और भाव एक-दूसरे का सहयोग करते हैं — खासकर लाभ और केन्द्र वाले भाव — तो व्यक्ति को सफलता, धन और सम्मान मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
यह कोई एक‑लाइन नियम नहीं है। ज्योतिष में इसे समझने का तरीका व्यावहारिक है: कौन‑से ग्रह मजबूत हैं, वे किस भाव के स्वामी हैं, वे किस स्थान पर बैठे हैं और उनका एक‑दूसरे से संबंध कैसा है। इन सब का कुल मिलाकर सकारात्मक असर जब बनता है तो सर्वार्थ सिद्धि जैसी स्थिति बनती है।
कुंडली में जल्दी पहचानने के आसान संकेत
अगर आप खुद कुंडली देख रहे हैं तो इन सरल चीज़ों पर नजर रखें: लग्न और इसके स्वामी की स्थिति क्या है, त्रिकोण (5 वाँ और 9 वाँ) और केन्द्र (1, 4, 7, 10) के स्वामी मजबूत हैं या नहीं, और क्या लाभकारी ग्रह आपस में मित्रता या दृष्टि में हैं।
उदाहरण: अगर गुरु (बृहस्पति) 9वें भाव में मजबूत है और वह 1 या 10 के स्वामी से जुड़ता है या उसे दृष्टि देता है, तो उसका सकारात्मक असर शिक्षा, भाग्य और सम्मान पर पड़ सकता है। इसी तरह, अगर शुक्र, बृहस्पति जैसे लाभकारी ग्रह अच्छे भावों में स्थिर हों और शत्रु ग्रह कमजोर हों, तो सफल योग बन सकता है।
दशा‑भुवन की भी अहमियत है। कई बार योग जन्मकुंडली में मौजूद रहता है पर सही दशा आने पर ही उसका फल मिलता है। इसलिए दशा, ट्रांसिट और ग्रहों की वर्तमान स्थिति भी देखनी चाहिए।
फायदे, सावधानियाँ और सरल उपाय
फायदे: सर्वार्थ सिद्धि योग मिलने पर करियर में उछाल, आर्थिक स्थिरता, सामाजिक मान‑सम्मान और व्यक्तिगत इच्छाओं के पूरा होने की प्रवृत्ति बढ़ती है।
सावधानियाँ: हर योग की तरह यह भी संदर्भ पर निर्भर है। दुर्बल ग्रह, नेगेटिव दिशा या अशुभ योग इस परिणाम को कमजोर कर सकते हैं। इसलिए किसी भी कदम से पहले एक अनुभवी ज्योतिषी से पूरा विश्लेषण करवा लें।
सरल उपाय जिन्हें बिना ज्यादा जोखिम के अपनाया जा सकता है: संबंधित ग्रहों के मंत्र और नाम‑स्मरण (जैसे गुरुवार को बृहस्पति का स्मरण), दान‑पुण्य (गरीबों को अनाज, किताबें देना), नियमित ध्यान और कर्म‑निष्ठा, और जीवन में अनुशासन रखें। रत्न पहनने या बड़े धार्मिक अनुष्ठान से पहले पेशेवर सलाह लें।
अगर आप चाहते हैं कि कुंडली में यह योग सही मायने में फल दे तो रोज़ाना मेहनत, सही समय पर निर्णयन और मानसिक स्थिरता भी ज़रूरी है — सिर्फ ग्रहों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होता।
चाहिए तो अपनी जन्मकुंडली का विश्लेषण करवा लें — छोटी‑छोटी जानकारियाँ भी यह बता सकती हैं कि सर्वार्थ सिद्धि योग आपकी कुंडली में कितनी प्रभावी है और कब इसका परिणाम मिलेगा।
Raksha Bandhan 2025: 95 साल बाद अद्भुत ग्रह-नक्षत्र का संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
रक्षा बंधन 2025 पर 95 साल बाद बेहद दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग बन रहा है जिसमें सवभाग्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और श्रावण नक्षत्र एक साथ आ रहे हैं। 9 अगस्त को सुबह 5:47 से 1:24 बजे तक राखी बांधना सबसे शुभ रहेगा। यह अवसर परिवार के लिए सौभाग्य और रिश्तों को मजबूत करने वाला माना जा रहा है।
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Savio D'Souza
- 8 अगस्त 2025
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