सवभाग्य योग — आसान भाषा में समझें क्या है और कैसे पहचानें

सवभाग्य योग सुनते ही लगता है कि भाग्य बदल जाएगा। असल में यह कोई जादू नहीं, बल्कि कुंडली में ग्रहों और भावों की ऐसी स्थिति है जो सफलता, सम्मान और जीवन में शुभ मौकों को बढ़ाती है। जानना आसान है और कुछ संकेत सीधे दिख जाते हैं।

कुंडली में सवभाग्य योग के प्रमुख संकेत

पहला और सबसे बड़ा संकेत है दशा और ग्रहों की ताकत। अगर जन्म कुंडली में नौवां (भाग्य) या एकम और भाग्य से जुड़े ग्रह मजबूत हों—जैसे गुरु (बृहस्पति) ठीक स्थिति में हो—तो सवभाग्य योग बनने का मौका बढ़ता है।

दूसरा संकेत है कि कुन्ली में केन्द्र (पहला, चौथा, सातवां, दसवां) और त्रिकोण (पहला, पाँचवां, नौवां) भावों का संयोजन सही हो। जब लाभ और भाग्य भावों के स्वामी एक-दूसरे से अच्छे संबंध में हों या शुभ योग बन रहे हों, तो व्यक्ति को सुविधाएँ और अवसर मिलते हैं।

तीसरा: ग्रहों का अनुकूल अंतर-भागी प्रभाव। गुरु, शुक्र और बुध जैसी शुभ ग्रहों की युति या परस्पर दृष्टि सवभाग्य योग की ओर संकेत कर सकती है। सूर्य और चंद्र की स्थिति भी मायने रखती है—अगर ये ग्रह कमजोर न हों।

सवभाग्य योग के असर — क्या उम्मीद रखें?

अगर आपकी कुंडली में यह योग है तो नौकरी, कारोबार या व्यक्तिगत सम्मान में मदद मिल सकती है। कई बार समय-समय पर भाग्य खुलने के अनुभव आते हैं—नए मौके, अचानक मिलती मदद या किसी उम्मीद से बड़ी सफलता। पर ध्यान रखें: योग समय और दशा के अनुरूप काम करता है।

सबसे बड़ा फर्क होता है कि आप कठिनाई में भी सही दिशा पाने लगते हैं। पर यह हमेशा एकदम सफल जीवन का वादा नहीं करता। मेहनत, निर्णय और परिस्थिति भी साथ निभाती हैं।

क्या सबका सवभाग्य एक जैसा होता है? नहीं। अलग कुंडलियों में यही योग अलग असर देता है—किसी को करियर में फायदा, किसी को वैवाहिक या पारिवारिक सुख मिल सकता है।

क्या रिमेडी से सवभाग्य बढ़ सकता है? सरल उपाय सहायता कर सकते हैं: गुरुवार को किसी जरुरतमंद को खाना खिलाना, गुरु और शुक्र के मंत्र/चर्चा, सत्कार्य और दान। गहना या रत्न पहनने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लें। खुद से तेज़ फैसले न लें।

अगर आप सुनिश्चित होना चाहते हैं तो कुंडली का समग्र विश्लेषण ज़रूरी है—केवल एक ग्रह या योग देखकर पूरा फैसला मत करिए। दशा, ट्रांजिट और नक्षत्र भी मायने रखते हैं।

यह टैग पेज उन लेखों और खबरों को समेटता है जो सवभाग्य, भाग्य सुधार और ज्योतिष से जुड़े हैं। अपनी कुंडली दिखाकर या अनुभवी ज्योतिषी से चर्चा कर आप स्पष्ट दिशा पा सकते हैं। कुछ सवाल हैं? अपनी तारीख या जन्म समय लेकर किसी विशेषज्ञ से बात करें—छोटी सलाह अक्सर बड़ा फर्क बना देती है।

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