विजयवाड़ा में बाढ़ से तबाही: निवासियों को भोजन और पानी की दरकार

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विजयवाड़ा में बाढ़ से तबाही: निवासियों को भोजन और पानी की दरकार

विजयवाड़ा में बाढ़ के बाद निवासियों की स्थिति

विजयवाड़ा की विभिन्न कॉलोनियों जैसे प्रकाश नगर, राजराजेश्वरी पेटा, जक्कम्पुडी, राजीव नगर, और हुडा कॉलोनी के निवासी इस समय भारी कष्टों का सामना कर रहे हैं। शनिवार की रात बुडमेरु नाले के टूटने के कारण ये क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं। शुक्रवार सुबह से ही शुरू हुई भारी बारिश शनिवार शाम तक जारी रही, जिससे तेजी से जलस्तर बढ़ गया।

भोजन और पानी की परेशानी

रविवार दोपहर तक सड़कें घुटनों तक पानी में डूब चुकी थीं और कई घरों के भूतल भाग बुरी तरह से जलमग्न हो गए थे। इन इलाकों के निवासियों ने बताया कि उन्हें सुबह से भोजन और पानी नहीं मिला, और इन्हें दूध, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी नहीं मिल रही थीं।

अधिकारिक प्रतिक्रिया में देरी

स्थिति और भी खराब हो गई क्योंकि आधिकारिक प्रतिक्रिया तब तक नहीं आई जब तक मुख्यमंत्री ने शाम को दौरा नहीं किया। सीपीआई(एम) नेता च. बाबू राव ने अधिकारियों की आलोचना की कि उन्होंने जलभराव क्षेत्र के निवासियों को अलर्ट नहीं किया, जिससे वे बाढ़ की तैयारियां कर सकते थे।

बाढ़ का कारण

वेलागलरु रेगुलटर पर जलस्तर शनिवार की रात 15 मीटर तक पहुंच गया था, जिससे 30,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इस बाढ़ से लगभग 30,000 परिवार प्रभावित हुए, जिनमें ज्यादातर दैनिक मजदूर शामिल थे।

निवासियों की स्थिति

एलआईसी कॉलोनी के निवासी नरसिम्हा राव ने बताया कि जैसे ही उनके घरों में पानी घुसा, उन्हें ऊपरी मंजिल पर जाना पड़ा। निवासियों ने अपनी वस्तुओं के नुकसान और आवश्यकताओं की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की। खाने और दवाओं के पैकेट उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन नावों की कमी के कारण उन्हें पहुंचाना मुश्किल हो रहा है।

राहत की कमी

निवासियों ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता वाले मरीजों की मदद के लिए अनुपस्थित थीं।

निष्कर्ष

यह स्थिति विजयवाड़ा के निवासियों पर बाढ़ का गंभीर प्रभाव दर्शाती है और अधिकारियों से त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर जोर देती है।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (8)
  • anuj aggarwal
    anuj aggarwal
    2.09.2024

    सरकार ने यहाँ की बाढ़ प्रबंधन में पूरी तरह से फेल हो गई।

  • Sony Lis Saputra
    Sony Lis Saputra
    20.09.2024

    देखिए, बाढ़ जैसी आपदा में स्थानीय लोगों को तुरंत मदद की जरूरत होती है।
    सभी नागरिक मिलकर राहत कार्य में योगदान दे सकते हैं, जैसे भोजन पैकेट और साफ पानी का इंतजाम।
    स्थानीय NGOs और स्वयंसेवक समूहों को सहयोग देना चाहिए, ताकि जरूरतमंदों तक चीज़ें जल्दी पहुंचें।
    एक छोटा दान भी बड़ा फर्क ला सकता है, विशेषकर रोज़गार वाले परिवारों के लिए।
    आइए, हम सब मिलकर इस कठिन समय में एकजुट हों।

  • Kirti Sihag
    Kirti Sihag
    9.10.2024

    ये बाढ़ कितनी त्रासदी है, दिल तो मेरा भीड़-भाड़ में धड़धड़ कर रहा है 😭।
    घर-घर में पानी, लोग थके हुए, बच्चों की हंसी अब सुनाई नहीं दे रही 😔।
    ऐसे में एक-एक करके मदद का हाथ बढ़ाएँ, वरना दर्द का सागर और बढ़ेगा 😢।

  • Vibhuti Pandya
    Vibhuti Pandya
    27.10.2024

    भाईयों और बहनों, इस मुश्किल घड़ी में हम सबको एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।
    जिनके पास नाव या ट्रांसपोर्ट है, वे प्रभावित इलाकों तक आवश्यक सामान पहुंचा सकते हैं।
    स्थानीय प्रशासन से भी अनुरोध है कि नदियों का स्तर निरंतर मॉनिटर किया जाए और समय पर अलर्ट जारी किया जाए।
    एक साथ मिलकर हम इस बाढ़ की मार को कम कर सकते हैं।

  • Aayushi Tewari
    Aayushi Tewari
    15.11.2024

    स्थिति का गंभीर विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि आपातकालीन जल आपूर्ति प्रणाली में खामियां हैं।
    प्रतीकात्मक रूप से, प्रत्येक परिवार को प्रतिदिन आवश्यक मात्रा में शुद्ध पानी प्रदान किया जाना चाहिए।
    तत्काल चिकित्सा सहायता के लिए नजदीकी अस्पतालों में अतिरिक्त स्टाफ और दवाईयों की व्यवस्था आवश्यक है।
    इन उपायों से पीड़ित जनसंख्या की मूलभूत आवश्यकताएं समय पर पूरी हो सकेंगी।

  • Rin Maeyashiki
    Rin Maeyashiki
    3.12.2024

    दोस्तों, बाढ़ का सामना करना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए।
    पहला, जो लोग अभी भी सुरक्षित स्थानों पर नहीं पहुंच पाए हैं, उनके लिए आपातकालीन शरणस्थलों का निर्माण तुरंत शुरू होना चाहिए।
    दूसरा, साफ पानी की कमी को देखते हुए जल शोधन इकाइयों को त्वरित रूप से स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि रोगों का प्रसार न हो।
    तीसरा, राहत सामग्री जैसे भोजन, दवाइयाँ और कपड़े की पर्याप्त मात्रा की व्यवस्था करनी होगी, क्योंकि कई परिवारों ने अपना सब कुछ खो दिया है।
    चौथा, स्थानीय स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करके उन्हें वितरण कार्य में शामिल किया जा सकता है, जिससे प्रक्रिया अधिक प्रभावी बनेगी।
    पाँचवा, प्रशासन को रोज़ाना बाढ़ स्तर की जानकारी जनता को पारदर्शी रूप से साझा करनी चाहिए, ताकि लोग उचित तैयारी कर सकें।
    छठा, दूरी और सड़कों की स्थिति को देखते हुए बचाव काफिलों के लिए एम्बुलेंस और नावें उपलब्ध करानी चाहिए।
    सातवा, मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना आवश्यक है; बाढ़ से उत्पन्न तनाव और तनावग्रस्तता को कम करने के लिए काउंसलिंग सेंटर खड़े किए जा सकते हैं।
    आठवां, स्कूल और शैक्षणिक संस्थानों को अस्थायी ढांचे प्रदान करके पढ़ाई जारी रखने में मदद करनी चाहिए, क्योंकि बच्चों का शैक्षिक भविष्य भी प्रभावित हो रहा है।
    नौवां, सभी प्रभावित क्षेत्रों में बिजली और संचार सुविधाओं की बहाली को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि सूचना का आदान-प्रदान सहज हो।
    दसवां, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल को तुरंत तैनात करके बचाव कार्य को तेज़ी से अंजाम देना चाहिए।
    ग्यारहवां, निजी कंपनियों को भी इस संघर्ष में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, जैसे कि डोनेशन के माध्यम से आवश्यक वस्तुएँ प्रदान करना।
    बारहवां, लम्बी अवधि में बाढ़ रोकथाम के लिए नदियों के किनारे समुचित पत्थर और दलदल निर्माण को देखा जाना चाहिए।
    तेरहवां, इस प्रकार के आपदा प्रबंधन में स्थानीय समुदाय की भागीदारी अनिवार्य है, क्यूँकि वे ही सबसे पहले प्रभावी उपाय सुझा सकते हैं।
    चौदहवां, अंत में, हमें यह याद रखना चाहिए कि एकजुटता और सहयोग से बड़ी से बड़ी आपदा का सामना किया जा सकता है, और यही हमारी असली ताकत है।

  • Paras Printpack
    Paras Printpack
    22.12.2024

    वाह, अब तो सभी को बाढ़ से बचाने के लिए जल‑टैंक भेजेंगे, जैसे उन्होंने पहले नहीं किया।

  • yaswanth rajana
    yaswanth rajana
    9.01.2025

    रिन भाई, आपका विस्तृत सुझाव वास्तव में उपयोगी है।
    मैं विशेष रूप से जल शोधन और मानसिक स्वास्थ्य सहायता पर ज़ोर देना चाहता हूँ, क्योंकि ये दोनों पहलू अक्सर नजरअंदाज़ हो जाते हैं।
    आइए, हम एक सामुदायिक समिति बनाकर इन बिंदुओं को स्थानीय प्रशासन के सामने प्रस्तुत करें, ताकि तुरंत कार्रवाई हो सके।

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