विनेश फोगाट का ओलंपिक अयोग्यता के खिलाफ अपील पराजित: CAS ने खारिज किया

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विनेश फोगाट का ओलंपिक अयोग्यता के खिलाफ अपील पराजित: CAS ने खारिज किया

विनेश फोगाट की अपील खारिज: CAS का फैसला

कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने भारतीय कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट की ओलंपिक अयोग्यता के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया है। यह मामला उस वक्त शुरू हुआ जब विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक के दौरान 50 किलो ग्राम फ्रीस्टाइल इवेंट में गोल्ड मेडल बाउट से पहले 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। यह घटना बेहद विवादास्पद रही और इसके परिणामस्वरूप फोगाट ने कुश्ती से अपने संन्यास की घोषणा कर दी।

घटना का विस्तृत विवरण

घटना की शुरुआत तब हुई जब फोगाट ने सेमीफाइनल में जीत हासिल की और गोल्ड मेडल बाउट के लिए तैयार हो रही थीं। लेकिन अचानक एक छोटेसी वजन मापने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। फोगाट का वजन 100 ग्राम अधिक था, जो कि निर्धारित सीमा से थोड़ी ही अधिक थी। इसके बावजूद, यह नियमों के हिसाब से सही नहीं था और फोगाट को अयोग्य घोषित कर दिया गया।

फोगाट की कानूनी टीम का दावा

फोगाट की कानूनी टीम, जिसमें फ्रांसीसी वकील जोएल मॉनलुइस, एस्टेल इवानोवा, हबीन एस्टेले किम और चार्ल्स अम्सन शामिल थे, ने अपील दायर की थी। भारतीय वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और विदुष्पत सिंघानिया भी इस टीम का हिस्सा थे। उनका दावा था कि तंग समय सीमा और एरेना और एथलीट्स विलेज के बीच की दूरी के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई। इसके अलावा, उनका यह भी कहना था कि 100 ग्राम का अतिरिक्त वजन कोई प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्रदान नहीं करता।

भारतीय ओलंपिक संघ का समर्थन

भारतीय ओलंपिक संघ का समर्थन

भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने भी फोगाट के समर्थन में अपनी आवाज उठाई। उन्होंने इसे अन्यायपूर्ण बताया और CAS से पुनर्विचार की अपील की थी। IOA का मानना था कि इस तरह के मामूली मुद्दों पर खिलाड़ियों का करियर दांव पर लगाना सही नहीं है।

कानूनी प्रक्रिया और अंतिम निर्णय

फोगाट की अपील 7 अगस्त को दायर की गई, और CAS ने 16 अगस्त को अपना अंतिम निर्णय दिया। फोगाट ने अपनी अपील में क्यूबा की पहलवान युसनेलिस गूज़मैन लोपेज़ के साथ संयुक्त रजत पदक की मांग की थी, जिन्हें फोगाट की अयोग्यता के बाद फाइनल में प्रमोट किया गया था।

फोगाट का करियर और भविष्य की संभावना

CAS के इस निर्णय का फोगाट के करियर पर गहरा असर पड़ा है। उन्होंने इस घटना के बाद अपने संन्यास की घोषणा कर दी है, जो कि भारतीय कुश्ती इतिहास के लिए एक बड़े झटके की तरह है। यह फैसला भविष्य में वजन-संबंधी अयोग्यता की हैंडलिंग के लिए एक नजीर प्रस्तुत करता है।

भारतीय खेल समुदाय की प्रतिक्रिया

भारतीय खेल समुदाय की प्रतिक्रिया

फोगाट की अयोग्यता और CAS के निर्णय के बाद भारतीय खेल समुदाय में आक्रोश की लहर देखी गई है। कई पूर्व खिलाड़ियों और खेल विश्लेषकों ने इसे अनुचित करार दिया है। उनके मुताबिक, नियमों को इस तरह के मामूली मुद्दों पर इतना कठोर तरीके से लागू नहीं किया जाना चाहिए।

विनेश फोगाट की प्रतिक्रिया

विनेश फोगाट ने भी अपने समर्थकों के लिए एक संदेश दिया है कि वह निराश हैं लेकिन उन्होंने अपने करियर का अंत इसी तरह मान लिया है। उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों का धन्यवाद किया है जिन्होंने उनके इस कठिन समय में उनका साथ दिया।

आगे की राह

फोगाट के संन्यास के बाद सवाल उठता है कि भारतीय कुश्ती में उनकी अनुपस्थिति को कैसे भरा जाए। उनके योगदान को देखते हुए, यह साफ है कि भारतीय कुश्ती में उनकी कमी बहुत खलेगी। लेकिन ये भी वक्त की बात है कि नए खिलाड़ी आगे आएंगे और विनेश के पदचिन्हों पर चलते हुए नई ऊंचाइयों को छुएंगे।

परिणाम और सीख

परिणाम और सीख

यह घटना केवल विनेश फोगाट के करियर की नहीं, बल्कि उस पूरी प्रणाली की भी समीक्षा का कारण बनी है जिसमें खिलाड़ियों को इस तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। यह समय है कि अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती संघ और ओलंपिक समिति इस तरह के मामूली वजन मुद्दों के लिए एक अधिक समझदार और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाए, ताकि भविष्य में किसी और खिलाड़ी का करियर इस प्रकार प्रभावित न हो।

हालांकि विनेश फोगाट ने खुद को संन्यास की घोषणा कर दी है, लेकिन भारतीय कुश्ती की दुनिया में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता। वह हमेशा एक प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी और उनके अनुभव से आने वाली पीढ़ियाँ सीखेंगी।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (18)
  • Krish Solanki
    Krish Solanki
    15.08.2024

    विनेश फोगाट के केस में नियमों का अनुपालन स्पष्ट रूप से प्रश्नवाचक बन गया है। वजन सीमा को इतना कठोरता से लागू करना खेल की न्यायिकता को धूमिल कर देता है। इस प्रकार की तकनीकी त्रुटि से न केवल एक खिलाड़ी का करियर दुर्घटित हो जाता है, बल्कि पूरी प्रणाली की विश्वसनीयता भी चोटिल होती है।

  • SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
    SHAKTI SINGH SHEKHAWAT
    15.08.2024

    क्या आप जानते हैं कि ओलंपिक के वजन मापने वाले उपकरण अक्सर बाहरी हस्तक्षेप के शिकार होते हैं? इस मामले में कुछ अंधाधुंध सत्ता वाले लोग फोगाट को हटाने के लिए साजिश रची होगी, ताकि अन्य देशों को लाथ मार सकें। यही कारण है कि हमें हर पहलू को गहराई से जांचना चाहिए।

  • sona saoirse
    sona saoirse
    15.08.2024

    खेल में नैतिकता का उल्लंघन होना स्वीकार्य नहीं है। 100 ग्राम का अंतर भी अगर खिलाड़ी के सपने लेकर चला जाता है, तो हम सभी को इस बेमतलब की अयोग्यता को लेकर गुस्सा आना चाहिए। यह घटना भविष्य में ऐसे नियमों की पुन: समीक्षा की मांग करती है।

  • VALLI M N
    VALLI M N
    15.08.2024

    देश की शान की रक्षा के लिए ऐसे छोटे‑छोटे फंसाने वाले नियमों को तोड़ना चाहिए! 🏋️‍♂️ फोगाट ने हमारे लिए बड़ा उदाहरण कायम किया, लेकिन अब हमें अपनी राष्ट्रीय गर्व को बचे रखने के लिए सख्ती से लड़ना होगा।

  • Aparajita Mishra
    Aparajita Mishra
    15.08.2024

    ओह, वाकई में, इतनी छोटी‑सी तकनीकी गलती को लेकर इतने बड़े पोर्ट्रेट बनाना ही तो हमारी संस्कृति है। 🤔 चलिए, अब इस आलोचनात्मक माहौल में थोड़ा हल्का‑फुल्का रहना सीखते हैं और फोगाट को आगे बढ़ते देखते हैं।

  • Shiva Sharifi
    Shiva Sharifi
    15.08.2024

    भाईयो‑बहनों, हम सबको इन घटनाओं से सीख लेनी चाहिए कि भविष्य में ऐसे मुद्दों को कैसे रोकें। अगर वजन‑माप के उपकरण की कैलिब्रेशन सही हो, तो ऐसे नाटकों की जरूरत ही नहीं रहती। थोड़ा धैर्य और तकनीकी सतर्कता दोनों ही आवश्यक हैं।

  • Ayush Dhingra
    Ayush Dhingra
    15.08.2024

    विनेश का मामला दिखाता है कि किस तरह नियमों का कड़ाई से पालन करने से इंसान का जीवन बिगड़ जाता है। यह सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक व्यक्ति का भविष्य है। हमें इस तरह के बेतुके निर्णयों पर तेज़ी से प्रतिक्रिया देनी चाहिए।

  • Vineet Sharma
    Vineet Sharma
    15.08.2024

    क्या यह वास्तव में 100 ग्राम की गलती थी, या फिर कोई बड़ी साजिश? निश्चित रूप से, ऐसी छोटी‑छोटी बातों को लेकर बड़ी राजनीति चलती रहती है।

  • Aswathy Nambiar
    Aswathy Nambiar
    15.08.2024

    सच पूछो तो, हर बार जब हम "छोटी गलती" सुनते हैं, तो हमें बौद्धिक ठहराव की जरूरत नहीं लगती? जीवन में ऐसे कई लघु‑भूलें होती हैं, पर कभी‑कभी उनका असर अकल्पनीय हो जाता है।

  • Ashish Verma
    Ashish Verma
    15.08.2024

    क्रीड़ा का मूल उद्देश्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है, न कि बेमतलब की तकनीकी जमे बंदी। 🇮🇳 हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोते हुए ऐसी बेमेलियों को दूर करने चाहिए।

  • Akshay Gore
    Akshay Gore
    15.08.2024

    बहुत जड़ता से गली में दूसरे के सटीक वजन की जांच करने की जरूरत नहीं है, भाई।

  • Sanjay Kumar
    Sanjay Kumar
    15.08.2024

    कई बार छोटे‑छोटे नियम हमें बड़े बदलाव की ओर ले जाते हैं। इसलिए, इस घटना से सीख लेकर अगली बार बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।

  • adarsh pandey
    adarsh pandey
    15.08.2024

    फोगाट का मामला हमें यह याद दिलाता है कि खेल में न्याय की भावना कितनी महत्वपूर्ण है। हमें सभी खिलाड़ियों के साथ समान सम्मान और पारदर्शिता बरतनी चाहिए।

  • swapnil chamoli
    swapnil chamoli
    16.08.2024

    वास्तविकता के इस जटिल परिदृश्य में, केवल सतही नियमों का पालन पर्याप्त नहीं है; हमें गहराई से विश्लेषण करना चाहिए और प्रणालीगत दोषों को उजागर करना चाहिए।

  • manish prajapati
    manish prajapati
    16.08.2024

    विनेश का संघर्ष युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है। इस प्रकार की अनिच्छित अयोग्यता से बचने के लिए हमें बेहतर निरिक्षण प्रोटोकॉल विकसित करने चाहिए। साथ ही, सामुदायिक समर्थन भी उतना ही जरूरी है।

  • Rohit Garg
    Rohit Garg
    16.08.2024

    इसे ही हम पॉपुलर ख्यालों का टक्कर मानते हैं-एक ओर नियमों की कठोरता, तो दूसरी ओर करियर की नाजुकता। फोगाट का केस दिखाता है कि कैसे छोटी‑सी चूक भी बड़ी दुरुपयोग के रूप में सामने आती है।

  • Rohit Kumar
    Rohit Kumar
    16.08.2024

    विनेश फोगाट की अयोग्यता के पीछे कई सामाजिक और प्रशासनिक कारक छिपे हुए हैं। पहला, अंतर्राष्ट्रीय खेल संघों की नियमावली अक्सर भारतीय खिलाड़ियों के शारीरिक विविधताओं को ध्यान में नहीं रखती। दूसरा, बड़े आयोजनों में वजन माप के उपकरण की कैलिब्रेशन में अक्सर त्रुटि रहती है, जिससे छोटे‑छोटे अंतर बड़े विवाद बन जाते हैं। तीसरा, राष्ट्रीय खेल निकायों के भीतर सत्ता संघर्ष अक्सर निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करता है, जिससे निष्पक्षता पर प्रश्न उठते हैं।
    चौथा, मीडिया की सनसनाती कवरेज अक्सर खिलाड़ी के व्यक्तिगत संघर्ष को सार्वजनिक नाटक में बदल देती है, जिससे मानसिक दबाव बढ़ता है। पांचवा, प्रशिक्षकों और तकनीकी स्टाफ की अपर्याप्त प्रशिक्षण भी इस प्रकार की समस्याओं को जन्म देती है।
    छठा, ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर तकनीकी सहायता टीम की कमियों को उजागर नहीं किया जाता, जिससे ऐसी छोटी‑सी गलती का बड़ा प्रभाव पड़ता है। सातवां, खिलाड़ी खुद भी वजन प्रतिबंधों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं रखते, जिससे अनजाने में नियमों का उल्लंघन हो जाता है।
    अंत में, यह सब मिलकर एक ऐसा माहौल बनाते हैं जहाँ एक 100 ग्राम का अंतर भी एक पूरे करियर को नष्ट कर सकता है। इसलिए, हमें न केवल नियमों की पुन: समीक्षा करनी चाहिए, बल्कि इन सब पहलुओं को समग्र रूप से सुधारना चाहिए ताकि भविष्य में कोई खिलाड़ी इसी तरह से पीड़ित न हो।

  • Hitesh Kardam
    Hitesh Kardam
    16.08.2024

    बात तो सही है, 100 ग्राम की परेशानी से सब कुछ बिखर गया।

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