अरविंद केजरीवाल पर आरोप और प्रोडक्शन वारंट
दिल्ली की एक अदालत ने 12 जुलाई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अदालत में पेश होने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया है। यह न्यायालय का आदेश 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति में हुई अनियमितताओं के मामले में आया है। न्यायालय का यह आदेश स्पेशल जज कावेरी बावेजा द्वारा दिया गया, जिन्होंने सुरक्षा एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की 200 पन्नों की सप्लीमेंट्री चार्टशीट की जांच के बाद यह निर्णय लिया। इस चार्टशीट में केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) को आरोपी बनाया गया है।
ईडी के आरोप और चार्टशीट का मुख्य बिंदु
प्रवर्तन निदेशालय ने चार्जशीट में कहा है कि अरविंद केजरीवाल इस कथित घोटाले के 'मुख्य साजिशकर्ता' और 'मास्टरमाइंड' माने जा रहे हैं। ईडी ने यह भी दावा किया है कि केजरीवाल 'विकारियसली रिस्पॉन्सिबल' हैं, अर्थात उन पर इस घोटाले का परोक्ष रूप से जिम्मेदार होने का आरोप है।
चार्टशीट के अनुसार, 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति में अनियमितताओं के चलते केजरीवाल पर यह आरोप लगाया गया है। यह नीति अब रद्द कर दी गई है, लेकिन इसके तहत हुए कथित वित्तीय घोटाले की जांच अभी भी जारी है।

विनोद चौहान और आशीष माथुर पर आरोप
ईडी द्वारा दायर आठवीं सप्लीमेंट्री चार्टशीट में दो अन्य व्यक्तियों को भी आरोपी बनाया गया है - विनोद चौहान और आशीष माथुर। चौहान पर आरोप है कि उन्होंने फरवरी 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली से गोवा 25.5 करोड़ रुपये का हस्तांतरण किया और वह केजरीवाल और उच्च न्यायालय के जजों के बीच बैठक कराने के भी जिम्मेदार थे।
आशीष माथुर पर आरोप है कि वह चौहान के सहयोगी थे। चौहान को भी अदालत में पेश होने का प्रोडक्शन वारंट जारी किया गया है, जबकि माथुर को भी उसी दिन अदालत में पेश होने का समन जारी किया गया है।
घोटाले का व्यापक चित्रण
यह मामला दिल्ली की 2021-22 की आबकारी नीति के संबंध में है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था। ईडी का दावा है कि इस नीति के जरिए किए गए कथित वित्तीय अनियमितताओं के फलस्वरूप अपराध की कुल राशि 45 करोड़ रुपये थी, जिनका इस्तेमाल आम आदमी पार्टी के 2022 के गोवा चुनाव प्रचार में किया गया था।
ईडी के अनुसार, इस नीति के कारण निर्दिष्ट दुकानों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। इस जांच के तहत अब तक कई लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और अधिकतर दस्तावेजों की भी जांच हो चुकी है।

आरोपों पर प्रतिक्रिया
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने इन सभी आरोपों को निराधार बताते हुए राजनीति से प्रेरित करार दिया है। केजरीवाल का कहना है कि यह आरोप उन्हें और उनकी पार्टी को बदनाम करने के उद्देश्य से लगाए गए हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया है कि ईडी द्वारा की गई चार्जशीट सिर्फ उनके चरित्र हनन का प्रयास है और यह आगामी चुनावों में उनके खिलाफ एक साज़िश है।
अदालत में अगला कदम
अब इस मामले में अगला कदम 12 जुलाई को अदालत में पेश होने के बाद ही हो सकता है, जब अरविंद केजरीवाल, विनोद चौहान और आशीष माथुर अदालत के सामने अपनी सफाई देंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट में किस प्रकार की दलीलें दी जाती हैं और इसका क्या परिणाम निकलता है।
इस मामले के कानूनी पक्ष और राजनीति के बीच खींचतान से यह साफ हो गया है कि भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप और अदालती कार्रवाई के माध्यम से भी मुकाबला हो सकता है।
manish prajapati
10.07.2024केजरीवाल पर वारंट आया, लेकिन यही तो राजनीति का द्रव्यमान है; हर बार नए केस आते हैं और हमें देखना पड़ता है कि आगे क्या होता है। आशा करता हूँ कि सच्चाई सामने आएगी और जनता को सही जानकारी मिलेगी।
Rohit Garg
11.07.2024देखो, इस चार्टशीट में तो कागज़ी हाथी बनते दिख रहे हैं, लेकिन असली मुद्दा तो यह है कि किसने इस हाई‑फ़ाईव स्कीम को चलाया। ईडी का दावा है कि केजरीवाल मास्टरमाइंड है, पर सच तो यही है कि यह पूरी साज़िश पार्टी की शक्ति को गिरा देने के लिये तैयार की गई है।
Rohit Kumar
11.07.2024सबसे पहले तो यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि 2021‑22 की आबकारी नीति का रद्द होना ही इस मामले की जड़ को खतम नहीं कर सकता।
इसके पीछे कई वित्तीय लेन‑देनों का जाल बुनना हुआ था, जिसमें सरकारी धन को निजी कलाई में मोड़ना शामिल था।
एडी ने जो 200 पन्नों की दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए हैं, वह केवल कागज़ी झंडे नहीं बल्कि वास्तविक धन प्रवाह के संकेत हैं।
इस बात को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि ऐसे बड़े पैमाने की धोखाधड़ी के लिये उच्च स्तरीय योजना और सहयोग आवश्यक होता है।
केजरीवाल का कहना है कि यह सब राजनीति‑भेजा आरोप है, पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को इस तरह का जाल बुनने की जरूरत नहीं होती।
अगर हम इस केस को गहराई से देखें तो देखेंगे कि कई छोटे‑छोटे व्यवसायों को नकली लाइसेंस के जरिये लाभ पहुँचाया गया।
इन लाइसेंसों की वास्तविकता पर सवाल उठाने पर ही सरकारी विभागों ने कार्रवाई शुरू की, पर अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।
न्यायालय ने प्रोडक्शन वारंट जारी करके इस प्रक्रिया को तेज़ करने का इरादा दिखाया है, जो कि सकारात्मक कदम है।
हालांकि, न्यायिक प्रक्रिया में अक्सर कई महीने‑साल लगते हैं, इसलिए जनता को धैर्य रखना पड़ेगा।
इस बीच, एडी की जांच टीम ने कई बैंक ट्रांज़ैक्शन को ट्रेस किया है, जो कि उम्मीद है कि कोर्ट में प्रस्तुत होंगे।
अगर इन ट्रांज़ैक्शन में असामान्य पैटर्न दिखे तो यह केस और मजबूत हो जाएगा।
दूसरी ओर, विपक्षी दल अक्सर ऐसे मामलों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हैं, जिससे जांच प्रक्रिया में दबीता नहीं।
लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि लोकतंत्र में न्याय प्रणाली को स्वतंत्र रूप से काम करने देना चाहिए, बिना किसी दबाव के।
अंत में, यह कहना कि यह सिर्फ एक राजनैतिक साज़िश है, वास्तविक मुद्दों को छुपा देता है और न्याय की राह में बाधा बनता है।
इसलिए, सभी पक्षों को मिलकर सत्य के साथ खड़ा होना चाहिए और निष्पक्ष जांच को सहयोग देना चाहिए।
Hitesh Kardam
11.07.2024इतनी बड़ी साजिश के पीछे तो कोई विदेशी एजेंट या बड़े दुराचारी होंगे, नहीं तो ये सब बातें क्यों दोहराते रहते हैं?
Nandita Mazumdar
11.07.2024यह तो ठेठ राजनीतिक साज़िश है!
Aditya M Lahri
11.07.2024चलो हम उम्मीद रखें कि सबकी गवाही से सच्चाई सामने आए, और इस जंजाल का अंत हो। पूरे दिल से शुभकामनाएँ! 😊