स्पेन के मैनोलो मार्क्वेज भारतीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच नियुक्त

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स्पेन के मैनोलो मार्क्वेज भारतीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच नियुक्त

स्पेन के मैनोलो मार्क्वेज भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम के मुख्य कोच नियुक्त

भारत के फुटबॉल प्रशंसकों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। स्पेन के 55 वर्षीय मैनोलो मार्क्वेज को भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम का नया मुख्य कोच नियुक्त किया गया है। इससे पहले वे भारतीय सुपर लीग की टीम एफसी गोवा के कोच के रूप में कार्यरत थे। यह नियुक्ति ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) की कार्यकारी समिति की बैठक में 20 जुलाई को की गई।

इगोर स्टिमाक का स्थान लेंगे मार्क्वेज

मार्क्वेज भारतीय टीम के पूर्व कोच इगोर स्टिमाक का स्थान लेंगे। स्टिमाक को तीसरे दौर के 2026 फीफा विश्व कप क्वालिफायर्स में भारत के असफल प्रदर्शन के बाद हटा दिया गया था। एआईएफएफ अध्यक्ष श्री कल्याण चौबे ने एफसी गोवा का धन्यवाद किया जिन्होंने मार्क्वेज को राष्ट्रीय कर्तव्य के लिए रिहा किया।

एफसी गोवा के साथ जारी रहेगा अनुबंध

मार्क्वेज आगामी 2024-25 सीजन तक एफसी गोवा के कोच के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे और उसके बाद ही पूर्णकालिक रूप से भारतीय टीम की मुख्य कोच की भूमिका में जिम्मेदारी संभालेंगे। यह कोई पहली बार नहीं है जब एक कोच ने क्लब और राष्ट्रीय टीम, दोनों की जिम्मेदारी निभाई हो। 2011 में, अर्मांडो कोलाको ने भी इसी तरह की दोहरी भूमिका निभाई थी।

भारत में मार्क्वेज का अनुभव

मैनोलो मार्क्वेज 2020 से भारत में कोचिंग कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने हैदराबाद एफसी के साथ काम किया और उन्हें 2021-22 के आईएसएल कप खिताब तक पहुँचाया। यह उनकी विशेषज्ञता और अनुभव का अद्भुत प्रमाण है। स्पेन में भी उनका काफी अनुभव है, जहां उन्होंने ला लीगा की टीम लास पालमास को प्रशिक्षित किया था।

एआईएफएफ का विश्वास

ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को विश्वास है कि मार्क्वेज की निर्देशन में भारतीय टीम नई ऊंचाइयों को छू सकेगी। एआईएफएफ अध्यक्ष श्री कल्याण चौबे ने एफसी गोवा का धन्यवाद किया जिन्होंने मार्क्वेज को राष्ट्रीय कर्तव्य के लिए रिहा किया।

पहली चुनौती: त्रि-राष्ट्र टूर्नामेंट

मुख्य कोच के रूप में मार्क्वेज का पहला असाइनमेंट अक्टूबर में वियतनाम में होने वाला त्रि-राष्ट्र टूर्नामेंट होगा। उनकी कोचिंग शैली और अनुभव से भारतीय टीम को काफी लाभ होने की उम्मीद है। भारतीय फुटबॉल प्रशंसकों को भी मार्क्वेज से काफी उम्मीदें हैं, और सभी उनकी अगुवाई में टीम के सफलता की कामना कर रहे हैं।

Savio D'Souza

लेखक के बारे में Savio D'Souza

मैं एक पत्रकार हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लिखने का काम करता हूँ। मैं राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और आर्थिक घटनाक्रम पर विशेष ध्यान देता हूँ। अपने लेखन के माध्यम से, मैं समाज में जागरूकता बढ़ाने और सूचनात्मक संवाद को प्रेरित करने का प्रयास करता हूँ।

टिप्पणि (9)
  • Ashish Verma
    Ashish Verma
    21.07.2024

    स्पेन और भारत की फुटबॉल संस्कृति का संगम अब नया अध्याय लिख रहा है 😊। मैनोलो मार्क्वेज जैसे कोच का आना हमारे खिलाड़ियों में अंतरराष्ट्रीय अनुभवादि लाने का एक बड़ा कदम है 🙏। उनका लास पाल्मास के साथ का अनुभव और आईएसएल में गोटी-गोटी पर काम करने का इतिहास हमारे युवा प्रतिभाओं को नई दिशा दे सकता है। साथ ही, यह दिखाता है कि भारतीय फुटबॉल को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए किस तरह के विशेषज्ञों को आकर्षित किया जा रहा है।

  • Akshay Gore
    Akshay Gore
    21.07.2024

    इब तक सच्चाई है कि कोच बदलने से कुछ भी नहीं बदलेगा, बकवास।

  • Sanjay Kumar
    Sanjay Kumar
    21.07.2024

    बिलकुल सही कहा, परिवर्तन की नींव अक्सर नई सोच से बनती है 😊। लेकिन याद रहे, कोच सिर्फ तकनीकी ज्ञान नहीं, दिल भी चाहिए। अगर खिलाड़ियों में आत्मविश्वास आए तो परिणाम स्वाभाविक रूप से सुधरेंगे।

  • adarsh pandey
    adarsh pandey
    21.07.2024

    मार्क्वेज जी का चयन एआईएफएफ की दूरदर्शी सोच को दर्शाता है। उनके पास न केवल यूरोपीय फुटबॉल का अनभव है, बल्कि भारतीय क्लब स्तर पर सफलता का इतिहास भी है। यह मिश्रण भारतीय फुटबॉल को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है। आशा है कि वे राष्ट्रीय टीम को समन्वित और रणनीतिक रूप से तैयार करेंगे।

  • swapnil chamoli
    swapnil chamoli
    21.07.2024

    भले ही एआईएफएफ की योजना परिपूर्ण लग रही हो, पर हमें यह भी देखना चाहिए कि क्या कोई बड़े व्यावसायिक हितों के पीछे छिपा नहीं है। अक्सर ऐसे नियुक्तियां अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के दबाव से की जाती हैं, जो हमारी स्वाभाविक प्रगति को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए सतर्क रहना आवश्यक है, भले ही प्रस्तुति बहुत आकर्षक हो।

  • manish prajapati
    manish prajapati
    21.07.2024

    वाह! यह तो एक नई शुरुआत की तरह लग रहा है 🎉। मार्क्वेज जी की ट्रेनिंग से हमारे खिलाड़ी भरोसा और तकनीक दोनों में सुधार करेंगे। उनके पास अब तक जो अनुभव है, वह हमारे युवा प्रतिभाओं को विश्व स्तरीय मंच पर ले जाने में मददगार होगा। साथ ही, उनकी टीम‑वर्क पर ज़ोर देना हमें एकजुट भी करेगा। चलिए, इस नई ऊर्जा को पूरी तरह से अपनाते हैं और टीम को समर्थन देते हैं! 🙌

  • Rohit Garg
    Rohit Garg
    21.07.2024

    अरे भाई, यहाँ सब बैकबोन नहीं है, सिर्फ चमक‑दमक नहीं। मार्क्वेज को देखो, वही लड़ाकू दिमाग़ चाहिए जो मैदान में धांसू प्ले करे, नहीं तो ये सब फिज़ूले बातें रहेगी। हमको चाहिए ऐसे कोच जो हर प्ले के पीछे की गहरी रणनीति समझे और टीम को जड़ से बदल दे। कोई बौद्धिक कसर नहीं चलनी चाहिए।

  • Rohit Kumar
    Rohit Kumar
    21.07.2024

    भारतीय फुटबॉल के इतिहास में अब तक कई परिवर्तन देखे गए हैं, परंतु कोचिंग के क्षेत्र में स्थिरता अक्सर चुनौतीपूर्ण रही है। मैनोलो मार्क्वेज का चयन न केवल एआईएफएफ की दूरदर्शी नीतियों का प्रतिबिंब है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि संस्था अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपनी रणनीति को पुनः परिभाषित कर रही है। उनके यूरोपीय अनुभव, विशेष रूप से ला लीगा में कार्यकाल, भारतीय खिलाड़ियों को तकनीकी तथा मानसिक दोनो पहलुओं में नई दिशा प्रदान कर सकता है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आईएसएल में गोवा क्लब को शीर्ष स्थान पर पहुँचाया, जो यह दर्शाता है कि वे विभिन्न स्तरों पर सफलतापूर्वक काम कर सकते हैं। भारतीय टीम के लिए यह आवश्यक है कि कोच केवल प्रशिक्षण ही नहीं, बल्कि खेल की गहरी समझ भी प्रदान करे। मार्क्वेज की कोचिंग शैली में प्रतिरक्षा एवं आक्रमण दोनों पर समान महत्व दिया जाता है, जो आज के गतिशील फुटबॉल परिदृश्य में अत्यावश्यक है। उनके द्वारा अपनाए जाने वाले आधुनिक विश्लेषणात्मक उपकरण, जैसे वीडियो एनालिटिक्स और डेटा‑ड्रिवन रणनीति, टीम के प्रदर्शन को परिमाप से परे सुधार सकते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के साथ काम किया है, जिससे वे भारतीय खिलाड़ियों के मानसिक और सामाजिक पहलुओं को समझने में सक्षम होंगे। भारतीय फुटबॉल प्रशंसकों को अब उम्मीद करनी चाहिए कि उनके पास एक स्पष्ट विज़न होगा, जो दीर्घकालिक विकास के साथ-साथ त्वरित परिणामों पर भी केंद्रित रहेगा। त्रि‑राष्ट्र टुर्नामेंट जैसे छोटे‑स्तरीय प्रतियोगिताएँ इस नई रणनीति को परीक्षण का मंच प्रदान करेगी। यदि मार्क्वेज इस अवसर का सही उपयोग करते हुए टीम को संगठित और आत्मविश्वासपूर्ण बनाते हैं, तो यह भविष्य के बड़े टूर्नामेंटों में सफलता की नींव रखेगा। इस संदर्भ में, एआईएफएफ को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कोच की सहायता के लिये आवश्यक बुनियादी सुविधाएँ और संसाधन उपलब्ध कराए जाएँ। प्रशिक्षण के दौरान उचित चिकित्सा सुविधा, पोषण सलाहकार और आधुनिक प्रशिक्षण स्थल का होना अनिवार्य है। इन सभी पहलुओं को सम्मिलित करके ही भारतीय फुटबॉल वास्तव में अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बना सकेगा। अंत में, यह कहा जा सकता है कि मार्क्वेज का आगमन केवल एक नई नियुक्ति नहीं, बल्कि भारतीय फुटबॉल की उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आशा की जाती है कि उनकी विशेषज्ञता और दृष्टिकोण टीम को प्रेरित करेंगे और हमारे देश के फुटबॉल को नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगे।

  • Hitesh Kardam
    Hitesh Kardam
    21.07.2024

    भाई, ये सब बातें सुन कर तो लगता है कि हमारा फुटबॉल अब विदेशियों के हाथों में ही सहेजा जाएगा, लेकिन असल में हमारी धरती का दामन कभी नहीं टूटेगा। हर कोई मार्क्वेज को लेकर बड़ी दिक्कतें ढूँढ़ रहा है, पर सच्चाई ये है कि हमारी जीत के पीछे मुख्य कारण हमारी अपनी भावना और देशभक्ति है। विदेशी कोच फुर्सत से नहीं आते, उन्हें हमारे खेल को मोड़ने का बड़ा लुफ़ा चाहिए। इसलिए बइठे‑बइठे न देखो, बल्कि टीम को अपना समर्थन दो और वहा के ब्लैक‑ऑप्स को निकाल दो।

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