अत्यधिक वर्षा

जब हम अत्यधिक वर्षा, लगातार कई घंटे या दिनों तक भारी मात्रा में बरसने वाला बारिश. Also known as भारी बारिश, it disrupts daily life, agriculture and infrastructure. अत्यधिक वर्षा हर साल मानसून के दौरान शक्ति‑पूर्ण रूप से भारत के कई हिस्सों में आती है। मौसम विभाग की रिपोर्ट बताती है कि वर्षा की मात्रा सीमा से अधिक हो जाने पर निकासी, जल स्तर वृद्धि और जल उपलब्धता पर गहरा असर पड़ता है। इस लेख में हम समझेंगे कि क्यों कभी‑कभी यह सिर्फ पानी नहीं, बल्कि एक शहरी और ग्रामीण चुनौतियों की श्रृंखला बन जाता है।

बाढ़ और भूस्खलन जैसे जोखिम

अत्यधिक वर्षा अक्सर बाढ़, भारी बारिश के कारण नदी, तालाब या जल निकायों के किनारे जल सतह का उठना. It can inundate घर, फसल और सड़कों को नुकसान पहुँचाता है। दूसरी ओर, भूस्खलन, जमीन के ढलानों पर तेज़ी से मिट्टी और चट्टानों का गिरना. It frequently follows prolonged rainfall in पहाड़ी क्षेत्रों, जैसे झारखंड और उत्तराखंड में देखा गया है। इन दोनों घटनाओं का सीधा संबंध अत्यधिक वर्षा से है – एक ही मौसम का दोहरी जोखिम। समुदाय के लिए प्रमुख चुनौतियों में जल निकासी की कमी, पुरानी बुनियादी ढांचा और समय पर चेतावनी प्रणाली का अभाव शामिल है। मौसम विभाग (IMD) लगातार रीयल‑टाइम मॉनीटरिंग कर रहा है, और ऑरेंज अलर्ट जैसी चेतावनी जल प्रबंधन एजेंसियों को तुरंत कार्रवाई करने का संकेत देती है। इस बीच, जल संरक्षण, नीचे जमीन में जल भंडारण और लुढ़कते बँधों की मजबूती को बढ़ाने के लिए स्थानीय प्रशासन और NGOs मिलकर काम कर रहे हैं।

अब आप सोच सकते हैं कि इस टैग पेज पर आपको क्या मिलेगा। नीचे की सूची में आपको नवीनतम अत्यधिक वर्षा से जुड़ी खबरें, राज्य‑वार बाढ़ चेतावनी, भूस्खलन जोखिम मानचित्र और तत्काल सुरक्षा सुझाव मिलेंगे। चाहे आप किसान हों, शहरी निवासी हों या यात्रा योजना बना रहे हों – यहाँ की जानकारी आपको तैयार रहने में मदद करेगी। तो चलिए, आगे पढ़ते हैं और देखते हैं कि इस मौसम में कौन‑सी खबरें और टिप्स आपके लिए सबसे उपयोगी हैं।

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इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने बताया कि 24 सितम्बर 2025 को दिल्ली में साउथवेस्ट मॉनसून सबसे जल्दी निकला, फिर भी वर्षा 41% अधिक रही, जिससे जल‑स्रोतों पर सकारात्मक असर पड़ा।

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