भावनात्मक उत्पीड़न: पहचानें, बचाव करें और मदद पाएं
कभी-कभी जो लोग जोर से चिल्लाते नहीं, पर बार-बार आपके आत्मविश्वास को तोड़ते हैं — वही भावनात्मक उत्पीड़न है। यह चिल्लाहट या शारीरिक चोट जैसा दिखता नहीं, पर असर गहरा और लंबा होता है। समय रहते पहचानकर कदम उठाना जरूरी है।
कैसे पहचानें कि आप भावनात्मक उत्पीड़न झेल रहे हैं?
सीधी-सीधी बातें जो ध्यान दें: लगातार अपमानित महसूस होना, आपके फैसलों पर नियंत्रण, बार-बार शर्मिंदा करना, झूठ बोलकर बदनाम करना, प्यार बंद करना जब आप कुछ कहते हैं। ये संकेत रिश्ते, परिवार, काम या ऑनलाइन किसी जगह दिख सकते हैं। अगर आप अक्सर खुद को छोटा, डरावना या दोषी महसूस करते हैं, तो यह चेतावनी है।
दूसरे संकेतों में शामिल हैं: नींद और भूख में बदलाव, बार-बार माफी माँगना, दोस्त-परिवार से दूरी बनाना, बार-बार आपकी याददाश्त या अनुभवों को अस्वीकार करना (gaslighting)। बच्चे और बुज़ुर्ग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।
अब क्या करें — व्यावहारिक कदम
पहला कदम पहचान है। फिर तुरंत सुरक्षा और आत्मसम्मान पर काम करें। यदि खतरा है तो 112 पर कॉल करें या नज़दीकी मदद लें।
सबूत जुटाएँ: संदेश, ईमेल, वॉयस मैसेज और तारीख-समेत नोट्स रखें। यह बाद में मदद और कानूनी कदम में काम आएगा।
सीमाएँ तय करें: छोटे-छोटे कदमों से शुरू करें — बातचीत का समय सीमित करें, अनावश्यक संपर्क घटाएँ, और स्पष्ट कहें कि कौन-सी बात आप बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर व्यक्ति सीमा तोड़ता है तो हट जाइए।
बात करें किसी भरोसेमंद से: दोस्त, परिवार या कॉउंसलर से अपनी स्थिति साझा करें। बाहर से नजर आने पर अक्सर चीजें स्पष्ट होती हैं और समर्थन मिल जाता है। प्रोफेशनल काउंसलिंग आत्मविश्वास लौटाने में मदद करती है।
कानूनी विकल्प: घरेलू हिंसा से सुरक्षा के लिए भारत में सक्षम कानून मौजूद हैं। यदि आप मारपीट के साथ मानसिक उत्पीड़न झेल रही/रहे हैं तो स्थानीय पुलिस या महिला/चाइल्ड हेल्पलाइन से संपर्क करें। काम पर उत्पीड़न हो तो HR या संबंधित शिकायत प्रक्रिया अपनाएँ।
ऑनलाइन और कामकाजी जगहों पर: ईमेल और चैट के रिकॉर्ड रखें। ऑफिस में अगर समस्या है तो लिखित शिकायत दें और HR से फॉलोअप कराएँ। अगर जवाब न मिले तो श्रम या कानूनी सलाह लें।
खुद का ख्याल रखें: रोज़ छोटे लक्ष्य रखें, आराम, सही खाना और हल्की एक्सरसाइज़ से मानसिक हालत सुधरती है। जर्नल लिखना, ध्यान या श्वास अभ्यास तनाव कम करते हैं।
आप तैयार नहीं हैं तो धीरे-धीरे कदम लें। मदद माँगना कमजोरी नहीं, समझदारी है। अगर आप महसूस कर रहे हैं कि स्थिति बदतर हो रही है, तत्काल सुरक्षा सुनिश्चित कीजिए और पेशेवर मदद लें।
याद रखें: भावनात्मक उत्पीड़न आख़िर तक सहने जैसी चीज़ नहीं है। पहचानिए, सीमाएँ लगाइए, सबूत रखिए और भरोसा वाले लोगों या संस्थाओं से मदद लीजिए। आप अकेले नहीं हैं।
आमाल मलिक ने माता-पिता के साथ रिश्ते तोड़ने का किया खुलासा, भावनात्मक उत्पीड़न का लगाया आरोप
संगीतकार आमाल मलिक ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर अपने माता-पिता से संबंध समाप्त करने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि भावनात्मक उत्पीड़न से उन्हें नैदानिक अवसाद का सामना करना पड़ा। इस निर्णय ने उनके और भाई अरमान मलिक के रिश्ते को प्रभावित किया। हालाँकि, वह पेशेवर संबंध कायम रखेंगे।
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Savio D'Souza
- 21 मार्च 2025
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