चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी

जब बात चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी, हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने में आती एक प्रमुख अष्टमी पूजा है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों का विशेष पूजन किया जाता है. इस दिन को अक्सर नवदुर्गा अष्टमी कहा जाता है, क्योंकि नवदुर्गा की आरती और प्रसाद की विशेष व्यवस्था होती है. इस अष्टमी में व्रत रखना, गजक (कवच) बनाकर ध्वज फहराना और शाम को शमील (पूजा थाली) सजाना परम्परा है. चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी का मुख्य उद्देश्य देवी शक्ति के नवरूपों को सम्मानित करना, मानवीय मनोबल को बढ़ाना और परिवार में सौहार्द बढ़ाना है. यह तिथि अक्सर ग्रेगोरियन कैलेंडर में मार्च या अप्रैल के मध्य में आती है, इसलिए हर वर्ष इसका सटीक दिन बदलता है, परंतु पंचांग के अनुसार अष्टमी हमेशा चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी होती है.

मुख्य संबंधित अवधारणाएँ

इस महा अष्टमी के चारों ओर कई जुड़े हुए धार्मिक तत्व घूमते हैं. पहला है दुर्गा पूजा, एक विस्तृत महापर्व जो माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों को समर्पित है और पूरे भारत में अलग‑अलग रीति‑रिवाज़ों से मनाया जाता है. दुर्गा पूजा का प्रमुख कार्य अष्टमी व्रत के साथ मिलकर देवी के आशीर्वाद को आमंत्रित करना है. दूसरा, अष्टमी व्रत, एक ऐसा उपवास जो शुद्धता, आध्यात्मिक शक्ति और निष्ठा को बढ़ावा देता है, अक्सर सात या दस दिन तक रखा जाता है. व्रत रखने वाले लोग शुद्ध शाकाहारी आहार अपनाते हैं, और प्रतिदिन दुर्गा के श्लोक और कथा सुनते हैं. इन दोनों तत्वों की संक्रिया यह दर्शाती है कि चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण धार्मिक प्रणाली है, जहाँ पूजा, कथाएँ और व्रत एक-दूसरे को सुदृढ़ करते हैं. साथ ही, इस अष्टमी में मुहूर्त (शुभ समय) का चयन, हवन (आगाहवन) और संगीत (भजन/कीर्तन) भी अनिवार्य होते हैं, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रभावी प्रवाह सुनिश्चित होता है.

यदि आप इस अष्टमी के बारे में और गहरी जानकारी चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लेखों में आप तिथि‑पंचांग, शुद्ध व्रत रेसिपी, पुजारी के निर्देश, और स्थानीय गौरव गाथाएँ पाएँगे. हमारे संग्रह में आप विभिन्न राज्यों की विशिष्ट रिवाज़ों, प्रमुख मन्दिरों में होने वाले अनुष्ठानों और प्रमुख धार्मिक व्यक्तियों की टिप्पणी भी देख सकते हैं. इन सभी सामग्री का उद्देश्य आपको चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी की पूरी परिप्रेक्ष्य से परिचित कराना है, ताकि आप इस पवित्र दिवस को सही रूप में मनाते हुए अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भर सकें. अब आगे बढ़ते हुए, आप नीचे सूचीबद्ध लेखों में इस महा अष्टमी से जुड़ी विस्तृत खबरें और विश्लेषण देख पाएँगे.

05 अप्रैल 2025 को चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी का पंचांग – शुक्ल अष्टमी, शुभ मुहूर्त और राही काल

05 अप्रैल 2025 को चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी का पंचांग – शुक्ल अष्टमी, शुभ मुहूर्त और राही काल

05 अप्रैल 2025 को शनिवार को चैत्र नवदुर्गा महा अष्टमी पड़ती है। शुक्ल अष्टमी तिथि शाम 7:26 बजे तक चलती है, पुनर्वसु नक्षत्र और मिथुन राशि में चंद्र ग्रहण। अभिजीत मुहूर्त 11:59‑12:49 बजे, राहु काल 9:15‑10:50 बजे से बचने योग्य समय बताया गया है। इस दिन माँ महागौरी और शनि दोनों की विशेष पूजा के अवसर हैं।

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