CBDT – भारतीय कर प्रणाली का मुख्य आधार

जब आप CBDT, भारत का केंद्रीय बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स, जो सीधे करों की नीति, प्रशासन और संग्रहण को नियंत्रित करता है. Also known as सीबीडीटी, it functions under the वित्त मंत्रालय, देश के वित्तीय निर्णयों का मुख्य मार्गदर्शक and collaborates closely with the आयकर विभाग, जो करदाताओं के आयकर रिटर्न का कार्यान्वयन करता है. This trio forms the backbone of India’s direct tax ecosystem.

मुख्य कार्य और जिम्मेदारियां

CBDT की प्रमुख जिम्मेदारी डायरेक्ट टैक्स के नियम बनाना और उनका पालन सुनिश्‍चित करना है। यह बोर्ड टैक्स मूल्यांकन (assessment), कर छूट (exemptions), और दंड (penalties) के मानक निर्धारित करता है। साथ ही, आयकर रिटर्न की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग (e‑filing) को आसान बनाकर करदाता अनुभव को बेहतर बनाता है। इन प्रक्रियाओं में टैक्स मूल्यांकन, आय के आधार पर कर की गणना और पुष्टि एक अहम कदम है, क्योंकि सही मूल्यांकन से राजस्व में स्थिरता आती है। CBDT निरंतर नए नियम पेश करता है, जैसे कि वार्षिक आयकर स्लैब में परिवर्तन, विशेष घटकों पर कर राहत, और अंतरराष्ट्रीय कर समझौते (tax treaties) का कार्यान्वयन। इन सबका लक्ष्य कर संग्रह को तेज़ और पारदर्शी बनाना है, जिससे सरकार को विकासात्मक खर्चों के लिए पर्याप्त फंड मिल सके।

जब सरकार आर्थिक नीतियों में बदलाव लाती है, तो CBDT को उन बदलावों को कर ढाँचों में अनुकूलित करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, यदि वित्त मंत्रालय ने GST के बाद सीधे करों की दर घटाने की योजना बनाई, तो CBDC को नई आयकर दरें और छूटों की घोषणा करनी होती है। इस प्रकार, CBDT, वित्त मंत्रालय, और आयकर विभाग एक अंतरसंबंधित नेटवर्क बनाते हैं जहाँ एक के निर्णय दूसरे को प्रभावित करते हैं।

वर्तमान में, CBDT डिजिटल पहल पर भी ध्य‍ान दे रहा है। ऑनलाइन पोर्टल्स के माध्यम से करदाता अब अपना PAN, आधार और बैंक खाता लिंक करके आसानी से रिटर्न फाइल कर सकते हैं। यह डिजिटलकरण न केवल समय बचाता है, बल्कि धोखाधड़ी को भी कम करता है, क्योंकि हर लेन‑देन का ट्रैक रखना आसान हो जाता है। इस तरह की तकनीकी उन्नति से टैक्स पॉलिसी, देश की कुल कर नीति, अधिक डेटा‑ड्रिवन बनती है

आगे बढ़ते हुए, CBDT ने हाल ही में कुछ प्रमुख दिशा‑निर्देश जारी किए हैं, जैसे कि छोटे व्यवसायों के लिए कर सीमा बढ़ाना और स्टार्ट‑अप्स को विशेष टैक्स छूट देना। ये कदम छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहित करने और रोजगार सृजन को तेज़ करने के उद्देश्य से किए गए हैं। साथ ही, उच्च आय वाले व्यक्तियों और बड़े कॉरपोरेट्स के लिए कड़ाई से नियम लागू किए जा रहे हैं, जिससे कर चोरी की संभावना घटे।

CBDT की ये सारी गतिविधियाँ यह दर्शाती हैं कि क्या-क्या काम इस एकल बोर्ड को संभालना पड़ता है – नीति निर्माण से लेकर कार्यान्वयन, डिजिटल सेवाओं से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तक। यदि आप करदाता हैं, तो इन सबकी समझ आपके लिए फायदेमंद होगी, क्योंकि इससे आप अपनी दायित्वों को सही समय पर और सही तरीके से पूरा कर पाएंगे।

नीचे आप विभिन्न लेखों, अपडेट्स और विश्लेषणों की सूची पाएँगे जो CBDT से जुड़ी हालिया खबरों, आयकर रिटर्न फाइलिंग गाइड, और टैक्स प्लानिंग टिप्स को कवर करती हैं। इन संसाधनों को पढ़कर आप अपने कर संबंधी निर्णयों में अधिक आत्मविश्वास बना सकते हैं।

CBDT ने टैक्स ऑडिट डेडलाइन बढ़ाई: अब 31 अक्टूबर 2025 तक जमा कर सकते हैं

CBDT ने टैक्स ऑडिट डेडलाइन बढ़ाई: अब 31 अक्टूबर 2025 तक जमा कर सकते हैं

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की जमा करने की अंतिम तिथि को 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी है। यह कदम कई प्रोफेशनल संघों की मांगों और प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई कठिनाइयों के बाद लिया गया है। पोर्टल के तकनीकी प्रदर्शन में कोई बाधा नहीं बताई गई, जबकि अब तक 4.02 लाख रिपोर्टें अपलोड हो चुकी हैं। यह विस्तार कॉरपोरेट एवं गैर‑कॉरपोरेट करदाताओं दोनों के लिए लागू होगा।

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