एनआरआई: भारतीय विदेशी नागरिकों की जिंदगी, निवेश और भारत से जुड़ाव
एनआरआई यानी भारतीय विदेशी नागरिक, भारत के नागरिक जो किसी अन्य देश में निवास या नौकरी के लिए रह रहे हैं, लेकिन भारतीय नागरिकता बनाए रखते हैं। ये लोग अमेरिका, कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया, मीडियम ईस्ट या यूरोप में रहते हैं, लेकिन अपने घर के बारे में भूलते नहीं। वो अपने बच्चों को हिंदी सिखाते हैं, दिवाली पर घर लौटते हैं, और भारत में जमीन, घर या शेयर खरीदते हैं। एनआरआई केवल एक आँकड़ा नहीं, बल्कि एक जुड़ाव है।
एनआरआई के लिए एनआरआई बैंक खाता, भारतीय बैंकों में खोला जाने वाला खाता जिसमें विदेशी कमाई को भेजा जा सकता है और ब्याज मिलता है एक ज़रूरी चीज़ है। इस खाते से वो भारत में घर खरीद सकते हैं, बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा सकते हैं, या फिर PM Kisan जैसी योजनाओं का फायदा उठा सकते हैं। कई एनआरआई अपनी कमाई का हिस्सा भारत में निवेश करते हैं — टैटा कैपिटल जैसे IPO में, या फिर सोना-चाँदी में, जिसकी कीमतें धनतेरस पर उनके लिए खास मायने रखती हैं। ये निवेश न सिर्फ पैसे का बदलाव है, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को सीधे सपोर्ट करना भी है।
एनआरआई जो भी करते हैं, वो भारत के साथ जुड़े रहते हैं। चाहे वो इश सोधी के क्रिकेट के मैच देख रहे हों, या फिर भारतीय वायु सेना दिवस पर मोदी के भाषण सुन रहे हों, या फिर डार्जीलिंग के लैंडस्लाइड पर चिंता कर रहे हों — वो भारत की हर खबर को अपनी खबर मानते हैं। यही वजह है कि एनआरआई भारतीय डायस्पोरा का दिल है। इस टैग के तहत आपको ऐसी ही कहानियाँ मिलेंगी: जहाँ एक एनआरआई ने अपने घर के लिए एक बैंक खाता खोला, जहाँ कोई भारतीय ने अमेरिका में एक बिजनेस शुरू किया और भारत में जमीन खरीद ली, या जहाँ कोई बच्चा अपने दादा के साथ दिवाली मनाने भारत आया।
इस लिस्टिंग में आपको ऐसे ही असली किस्से मिलेंगे — जो बताते हैं कि एनआरआई कैसे दुनिया के कोने में रहते हुए भी भारत के साथ जुड़े रहते हैं।
मधापार: भारत का सबसे अमीर गाँव, जहाँ हर घर के पास ₹15-20 लाख, दिल्ली-मुंबई-बैंगलोर से भी ज्यादा धन
मधापार, गुजरात का एक गाँव, जहाँ 7,600 घरों के पास ₹5,000 करोड़ की बैंक जमा है, जो दिल्ली-मुंबई-बैंगलोर से भी ज्यादा है। ये धन एनआरआई लोगों की रेमिटेंस से आया है, जो अपनी जड़ों को नहीं भूले।
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Savio D'Souza
- 5 दिसंबर 2025
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