कुचिपुड़ी नर्तक — क्या देखना और कैसे सीखें
कुचिपुड़ी भारत की पारंपरिक नृत्य शैलियों में जीवंत और धारदार शैली है। अगर आप किसी मंच पर कुचिपुड़ी नर्तक देखते हैं तो सबसे पहले टारंगम, तेज़ पाँव की चाल और भाव-भंगिमा आपको पकड़ लेगी। यह नृत्य आंध्र प्रदेश के कुचिपुड़ी गांव से आया है और इसमें नाट्य, संगीत और ताली (नट्टुवांगम) का खास संगम मिलता है।
क्या है कुचिपुड़ी और नर्तक का रोल?
कुचिपुड़ी में नर्तक सिर्फ कदम नहीं उठाता — वह कहानी बताता है। मंचीय भाषा में उसे भाव, हाव-भाव और हाथों के संकेत (मुद्रा) से पात्रों और भावों का चित्र बनाना होता है। एक कुचिपुड़ी नर्तक को ताल, लय और संगीत के साथ तालमेल जरूरी है। खास बात: कुचिपुड़ी का टारंगम, जहाँ नर्तक थाली या पॉट पर नृत्य करता है, दर्शकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है।
पेशेवर नर्तक का काम केवल नृत्य करना नहीं, बल्कि कथ्य (कहानी) को जीवंत बनाना भी है। दर्शक को जो महसूस कराना है, वो नर्तक की अभिव्यक्ति पर निर्भर करता है। इसलिए अभिनय (अभिनय) की समझ और मॉड्यूलर ट्रेनिंग दोनों जरूरी हैं।
शुरू करने के व्यावहारिक टिप्स (नवोदित के लिए)
तुरंत शुरू करने के लिए कुछ आसान और काम के टिप्स:
1) रोज़ाना अभ्यास: बेसिक आडवु (कदम) और बरामद (लय) रोज़ 45–60 मिनट करें। शरीर मजबूत होगा और संतुलन बढ़ेगा।
2) ताली और ताल सीखें: नट्टुवांगम और मृदंग के साथ ताल पढ़ना शुरू करें। ताल नई चालों को समझने में मदद करेगा।
3) अभिव्यक्ति पर काम करें: आँखों और हाथों के छोटे-छोटे अभ्यास करें। एक भाव पर अलग-अलग तीव्रता में अभिनय करके देखें।
4) गुरु चुनें: अनुभव वाले गुरु से सीखें—गुरु की निगरानी में सुधार तेज़ होता है। अगर पास में कोई अकादमी नहीं है, तो महीने में आयोगिक वर्कशॉप्स या ऑनलाइन क्लास भी उपयोगी होते हैं।
5) मंच अनुभव लें: छोटी प्रस्तुतियों से डर घटता है। पर्व, स्थानीय समारोह और ऑनलाइन मंच पर प्रदर्शन से आत्मविश्वास बढ़ेगा।
कपड़े और साज-सज्जा भी मायने रखते हैं: पारंपरिक साड़ी धुतिरूप में बँधी रहती है, घंटियाँ (घुंघरू) और सरसज्जा पर ध्यान दें। कुछ शैलियों में सफेद 'चुट्टी' या खास मेकअप भी होता है, जो चेहरे की अभिव्यक्ति को उभारता है।
प्रमुख कलाकारों और गुरुओं के नाम याद रखें—जिन्होंने कुचिपुड़ी को नया रूप दिया, जैसे Vempati Chinna Satyam, Radha-Raja Reddy और Shobha Naidu—इनके प्रदर्शन देखकर तकनीक और मंच संचालन की समझ मिलती है।
अगर आप कुचिपुड़ी नर्तक बनना चाहते हैं तो धैर्य रखें: यह गति और भाव दोनों की कड़ी मेहनत मांगता है। रोज़ अभ्यास, अच्छे गुरु और छोटे मंच अनुभव से आप धीरे-धीरे निपुण बनेंगे। यहाँ से कुचिपुड़ी से जुड़ी ताज़ा खबरें और कलाकारों की रिपोर्ट पढ़ते रहिए — ये आपके सीखने और प्रेरणा के स्रोत बनेंगी।
प्रसिद्ध भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी नर्तकी यामिनी कृष्णमूर्ति का निधन: भारतीय शास्त्रीय नृत्य में योगदान
प्रसिद्ध भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी नर्तकी मुंगारा यामिनी कृष्णमूर्ति का 3 अगस्त 2024 को 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। आंध्र प्रदेश के चितूर जिले के मदनपल्ली में जन्मी यामिनी ने शास्त्रीय नृत्य की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने कलाक्षेत्र में भरतनाट्यम की शिक्षा ली और बाद में कुचिपुड़ी और ओडिसी में भी महारत हासिल की।
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Savio D'Souza
- 4 अगस्त 2024
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