मिल्क प्राइस इन्फ्लेशन: क्या हो रहा है और हमें क्या करना चाहिए?
हर सुबह जब आप दूध का जार खोलते हैं, तो कीमत में थोड़ा‑थोड़ा बढ़ाव जरूर महसूस करते हैं। यही मिल्क प्राइस इन्फ्लेशन है – दूध की कीमतों में लगातार बढ़ती प्रवृत्ति। इस लेख में हम देखेंगे कि क्यों कीमतें बढ़ रही हैं, इसका असर किस पर पड़ रहा है और आप रोज‑रोज की खरीदारी में कैसे बचत कर सकते हैं।
मुख्य कारण और असर
सबसे बड़ा कारण कृषि उत्पादन लागत में बढ़ोतरी है। फीड, औषधि, बिजली और मजदूर खर्च में हर साल नए‑नए बढ़ोतरी आती है, जिससे किसान को दूध बेचते समय कम मार्जिन मिलता है। जब किसान को कम मिलती है, तो वह कीमत बढ़ा देता है।
दूसरा कारण मौसम की अनिश्चितता है। अनियमित बारिश या सूखे के कारण चरागाह छोटा हो जाता है, जिसके चलते गाय‑भैंसों को अधिक फ़ीड खरीदना पड़ता है। यही कारण दूध की आपूर्ति घटती है और कीमत में उछाल आता है।
तीसरा प्रभाव टाइल‑डिपेंडेंट सप्लाई चेन में है। दूध को कूलिंग, पैकेजिंग और ट्रांसपोर्ट करने में खर्च बहुत ज्यादा है। अगर ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़े, तो अंत में उपभोक्ता को ज्यादा पैसा देना पड़ता है।
इन कारणों से न केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी दूध की कीमत में स्पष्ट इन्फ्लेशन दिख रहा है। इसके साथ ही, महंगाई के आंकड़े भी इस रुझान को दर्शाते हैं, जहां खाद्य सामग्री की कुल कीमतें बढ़ रही हैं।
उपभोक्ताओं के लिए बचत के ठोस कदम
पहला आसान उपाय है – ब्रांड की बजाय स्थानीय डेयरी से सीधे दूध खरीदना। कई बार स्थानीय फ़ार्म पर थोक में खरीदने से आपको प्रति लीटर 5‑10 रुपए बच सकते हैं।
दूसरा, बड़ी मात्रा में खरीदना और फ्रीज़र में स्टोर करना। दूध को 2‑3 दिनों में इस्तेमाल न करने पर फ्रीज़र में जमा कर सकते हैं; इससे बर्बादी कम होगी और आप बार‑बार खरीदने से बचेंगे।
तीसरा, पौष्टिक विकल्पों को अपनाना। अगर आपका परिवार दही या लस्सी ज्यादा उपयोग करता है, तो उन्हें बनाएँ – ये अक्सर बाजार में खरीदे गए दूध से सस्ते होते हैं और पोषण भी बना रहता है।
चौथा, विभिन्न ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफ़ॉर्म पर छूट और कूपन को ट्रैक करें। कई बार ये प्लैटफ़ॉर्म विशेष प्रोमोशन देते हैं जिससे आप 15‑20 % तक बचा सकते हैं।
आख़िरी टिप है – कीमतों का नियमित तुलना करना। एक छोटा नोटबुक या मोबाइल ऐप रखें जहाँ आप विभिन्न दुकानों की कीमतें नोट कर सकें। इससे आप सबसे सस्ता विकल्प चुन पाएंगे।
संक्षेप में, मिल्क प्राइस इन्फ्लेशन एक जटिल समस्या है, लेकिन व्यक्तिगत कदमों से आप अपने खर्च को नियंत्रित रख सकते हैं। अगर आप इन सुझावों को अपनाएँगे, तो हर महीने की दूध की लागत में काफी अंतर महसूस करेंगे।
अमूल ने दूध की कीमत में 2 रुपये की बढ़ोतरी की, नई दर 1 मई से लागू
अमूल ने 1 मई से सभी दूध वेरिएंट की कीमत में 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी की, जो मदर डेयरी के एक दिन पहले की कीमत बढ़ाने के बाद आया है। जीसीएमएमएफ ने बढ़ते इनपुट लागत और किसानों को उंची कीमतों का हवाला दिया। नई MRP 3‑4% बढ़ी, पर खाद्य महंगाई से नीचे रही। यह जून 2024 के बाद पहली बार अमूल की ताज़ा दूध की कीमत बदल रही है। मूल्य वृद्धि से घर के बजट पर असर पड़ेगा, विशेषज्ञ इसे सप्लाई चेन की समस्या मान रहे हैं।
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Savio D'Souza
- 23 सितंबर 2025
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