मुगल रानियाँ: सत्ता की सीन में छुपी अद्भुत कहानियां
जब आप मुगल साम्राज्य का ज़िक्र करते हैं तो अक्सर शेर शाह सूरी, अकबर या शाहजाहाँ याद आते हैं। पर क्या आपको पता है कि इस बड़े इतिहास के पीछे कई रानियों ने भी अहम भूमिका निभाई? चलिए उन महिलाओं की कहानी पढ़ते हैं जिन्होंने अपने चतुर दिमाग और साहस से राजदरबार को बदल दिया।
हुमायूँ की माँ, महरानी बेगम बारी (बेदवानी)
बेगम बारी ने सिर्फ़ एक रानियों के तौर पर नहीं बल्कि अकबर के सिपाही‑शासक को भी काबू में रखा। उन्होंने अपने बेटे हुमायूँ को सिंहासन की तैयारी करवाने में बहुत मदद की, और जब वह छोटे थे तो उनका पालीटिकली प्रबंधन किया। इस दौरान उन्होंने राजदरबार में महिलाओं की आवाज़ बढ़ाई – यह आज के समय में कम ही देखा जाता है।
जाहानारा: सुलतान के दिल की धड़कन
शहज़ादा जहाँगीर का प्यार केवल एक रोमांटिक कहानी नहीं, बल्कि सत्ता का बड़ा खेल था। जहाँगीर ने अपनी पहली शादी में ही कई राजनों को समझौते में बदल दिया और बाद में यह दिखाया कि रानी के तौर पर वह भी रणनीतिक निर्णय ले सकती है। उनका नाम अक्सर ‘जादूगरनी’ कहा जाता था क्योंकि उन्होंने अपने पति की नीति को अपने विचारों से रंगा।
अब बात करते हैं कुछ कम ज्ञात लेकिन उतनी ही प्रभावी रानियों की, जिनके बारे में आम जनता को नहीं पता।
जाहनाबाद की रानी मिर्ज़ा बाई (गुर्दवाली)
मिर्ज़ा बाई ने केवल अपने पति को सज्जा‑सिंह से बचाया ही नहीं, बल्कि उन्होंने जलाशयों के निर्माण में मदद करके शहर की आर्थिक स्थिति सुधार दी। आज भी जयपुर में उनका नाम ‘गुर्दवाली रानी’ के रूप में याद किया जाता है।
रानी बिबी (बिलकुल बेबी) – नवाब के साथ राजनीति
जब नादिर शाह ने राजस्थानी नवाबों से शादी की, तो बिबी ने एक नई शैली पेश की। उन्होंने अपने पति को विभिन्न प्रांतों में प्रशासनिक सुधार करवाए और महिलाओं के लिए स्कूल खोलने का काम किया। उनकी शिक्षा नीति आज भी कई क्षेत्रों में उपयोग होती है।
इन रानियों की कहानियां सिर्फ़ ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, बल्कि प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने दिखाया कि शक्ति सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं, बल्कि महिलाओं के हाथों में भी थी और है। आप अगर इतिहास को नया दृष्टिकोण से देखना चाहते हैं तो इन महिलाओं की जिंदगी पर ध्यान दें – यह आपको बताता है कि कैसे छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं।
अंत में, यदि आप मुगल रानियों के बारे में और गहराई से पढ़ना चाहते हैं या किसी खास रानी के जीवन में रुचि रखते हैं तो हमारी साइट पर जुड़े रहें। हम लाते रहेंगे ऐसे ही रोचक लेख जो इतिहास को जीवंत बनाते हैं।
मुगल रानियों की पढ़ाई और सत्ता: नूर जहाँ से ज़ेब-उन-निस्सा तक
मुगल दौर की कई रानियां असाधारण रूप से शिक्षित थीं और उन्होंने राजनीति, साहित्य और कला में बड़ा असर डाला। नूर जहाँ ने सिक्कों पर अपना नाम दर्ज कराया और प्रशासन संभाला, गुलबदन बेगम ने हुमायूँनामा लिखकर शुरुआती मुगल इतिहास को दर्ज किया। जहानारा बेगम सूफी साहित्य और शहरी वास्तु में आगे रहीं, जबकि ज़ेब-उन-निस्सा अपनी शायरी और अध्ययन के लिए जानी गईं।
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Savio D'Souza
- 22 अगस्त 2025
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