न्यायाधीशों का कार्यकाल: क्या है और कैसे तय होता है?

क्या आप जानते हैं कि भारत में न्यायाधीश कब तक पद पर रहते हैं? सरल जवाब — सुप्रीम कोर्ट के जज 65 साल की आयु तक और हाई कोर्ट के जज 62 साल तक सेवा करते हैं। यह नियम न्यायपालिका की स्थिरता और स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए संवैधानिक रूप से निर्धारित है।

न्यायाधीश "अच्छे व्यवहार" के साथ पद पर बने रहते हैं; यानी जब तक उन्हें हटाने का कोई वैध कारण न मिले या वे स्वयं इस्तीफा न दें। इस्तीफा राष्ट्रपति को लिखा जाता है। हटाने की प्रक्रिया बहुत गंभीर और लंबी होती है — संसद के जरिए महाभियोग (impeachment) के रूप में होता है और इसके लिए विशेष बहुमत चाहिए।

कामकाजी अधिकारों के अलावा, कभी-कभी जजों का ट्रांसफर या अस्थायी नियुक्ति भी होती है — ये प्रक्रियाएँ राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस की सलाह से होती हैं। यह व्यवस्था कोर्ट का संचालन सुचारू रखने के लिए बनाई गई है, खासकर जब किसी न्यायलय में कार्यभार ज्यादा हो या कुछ न्यायाधीश अनुपलब्ध हों।

रिटायरमेंट की गणना — सरल तरीका

रिटायर होने की सही तारीख जाननी है तो बस दो बातें चेक करें: जज की जन्मतिथि और वह किस कोर्ट में हैं। सुप्रीम कोर्ट = 65 साल, हाई कोर्ट = 62 साल। उदाहरण के लिए, अगर किसी जज का जन्म 15 अगस्त 1963 है और वे सुप्रीम कोर्ट में हैं, तो वे 15 अगस्त 2028 को 65 साल पूरे कर लेंगे और उसी के बाद रिटायर मान लिए जाएंगे। रिटायरमेंट से जुड़ी तिथियाँ सरकारी आदेश या प्रेस नोट से आधिकारिक रूप से भी घोषित हो जाती हैं।

ध्यान रखें कि कभी-कभी स्वास्थ्य कारण, व्यक्तिगत कारण या कोई अनुशासनात्मक मामला होने पर जज समय से पहले भी इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं, महाभियोग के जरिए हटाना बेहद दुर्लभ और सार्वजनिक प्रक्रिया से गुज़रता है।

न्यायाधीशों के कार्यकाल का महत्व

यह सिर्फ संख्या नहीं है — कार्यकाल का मतलब न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अनुभव है। लंबे अंकित कार्यकाल से जजों को फैसलों में स्वतंत्रता मिलती है, क्योंकि उन्हें राजनीतिक दबाव या नौकरी की अनिश्चितता से कम डर होता है। दूसरी ओर, वरिष्ठता और निरंतरता से अदालतों में अनुभव और जानकारियाँ टिकती हैं।

इसके बावजूद चर्चा चलती रहती है — क्या रिटायरमेंट आयु बढ़ानी चाहिए, या जजों को निश्चित अवधि (fixed term) देना बेहतर होगा? ये बहसें न्यायपालिका की गुणवत्ता और जवाबदेही दोनों से जुड़ी हैं।

अगर आप किसी खास जज की सेवा-स्थिति जानना चाहते हैं तो उनकी जन्मतिथि और नियुक्ति अधिसूचना (appointment notification) देखना सबसे आसान रास्ता है। सरकारी वेबसाइट और कोर्ट के आधिकारिक नोटिस में यह जानकारी सामान्यतः उपलब्ध रहती है।

माना जाए कि न्यायपालिका की कार्यप्रणाली और नियम समझने से ही हम बेहतर तरीके से क़ानून और नागरिक अधिकारों की चर्चा कर सकते हैं। इसलिए जब भी कोई खबर पढ़ें — जैसे किसी जज की नियुक्ति, ट्रांसफर या रिटायरमेंट — उसके पीछे के नियमों को जानने की कोशिश करें। यह जानकर आपको खबरें और फैसलों का संदर्भ समझना आसान हो जाएगा।

जो बिडेन ने सुप्रीम कोर्ट में बड़े सुधार की योजना की घोषणा की

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने डेमोक्रेटिक सांसदों को बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण सुधारों पर विचार कर रहे हैं, जिनमें न्यायाधीशों के कार्यकाल की सीमा और एक विस्तारित नैतिक संहिता शामिल हैं। हालांकि इसके लिए नए कानून की आवश्यकता होगी, लेकिन बिडेन इसे अपने चुनावी अभियान में एक रणनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

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