पटाखों का असर: हवा, स्वास्थ्य और रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर असर
क्या आपने कभी त्योहार के बाद हवा का रंग बदला हुआ देखा है? पटाखों से निकलने वाली धुंआ और आवाज़ हमारे आसपास बहुत तेज़ असर छोड़ते हैं — कुछ घंटे नहीं, बल्कि कई दिन तक। यहाँ मैं साफ और सीधे तरीके से बताऊँगा कि क्या असर होता है, किसे ज्यादा खतरा है, और आप खुद क्या कर सकते हैं।
हवा और प्रदूषण
पटाखों से निकलने वाली धुंआ में सूक्ष्म कण (PM2.5, PM10), सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और भारी धातुएँ हो सकती हैं। ये कण आँखों में जलन, खाँसी और सांस लेने में तकलीफ बढ़ाते हैं। शहरों में त्योहार के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स कई स्तर गिर जाता है और कुछ जगहों पर 'खतरनाक' तक पहुँचता है। बाकी दिन भी ये कण मिट्टी पर गिरकर पानी और फसल में पहुँच सकते हैं।
छोटा सच: बच्चे, बुज़ुर्ग और अस्थमा/दिल वाले लोग सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं। अगर आपके घर में कोई ऐसा है तो पटाखे जलने के समय घर बंद रखें और एयर-प्यूरीफ़ायर या नम कपड़ा इस्तेमाल करें।
शोर, जानवर और सुरक्षा
पटाखों की तेज़ आवाज़ सिर्फ इंसानों के कानों को नहीं, पालतू और जंगली जानवरों को भी परेशान करती है। घर के कुत्ते छिप जाते हैं, पक्षी उड़कर दूर चले जाते हैं और मछलियाँ भी प्रभावित हो सकती हैं। शोर से नींद टूटती है और कई बार लोगों में घबराहट, ब्लड प्रेशर बढ़ना जैसी समस्याएँ सामने आती हैं।
सुरक्षा की बात करें तो हर साल पटाखों से जलने-फिरने और आंखों व त्वचा पर चोटें होती हैं। इसलिए पटाखे जलाते समय दूरी बनाएँ, बच्चों को अनदेखा न छोड़ें और बचे हुए हिस्से सही तरह से ठंडा करके नष्ट करें।
क्या आप पर्यावरण का ख्याल रखते हुए भी उत्सव मनाना चाहते हैं? छोटे-छोटे कदम बड़ा फर्क डाल सकते हैं:
- कम शोर और कम धुएँ वाले ईको-फ्रेंडली पटाखों का चुनाव करें।
- समूह में सीमित समय पर पटाखे जलाएँ ताकि पूरे इलाके का असर कम हो।
- बच्चों और बुज़ुर्गों को सुरक्षित दूरी पर रखें और आंख-चेहरे ढककर रखें।
- पतंग या लाइव-लाइट शो जैसे विकल्प सोचें — कहीं ये टिकाऊ और कम प्रदूषक भी होते हैं।
- जले हुए पटाखों का कचरा इकट्ठा कर सही तरीके से फेंकें, प्लास्टिक का उपयोग कम करें।
कानून और नियम भी मायने रखते हैं — कई शहरों में पटाखों के समय और प्रकार पर पाबंदी होती है। लोकल गाइडलाइन्स देखें और उनसे चलें, वरना जुर्माना और पड़ोसियों की समस्या बढ़ सकती है।
छोटा-सा विचार: अगर इस साल आप एक घंटे का छोटा, नियंत्रित पटाखा-कार्यक्रम करें और बाकी समय साफ हवा के लिए छोड़ दें तो आपका उत्सव भी पूरा होगा और असर भी कम होगा। त्योहार का मतलब खुशी है, गंदगी और खतरा नहीं।
अगर चाहिए तो मैं आपको आसान-से-आसान चेकलिस्ट दे दूँगा जिससे आप सुरक्षित और कम प्रदूषण वाला त्योहार मना सकें। बताइए क्या चाहिए — सुरक्षा टिप्स, ईको-ऑप्शंस या लोकल नियमों की जानकारी?
दिल्ली में दीवाली के पटाखों से खराब हुई वायु गुणवत्ता: प्रदूषण स्तर 400 के करीब
सीमित पटाखे जलाने के बावजूद दीवाली के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक बिगड़ गई है। प्रमुख इलाकों में AQI स्तर 350 से 400 के बीच पाया गया, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। यह स्थिति रात में सबसे अधिक खराब हुई, जब PM 2.5 स्तर खतरनाक ढंग से बढ़ गए। इस बढ़ते प्रदूषण ने सबको स्वच्छ हवा में सांस लेने के मुश्किल बना दिया है।
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Savio D'Souza
- 1 नवंबर 2024
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