साउथवेस्ट मॉनसून 2025: क्या बदलाव हैं?
जब बात साउथवेस्ट मॉनसून 2025, भारत के दक्षिण‑पश्चिमी हिस्से में सितंबर‑नवम्बर में गिरने वाली वर्षा की आती है, तो सबसे पहले भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मौसम सेवा की चेतावनियों को समझना जरूरी है। इस मोसम में भारी बारिश, ऊँची वार्षिक वर्षा मात्रा और बाढ़, जल स्तर में तेज़ी से वृद्धि आम होते हैं। साथ ही लैंडस्लाइड, पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी का गिरना भी अक्सर रिपोर्ट होते हैं। साउथवेस्ट मॉनसून 2025 इन घटकों को जोड़कर भारत के कई हिस्सों में माहौल तय करता है।
पिछले सालों के डेटा से पता चलता है कि इस साल मॉनसून की शुरुआत मध्य‑अक्टूबर तक ही हो सकती है, जबकि परंपरागत तौर पर यह शुरुआती सितंबर में शुरू होता है। इसका मतलब है कि जलभरे मैदानों की संख्या कम होगी, लेकिन जब बारिश शुरू होगी तो वह तीव्र रूप में आयी। इस तेज़ी से गिरती वर्षा के कारण झारखंड के 20 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी हुई थी, जहाँ रांची में येलो अलर्ट और गढ़वा‑पलामू में ऑरेंज अलर्ट लगा। इस तरह का अलर्ट सीधे भारी बारिश से जुड़ी आपातकालीन उपायों को सक्रिय करता है।
डार्जीलिंग में हाल ही में हुए लैंडस्लाइड ने दिखाया कि साउथवेस्ट मॉनसून 2025 के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में कितनी जोखिम है। तेज़ बारिश ने डुड़िया आयरन ब्रिज जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को भी प्रभावित किया। इस घटना ने न केवल स्थानीय यात्रा को बाधित किया, बल्कि बचाव टीमों को त्वरित उपाय अपनाने पर मजबूर किया। लैंडस्लाइड को रोकने के लिए भूमिगत जल निकासी प्रणाली और वन संरक्षण कार्यक्रमों को तेज़ी से लागू करने की जरूरत है।
कृषि पर असर के मामले में, मॉनसून के बदलते पैटर्न ने कई राज्यों में फसल उत्पादन को अस्थिर किया। भारी बारिश के साथ तेज़ हवाओं ने धान की फसल को जलभराव से बचाने की चुनौती बढ़ा दी। इस दौरान भारत मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों को सही समय पर फसल बुआई और जल प्रबंधन के निर्देश जारी किए। उन्होंने बताया कि जो क्षेत्र आज बाढ़ की चेतावनी में हैं, वे सिंचाई के विकल्पों को अपनाकर नुकसान को सीमित कर सकते हैं।
स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी इस मॉनसून के साथ बढ़ते हैं। नमी और जलजमाव के कारण जलजनित रोगों का प्रसार आसान हो जाता है। डाक्टर्स ने कहा कि बाढ़ क्षेत्रों में जलबुख़ार, डेंगू और टाइफ़ाइड जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए स्थानीय स्वास्थ्य विभागों ने प्राथमिक उपचार केंद्रों में एंटी‑मलेरिया दवाओं और साफ‑सफाई अभियान को तेज़ कर दिया है।
शहरी क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे की परीक्षा भी इस मोसम में स्पष्ट होती है। मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में जल निकासी की कमी के कारण सड़कों पर जलभराव और ट्रैफ़िक जाम हो जाता है। बाढ़ के जोखिम को कम करने के लिए शहरों ने नई जल निकासी नालियों और कंटेनर‑आधारित जल प्रवर्तन प्रणाली स्थापित की है। ये कदम भारी बारिश के दौरान शहर की कार्यक्षमता को बचाते हैं।
पर्यटन उद्योग भी साउथवेस्ट मॉनसून 2025 से प्रभावित होता है। हिमालयी रिसॉर्ट्स में बर्फ पिघलने से झरनों का जलस्तर बढ़ता है, जिससे ट्रेकिंग के लिए नई संभावनाएं बनती हैं। लेकिन उसी समय, भारी बारिश के कारण ट्रेकिंग मार्ग असुरक्षित हो सकते हैं। इसलिए ट्रैवल एजेंसियों ने मॉनसून के दौरान सुरक्षित ज्वालामुखी रूट्स और वैकल्पिक पर्यटन स्थलों की सिफारिश की है।
क्या आप तैयार हैं?
इन सभी पहलुओं को समझने के बाद आप देखेंगे कि साउथवेस्ट मॉनसून 2025 सिर्फ मौसम नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्तर पर एक बड़ा बदलाव लाता है। नीचे दी गई खबरों में आपको जलवायु चेतावनियों, हरित उपायों, आपदा प्रबंधन और स्थानीय प्रतिक्रिया के वास्तविक उदाहरण मिलेंगे। इन लेखों को पढ़कर आप अपनी योजना, सुरक्षा और दैनिक जीवन में आवश्यक कदम उठा सकते हैं। अब चलिए देखते हैं इस साल की प्रमुख खबरें, जो इस मॉनसून के विभिन्न आयामों को उजागर करती हैं।
दिल्ली में 2025 का साउथवेस्ट मॉनसून सबसे जल्दी निरस्त, 41% अतिरिक्त वर्षा
इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने बताया कि 24 सितम्बर 2025 को दिल्ली में साउथवेस्ट मॉनसून सबसे जल्दी निकला, फिर भी वर्षा 41% अधिक रही, जिससे जल‑स्रोतों पर सकारात्मक असर पड़ा।
- के द्वारा प्रकाशित किया गया Savio D'Souza
- 30 सितंबर 2025
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